‘राष्ट्र प्रथम, सर्वदा प्रथम’

Edited By ,Updated: 14 Aug, 2023 04:42 AM

nation first always first

हमारी स्वतंत्रता की 76वीं वर्षगांठ के अवसर पर, ‘आजादी के अमृत महोत्सव’ के व्यापक स्वरूप में, ‘राष्ट्र प्रथम, सर्वदा प्रथम’ के विषय का चयन किया गया है, यह विषय मेरे हृदय के बेहद करीब है, एक सैन्य अधिकारी के रूप में मेरा ध्येय सर्वदा राष्ट्र प्रथम रहा...

हमारी स्वतंत्रता की 76वीं वर्षगांठ के अवसर पर, ‘आजादी के अमृत महोत्सव’ के व्यापक स्वरूप में, ‘राष्ट्र प्रथम, सर्वदा प्रथम’ के विषय का चयन किया गया है, यह विषय मेरे हृदय के बेहद करीब है, एक सैन्य अधिकारी के रूप में मेरा ध्येय सर्वदा राष्ट्र प्रथम रहा है, जो अब मेरा आजीवन व्रत बन चुका है। 

वर्षों की गुलामी की जंजीरें तोडऩे के पश्चात, विगत 76 वर्षों में भारत अपने सामथ्र्य से विश्व गुरु की अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा को प्राप्त करने की ओर अग्रसर है। आज पूरे विश्व में भारत और भारतीयों के प्रति आदर और सम्मान का भाव है। हमें याद रखना चाहिए कि जब हम आजाद हुए तो हमारे सामने कई चुनौतियां थीं, देश विभाजन की विभीषिका झेल रहा था, लेकिन सभी चुनौतियों का सामना हमारे देश ने मजबूती से किया और 76 वर्षों के बाद आज विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर हैं। 

इस उपलब्धि को प्राप्त करने की दिशा में भारत ने इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में भी अभूतपूर्व प्रगति की है, आज हमारे विश्वस्तरीय नैशनल और स्टेट हाइवे, गंतव्यों की दूरी कम करने के साथ-साथ कनैक्टिविटी को भी बढ़ा रहे हैं, साथ ही हमारी सप्लाई चेन के नैटवर्क को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में भारत वैश्विक केंद्र बन रहा है, सैन्य एवं रक्षा विनिर्माण में भारत तेजी से उभर रहा है, आत्मनिर्भर भारत योजना से हम स्वाभिमान के साथ अपनी पहचान बना रहे हैं। 

वर्तमान सदी को तकनीक की सदी के रूप में जाना जाता है, भारत ने भी तकनीक की महत्ता को समझते हुए इस क्षेत्र में भी विशेष स्थान बनाया है, हाल ही में भारत ने सैमी कंडक्टर चिप निर्माण के क्षेत्र में कदम बढ़ाए हैं, आज के समय में मोबाइल और कम्प्यूटर के बिना किसी भी कार्य की कल्पना नहीं की जा सकती है, और सैमी कंडक्टर के बिना इन उपकरणों की। अब भारत विश्व की इस आवश्यकता को पूर्ण करने का केंद्र बन रहा है, यह विषय गौरवशाली होने के साथ-साथ हमारी वैश्विक स्वीकार्यता का प्रतीक है। 

डिजिटल भुगतान के मामले में भारत का शीर्ष पर होना तकनीकी सक्षमता और समृद्धि का प्रमाण है। डिजिटल भुगतान के माध्यम से वित्तीय मामलों में पारदर्शिता आई है। अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत की छलांग को आज विश्व की महाशक्तियां भी सराह रही हैं। यह बहुत गर्व का विषय है कि भारत अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में सबसे किफायती समाधान विश्व के सामने रख रहा है। हाल ही में हमने बहुत कम लागत में चंद्रयान 3 मिशन का प्रक्षेपण किया है, ऐसा लगता है यह कौशल कहीं न कहीं प्राचीन काल से ही हमारी जड़ों में है। हम अपने अनुसंधान और इच्छाशक्ति से नए अवसर बना रहे हैं। 

