Edited By ,Updated: 28 Dec, 2024 05:22 AM
आज, भारत अपने सबसे प्रिय नेताओं में से एक डा. मनमोहन सिंह के निधन से शोक में है। 26 दिसंबर, 2024 को उनका निधन, एक ऐसे युग का अंत है जिसको उनकी बुद्धिमत्ता, विनम्रता और राष्ट्र के प्रति अटूट प्रतिबद्धता ने परिभाषित किया था। उनका संघर्ष पूर्ण जीवन व...
आज, भारत अपने सबसे प्रिय नेताओं में से एक डा. मनमोहन सिंह के निधन से शोक में है। 26 दिसंबर, 2024 को उनका निधन, एक ऐसे युग का अंत है जिसको उनकी बुद्धिमत्ता, विनम्रता और राष्ट्र के प्रति अटूट प्रतिबद्धता ने परिभाषित किया था। उनका संघर्ष पूर्ण जीवन व भारत के राष्ट्र निर्माण में उनका योगदान भारत के इतिहास का हिस्सा रहेगा। डा. सिंह का जीवन एक साधारण परिवेश से शुरू हुआ, पर भारत व पूरे विश्व के सबसे सम्मानित राजनेताओं में से एक बनने की उनकी यात्रा सभी के लिए प्रेरणादायक है। कठिनाई और दृढ़ता ने उनके प्रारंभिक जीवन को परिभाषित किया था।
विभाजन की चुनौतियों के बावजूद, शिक्षा और उत्कृष्टता की उनकी खोज कभी कम नहीं हुई। अपनी मेहनत और बुद्धिमता के बल पर उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से डिग्री हासिल की, अंतत: अर्थशास्त्र में डाक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। उनकी शैक्षणिक यात्रा ने उनके शानदार करियर की नींव रखी, जिसने लाखों लोगों को प्रभावित किया। राष्ट्र के लिए उनका योगदान राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश करने से बहुत पहले शुरू हो गया था। एक अर्थशास्त्री के रूप में, उन्होंने मुख्य आर्थिक सलाहकार, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर और योजना आयोग के उपाध्यक्ष सहित विभिन्न पदों पर कार्य किया। 1991 में प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव के अधीन वित्त मंत्री के रूप में डा. सिंह ने अपना नाम भारतीय इतिहास में अंकित कर लिया। उस समय देश गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा था। उस समय उन्होंने साहसिक आर्थिक सुधारों की शुरूआत की, जिसने भारतीय अर्थव्यवस्था को उदार बनाया और इसे दुनिया के लिए खोल दिया। हालांकि उस समय ये उपाय कुछ विवादास्पद रहे, पर समय के साथ इसके प्रभाव सामने आने लगे, और भारत के आर्थिक पुनरुत्थान का आधार बन गए।
2004 से 2014 तक प्रधानमंत्री के रूप में डा. सिंह का कार्यकाल भारत के आधुनिक इतिहास में एक निर्णायक काल था। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (रूत्रहृक्रश्वत्र्र), सूचना का अधिकार अधिनियम और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम जैसे कार्यक्रमों ने लाखों लोगों को सशक्त बनाया, खासकर हाशिए के समुदायों के लोगों को। ये केवल नीतियां नहीं थीं, बल्कि वंचित वर्गों के प्रति उनकी गहरी संवेदनशीलता और एक समतापूर्ण समाज के उनके विचार की अभिव्यक्तियां थीं। अपने राष्ट्रीय योगदान के अलावा, डा. सिंह हमेशा हरियाणा के विकास के लिए असाधारण प्रतिबद्ध थे, जो उनके दिल के करीब था। यमुनानगर में उनके कोहली परिवार की जड़ों ने उन्हें इस क्षेत्र से व्यक्तिगत रूप से जोड़ा और प्रधानमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान, हरियाणा ने उल्लेखनीय विकास और परिवर्तन देखा।
यह उनके नेतृत्व में ही था कि हरियाणा भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) रोहतक और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (्रढ्ढढ्ढरूस्) झज्जर जैसे प्रमुख संस्थानों का घर बन गया। औद्योगिक आधुनिकीकरण और विस्तार के लिए उनके समर्थन ने औद्योगिक मॉडल टाऊनशिप (ढ्ढरूञ्ज) की स्थापना की, जिससे राज्य में विनिर्माण और रोजगार का केंद्र बना, जिससे हरियाणा रोजगार और प्रति व्यक्ति आय के मामले में देश में नंबर एक बन गया। उन्होंने राज्य में मैट्रो रेल विस्तार का भी समर्थन किया, जिससे हरियाणा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के करीब आ गया, और कनैक्टिविटी बढऩे के साथ, राज्य में आर्थिक अवसर बढ़े। प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद भी डा. सिंह का हरियाणा के प्रति समर्पण कभी कम नहीं हुआ। वे अक्सर मुझसे इन परियोजनाओं की प्रगति के बारे में जानकारी लेते थे, जो राज्य और उसके लोगों के कल्याण के लिए उनकी चिंता का प्रमाण है। उनके प्रयासों ने हरियाणा के बुनियादी ढांचे को मजबूत किया और उत्तर भारत में एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में इसके उभरने की नींव रखी।
डा. सिंह जब प्रधानमंत्री थे, उस समय हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में मुझे उनसे कई बार बातचीत करने का सौभाग्य मिला। उनके नेतृत्व की विशेषता खुलेपन, संवाद और आम सहमति बनाने की इच्छा थी। मुझे याद है कि जब मैं सांसद था, तो वित्तमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान खाद व उर्वरक मूल्यों में हुई वृद्धि को वापस लेने पर चर्चा करने के लिए किसानों के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहा था।डा. सिंह का स्पष्ट जवाब था कि हमारे किसानों का कल्याण हमारी नीतियों के केंद्र में रहना चाहिए। एक समृद्ध किसान का मतलब एक समृद्ध भारत है। ये शब्द भारत के कृषक समुदाय के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं, एक ऐसी भावना जो हरियाणा के जनमानस के विचारों से गहराई से मेल खाती है।आज, जब हम उन्हें अंतिम विदाई दे रहे हैं, तो इस बात पर भी गर्व करें कि हमारे देश ने ऐसे महान नेता के नेतृत्व का सौभाग्य मिला। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें, और उनका जीवन उन सभी के लिए प्रकाश पुंज रहे, जो एक विकसित भारत का सपना देखते हैं।-भूपेंद्र सिंह हुड्डा(पूर्व मुख्यमंत्री, हरियाणा)