नए साल में करें नई शुरूआत

Edited By ,Updated: 03 Jan, 2025 06:38 AM

make a new beginning in the new year

31 दिसंबर की रात जब घड़ी 12 बजाती है, आसमान रंग-बिरंगी आतिशबाजी से जगमगा उठता है। घर, सड़कें, रेस्तरां और क्लब उत्सव के माहौल में डूबे होते हैं। हर तरफ मुस्कानें बिखरती हैं, परिवार और दोस्त मिलते हैं, एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं।

31 दिसंबर की रात जब घड़ी 12 बजाती है, आसमान रंग-बिरंगी आतिशबाजी से जगमगा उठता है। घर, सड़कें, रेस्तरां और क्लब उत्सव के माहौल में डूबे होते हैं। हर तरफ मुस्कानें बिखरती हैं, परिवार और दोस्त मिलते हैं, एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं। आखिर साल की आखिरी रात को लोग नए साल के लिए साहसिक और प्रेरणादायक संकल्प क्यों करते हैं? कोई कहता है, ‘मैं रोज सुबह 5 बजे उठूंगा,’ तो कोई कहता है, ‘इस साल मैं अपनी फिटनैस पर ध्यान दूंगा।’  
लेकिन कुछ हफ्तों बाद, शायद फरवरी तक, ये संकल्प धूमिल हो जाते हैं। अलार्म घड़ी का गला घोंट दिया जाता है और फिटनैस का लक्ष्य भूल जाता है। धीरे-धीरे जीवन पुराने ढर्रे पर लौट आता है।

संकल्प क्यों टूटते हैं? : अक्सर बेहद यह महत्वाकांक्षी संकल्प अव्यावहारिक होते हैं। इन्हें क्षणिक उत्साह और जोश के लिए लिया जाता है लेकिन इन्हें लंबे समय तक निभाने की तैयारी नहीं होती। एक खुशहाल नया साल किसी बड़े बदलाव या पूरी तरह से नए जीवन की मांग नहीं करता। इसकी कुंजी है छोटे-छोटे, लेकिन टिकाऊ बदलाव। जो चीजें काम कर रही हैं, उन्हें बनाए रखें, जो नहीं कर रहीं उन्हें छोड़ दें। छोटे और स्थायी बदलाव ही आपको बेहतर जीवन की ओर ले जाते हैं। नए साल का एहसास विशेष होता है। इसे मनोवैज्ञानिक ‘फ्रैश स्टार्ट इफैक्ट’ कहते हैं। पहली जनवरी जन्मदिन या किसी सप्ताह का पहला दिन हमें मानसिक रूप से एक नई शुरूआत करने का अहसास देते हैं। यह महसूस होता है कि अब हम अपने जीवन में एक नई दिशा तय कर सकते हैं। शायद इसी कारण हम नए साल के शुरूआती दिनों में नए प्लानर खरीदते हैं, जिम की सदस्यता लेते हैं, या बड़े-बड़े लक्ष्य तय करते हैं। लेकिन केवल उत्साह सफलता की गारंटी नहीं देता। बिना उचित योजना और आत्ममंथन के ये अच्छे इरादे जल्द ही दम तोड़ देते हैं।

आत्ममंथन करें  : एक खुशहाल नए साल की शुरूआत आत्ममंथन से होती है। यह आत्ममंथन असफलताओं पर पछताने का नहीं, बल्कि उत्सुकता और समझदारी से जीवन का मूल्यांकन करने का है। पिछला साल आपके लिए कैसा रहा? क्या ऐसी चीजें थीं, जिन्होंने आपको खुशी दी या प्रगति के लिए प्रेरित किया? हो सकता है, आपने परिवार के साथ अधिक समय बिताया हो, एक शाम की सैर की आदत बनाई हो या अपने समय का बेहतर प्रबंधन किया हो। वहीं दूसरी तरफ, ऐसी कौन-सी चीजें थीं, जिन्होंने आपको थका दिया? शायद काम का अधिक बोझ, समय की बर्बादी या हर किसी को खुश करने की कोशिश।

मनोवैज्ञानिक ‘सैल्फ-डिस्टैंस्ड रिफ्लैक्शन’ की सलाह देते हैं। इसका अर्थ है, अपनी जिंदगी को किसी और की नजर से देखना। यह जानने की कोशिश करें कि यह व्यक्ति अपने प्लान क्यों छोड़ देता है? वह उन चीजोंं को क्यों करता है, जिनसे उसे खुशी नहीं मिलती? यह दृष्टिकोण आपको यह समझने में मदद करता है कि कौन-सी आदतें आपके लिए फायदेमंद हैं और कौन-सी छोड़ देनी चाहिएं। लेकिन केवल स्पष्टता से ही जीवन आसान नहीं होता। जीवन कभी सीधी रेखा में नहीं चलता। योजनाएं बदलती हैं और असफलताएं स्वाभाविक हैं। जो लोग इन बाधाओं का सामना कर पाते हैं, वे सफल होते हैं। उनमें खुद को हालात के हिसाब से ढालने और फिर से खड़े होने की क्षमता होती है। ऐसी क्षमता विकसित करने का पहला सबक है कृतज्ञता जो हमें यह सिखाती है कि जो हमारे पास है, उसकी सराहना करें। छोटी-छोटी सकारात्मक बातों को पहचानना हमारे दिमाग को समस्याओं की  बजाय अवसरों पर ध्यान केंद्रित करना सिखाता है।

दूसरा है ‘माइंडफुलनैस’ यानी वर्तमान में जीना। चाहे किसी महत्वपूर्ण बातचीत पर ध्यान देना हो या शांत सुबह का आनंद लेना, यह अभ्यास तनाव को कम करता है और आपको अपने जीवन में बेहतर जुड़ाव देता है। तीसरा, असफलताओं को नए दृष्टिकोण से देखना। जब आपके लक्ष्य पूरे न हों, तो इसे हार नहीं, बल्कि ‘फीडबैक’ मानें। उदाहरण के लिए, अगर आपने हर दिन व्यायाम करने की योजना बनाई थी, लेकिन हफ्ते में केवल दो बार कर पाए, तो यह भी प्रगति है।

संबंधों को प्राथमिकता : अच्छे रिश्ते खुशहाल जीवन का एक महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। सच्चे रिश्ते केवल व्हाट्सएप संदेशों या फॉरवर्ड किए गए शुभकामना संदेशों से नहीं बनते। ये रिश्ते उपस्थिति और सहभागिता पर आधारित होते हैं। अपने दोस्तों को कॉल करें, बिना किसी बाधा के उनकी बात सुनें और जब संभव हो अपने प्रियजनों से मिलने जाएं। रिश्तों को मजबूत करने के लिए यह जरूरी है कि आप उनके साथ समय बिताएं और अपने जुड़ाव को गहरा बनाएं। नया साल कोई जादुई समय नहीं है। यह केवल एक मानसिक संकेत है, जो हमें रुकने, सोचने और अपने जीवन को फिर से दिशा देने का मौका देता है। इसकी असली कीमत इसमें है कि आप इसे कैसे उपयोग करते हैं। परिपूर्णता की बजाय प्रगति पर ध्यान दें। जो काम कर रहे हैं उसे दोहराएं,जो विफल रहा उससे सीखें। रिश्तों में निवेश करें और वर्तमान में जिएं। अगर फरवरी तक आपके संकल्प थोड़े लडख़ड़ाएं, तो ङ्क्षचता न करें। हर दिन एक नई शुरूआत का मौका है।-ओ.पी. सिंह(पुलिस महानिदेशक हरियाणा)

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