भारत ने 2047 तक विकसित राष्ट्र  बनने का संकल्प लिया है, आने वाले 24 सालों में इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमारे कुछ उत्तरदायित्व हैं और आने वाली पीढ़ी के प्रति हमारी कुछ जिम्मेदारियां भी हैं। भारत ने हमेशा ही सतत विकास का समर्थन किया है, विकसित राष्ट्र की अपनी यात्रा में हम भविष्य की पीढ़ी के लिए आवश्यकताओं की क्षमताओं से समझौता किए बिना वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं को पूरा करने में विश्वास रखते हैं। पर्यावरण संतुलन आज की सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता है, भारत ने तो हमेशा ही प्रकृति को देवताओं के समान आदर दिया है, जी-20 सम्मेलन के अध्यक्ष के रूप में एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य की थीम और ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के ध्येय वाक्य के माध्यम से हमने समूचे विश्व को संदेश दिया है कि हमारे उपनिषद, वेद और प्राचीन साहित्य ज्ञान के भंडार हैं। 

जब कोविड के कारण विश्व में निराशा के बादल छा गए, तो भारत ने  पूरे विश्व को राह दिखाई। भारत की मजबूत इच्छाशक्ति से प्रभावित होकर समूचे विश्व ने ऊर्जा प्राप्त की, हमने विश्व स्तरीय वैक्सीन का निर्माण किया और वैक्सीन मैत्री के माध्यम से जिनको भी आवश्यकता थी उन देशों के साथ सांझा किया। कोविड के संकट के बाद भी हमारे इरादे डगमगाए नहीं, हम विचलित नहीं हुए और अपार संघर्षों और बलिदानों से प्राप्त हमारी स्वतंत्रता की रक्षा करने के साथ-साथ आजादी की परिभाषा को नया रूप दे रहे हैं। आजादी के अमृत महोत्सव मनाते हुए हमें उन लोगों को नमन करना नहीं भूलना चाहिए, जिन्होंने इस देश के लिए अपना सर्वस्व त्याग दिया। इसकी रक्षा की और पिछले 76 वर्षों में हमारे संकल्पों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 

चाहे सैन्य कर्मी हों, पुलिस कर्मी हों, नौकरशाह हों, सार्वजनिक प्रतिनिधि हों, स्थानीय शासन, राज्य प्रशासनिक निकाय या केंद्रीय प्रशासनिक निकायों के अधिकारी। आज हमें इस देश के करोड़ों नागरिकों द्वारा पिछले 76 वर्षों में विभिन्न चुनौतियों के बावजूद देश को आगे बढ़ाने के प्रयासों को भी याद करना चाहिए। इस अवसर पर मैं देश की मातृशक्ति को भी नमन करना चाहता हूं जो वास्तव में दृढ़ इच्छाशक्ति की प्रतिमूर्ति हैं, आने वाले समय में हमारी महिलाएं और बेटियां हर क्षेत्र में देश का नेतृत्व करने में सक्षम होंगी, हमें बस उन्हें यथासंभव मंच प्रदान करने की आवश्यकता है। आने वाले समय में भी भारत इसी प्रकार उत्तरोत्तर प्रगति करेगा, आज के दिन हमें प्रण लेना है कि हम अपने आत्म मूल्य यानी अपनी सैल्फ वर्थ को पहचान कर 2047 तक न सिर्फ विकसित राष्ट्र बनेंगे अपितु विकसित के साथ साथ ज्ञान श्रेष्ठ भारत बनेंगे और विश्व गुरु भारत के अपने पुरातन गौरव को पुन: प्राप्त करेंगे।-गुरमीत सिंह(राज्यपाल उत्तराखंड) 
    

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