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अपने मतलबी आकाओं से सचेत रहें मुस्लिम

Edited By ,Updated: 03 Mar, 2025 05:46 AM

muslims should be cautious of their selfish masters

इस समय देश में मुस्लिम समुदाय का ज्यादातर हिस्सा ङ्क्षचतित व परेशान है। भारतीय जनता पार्टी को अधिकतर मुसलमान मुसलमानों के खिलाफ मानते हैं कि भाजपा सरकार निरंतर मुसलमानों के मामले में उनके धार्मिक कानूनों से छेड़छाड़ कर रही है और भी न जाने क्या-क्या...

इस समय देश में मुस्लिम समुदाय का ज्यादातर हिस्सा चिंतित व परेशान है। भारतीय जनता पार्टी को अधिकतर मुसलमान मुसलमानों के खिलाफ मानते हैं कि भाजपा सरकार निरंतर मुसलमानों के मामले में उनके धार्मिक कानूनों से छेड़छाड़ कर रही है और भी न जाने क्या-क्या धारणाएं भाजपा सरकार के बारे में मुस्लिमों के दिल में घर कर रही हैं। नि:संदेह भाजपा ऊपरी तौर पर ऐसा दिखाकर कि वह मुस्लिमों के लिए गंभीर नहीं है, राजनीतिक लाभ उठा रही है। ठीक उसी तरह जैसा कभी कांग्रेस मुस्लिमों को सिर्फ दिखावे के नाम पर गोद में बैठाए रहती थी लेकिन उनके कल्याण के लिए कभी कुछ किया नहीं। दरअसल मुस्लिमों को आश्रित रहने की आदत हो गई है। पहले उन्हें कांग्रेस ने अपने ऊपर आश्रित रखा फिर कांग्रेस से उनका मोह भंग हुआ तो इस कारण नहीं कि कांग्रेस ने उनके लिए कुछ नहीं किया बल्कि बाबरी ढांचे के गिरने के बाद उनका कांग्रेस से मोह भंग हुआ। फिर वह राज्यों क्षत्रपों के अपने हितों के लिए उनके साथ हो लिए जैसे उ.प्र. में  उन्हें मुलायम सिंह इसलिए पसंद नहीं थे कि उन्होंने उनके कल्याण के काम किए बल्कि वह इसलिए पसंद थे कि उन्होंने अयोध्या में गोली चलवाई, चंद गुंडा तत्व और दबंग मुस्लिमों को नेता बना दिया। 

मुसलमानों की एक बहुत बड़ी कमजोरी है कि वह धर्म के मामले में बेहद संवेदनशील हैं। उन्हें अपनी उन्नति से ज्यादा धार्मिक चिंताएं हैं इसी का फायदा उठाकर उनके तथाकथित ठेकेदार जो कहीं उलेमा के रूप में और कहीं नेता के रूप में उनकी इस कमजोरी के कारण उनका लाभ उठाते रहते हैं। उन्हें समझाने की बजाय उल्टा भड़काते हैं। भाजपा  सरकार तीन तलाक कानून लाई, यह कानून मुस्लिम महिलाओं के हित में था। इसके लिए भी माहौल बनाया गया कि भाजपा हमारे धार्मिक मामलों में दखल दे रही है। ऐसा करने वाले लोगों को समझ नहीं आया कि इससे उन महिलाओं को कितनी राहत मिलेगी जिनके सिर पर तीन शब्दों की तलवार लटकी रहती है। कम से कम वह इसके खिलाफ अदालत में तो जा सकेगी। ऐसे ही वक्फ बोर्ड की बात है। वक्फ बोर्ड के पास कितनी सम्पत्ति है। पहले तो आम लोगों को ही इसका नहीं पता। सरकार इसमें पारदॢशता लाना चाहती है तो विरोध किया जाता है। दरअसल यह विरोध मुस्लिम जनता स्वयं नहीं करती। उनके आकाओं के पेट में दर्द होता है तो वह उन्हें भड़काते हैं। मैं समझता हूं कि क्या वक्फ सम्पत्तियों का  लाभ मुसलमानों को मिला, उन पर कितने कालेज और कितने अस्पताल बने जबकि कोई वक्फ को सम्पत्ति दान करता है तो वह लोगों के हित में काम आ सके इसलिए करता है लेकिन उसका बंदरबाट होता है। समान नागरिक संहिता की जहां तक बात है, उसका अर्थ हर धर्म समाज के लिए एक ही तरह का कानून हो यह सही भी है।

देश के कानून में धर्म के कानूनों का घालमेल करोगे तो विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के देश में यह संभव नहीं हो सकता। दरअसल मुसलमानों को यह बात समझनी होगी कि उनके जो भी आका हैं उनका वह लोग सिर्फ इस्तेमाल कर रहे हैं। देश में चल रहे अनगिनत मदरसे जहां मुस्लिम युवा दीनी  तालीम लेकर धर्म के ज्ञाता तो बन जाते हैं मगर आगे नहीं बढ़ पाते। ये मदरसे चंद लोगों की कमाई का जरिया है। इन्हें वह सरकार से मान्यता लेकर इसलिए नहीं चलाना चाहते क्योंकि इससे उनका एकाधिकार खत्म हो जाएगा। यही कारण है कि वहां पढऩे वाले बच्चे पेट भरने के लिए ज्ञानी होकर भी मजदूरी करते हैं और मदरसे चलाने वालों के बच्चे बेहतरीन स्कूलों में पढ़ते हैं। कुल मिलाकर मैं तो यही कहूंगा कि भाजपा बुरी नहीं है। बुरे वे हैं जो आपको भड़काते हैं। 

काश अयोध्या वाले मामले में हमारे लोगों ने बड़ा दिल किया होता है तो देश का नजारा ही कुछ और होता है। खैर, वक्त अभी भी बुरा नहीं है। हमें अपने भले-बुरे को सोचना होगा राजनीतिक दलों का वोट बैंक मत बनो। इससे आप एक झुंड बनकर रह जाओगे। राजनीतिक दलों से धर्म जैसे मामलों में अपेक्षा न रखें बल्कि उनसे अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की उम्मीद रखें। धर्म को अपने तक सीमित रखें। उल्टे-सीधे भड़काऊ बयानों में बिल्कुल न आएं। अगर आज हम यह ऐसा सोचेंगे तो हमें कोई राजनीतिक दल बुरा नहीं लगेगा बल्कि ठंडे दिमाग से सोचें कि जो काम आपके लिए किया जा रहा है वह अच्छा है या बुरा, बिना सोचे किसी के बहकावे में आकर विरोधी न बने। आपको सिर्फ अपने मतलबी आकाओं से सचेत रहने की जरूरत है। कोई आपका बुरा करने वाला नहीं है।(यह लेखक के निजी विचार हैं।)-वकील अहमद
 

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