एन.सी.आर. में कानून-व्यवस्था बनाए रखना कोई पिकनिक मनाना नहीं

Edited By ,Updated: 17 Oct, 2022 06:36 AM

ncr maintaining law and order in

1992 बैच के ए.जी.एम.यू.टी. कैडर अधिकारी अश्विनी कुमार को दिल्ली का प्रधान सचिव (गृह) नियुक्त किया गया है।

1992 बैच के ए.जी.एम.यू.टी. कैडर अधिकारी अश्विनी कुमार को दिल्ली का प्रधान सचिव (गृह) नियुक्त किया गया है। इसके साथ-साथ कुमार को दिल्ली नगर निगम (एम.सी.डी.) के विशेष अधिकारी के रूप में भी तैनात किया गया है। दिलचस्प बात यह है कि उनके नियुक्ति नोटिस में उल्लेख किया गया है कि वह इस जिम्मेदारी का निर्वहन भी जारी रखेंगे। घोषणा ने कई लोगों को अचंभित कर दिया है कि क्या एम.सी.डी. में अश्विनी कुमार की स्थिति अब केवल प्रतीकात्मक या पर्यवेक्षी होगी क्योंकि उनकी नई पोस्टिंग पर सभी का ध्यान आर्कषित होगा।

सूत्रों की मानें तो एम.सी.डी. के विशेष अधिकारी के रूप में कुमार का कार्यकाल दिल्ली के 3 नगर निगमों के विलय के बाद एक अस्थायी व्यवस्था थी। उनका मानना है कि उन्हें प्रधान गृह सचिव के रूप में नामित करके गृह मंत्रालय (एम.एच.ए.) संकेत दे रहा है कि एम.सी.डी. में उनकी सक्रिय भूमिका समाप्त हो गई है और गृह विभाग अब उनकी प्रारंभिक जिम्मेदारी है। कुछ अन्य लोग मानते हैं कि कुमार की नई भूमिका इतनी महत्वपूर्ण नहीं है क्योंकि दिल्ली पुलिस मंत्रालय के सीधे नियंत्रण में है। फिर भी, यह एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है कि एन.सी.आर. में कानून व्यवस्था बनाए रखना कोई पिकनिक नहीं है।

इसके अलावा दिल्ली में गृह मंत्रालय तथा ‘आप’ सरकार के बीच मौजूदा तनावपूर्ण संबंध बाबू की चुनौतियों को बढ़ा सकते हैं। फिर भी कहा जा रहा है कि कुमार के आई.ए.एस. अधिकारियों के बैच को इस वर्ष के अंत तक सचिव के रूप में सूचीबद्ध किया जाना है इसलिए यह काफी संभावना दिखती है कि कुमार जल्द ही एक और भूमिका परिवर्तन के लिए तैयार हो सकते हैं। शायद केंद्र में एक सचिव के रूप में भी।

रेलवे में सुधारों को धीमा कर रही विलंबित पदोन्नति : अपने कामकाज में सुधार करने की जल्दबाजी में कहे जाने वाले मंत्रालय के लिए रेल मंत्रालय में महत्वपूर्ण नियुक्तियों में अत्यधिक देरी अक्सर बाबुओं और पर्यवेक्षकों को चकित कर देती है। अब एक साल से अधिक के कठोर प्रयासों के बाद मंत्रालय ने आखिरकार 20 अधिकारियों को मंडल रेल प्रबंधक (डी.आर.एम.) के रूप में नियुक्त करने की घोषणा की है। इससे पूर्व यह बताया गया था कि यह देरी कैडरों के बोझिल एकीकरण और अन्य सुधारों के कारण हुई थी, जिसकी देख-रेख रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव कर रहे थे।

इसमें स्पष्ट रूप से डी.आर.एम. पद के लिए पात्र बनने के लिए न्यूनतम 52 वर्ष की आयु बाधा को हटाना भी शामिल था। हालांकि अंदरूनी सूत्रों के अनुसार अगर सरकार ने 52 साल के मानदंड को बनाए रखना है तो इन नियुक्तियों में एक साल से अधिक की देरी का कोई औचित्य नहीं रह जाता। कुछ रेल बाबू यह भी कयास लगाते हैं कि क्या मंत्रालय मंडल प्रबंधकों और बोर्ड के सदस्यों की नियुक्ति के लिए एक ही मानदंड अपनाएगा?

जाहिर तौर पर कैडर संघर्षों और विभागीयवाद को खत्म करने और एकरूपता लाने के लिए रेलवे की सभी 8 संगठित ग्रुप ए सेवाओं के भारतीय रेलवे प्रबंधन सेवा में बहु प्रशंसित विलय के बावजूद इसने स्पष्ट रूप से वांछित परिणाम नहीं दिए हैं। मंत्रालय में अन्य प्रमुख रिक्तियों के अलावा जनरल मैनेजर (जी.एम.) रेलवे के कुल 11 पद अभी भी खाली हैं। महत्वपूर्ण नियुक्तियों में देरी से निर्णय केवल मंत्रालय की चुनौतियों को और अधिक कठिन बना डालते हैं।

गुजरात में तबादलों को प्रभावित कर रहे आगामी विधानसभा चुनाव : गुजरात के चुनावी बुखार की चपेट में आने से प्रशासन में हड़कंप मच गया है। आगामी विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए बाबुओं का बार-बार तबादला किया जा रहा है। पिछले हफ्ते मुख्यमंत्री भूपिन्द्रभाई पटेल ने सूरत और बड़ौदरा के नगर आयुक्तों के तबादले का आदेश दिया था। इसने हलके में बाबुओं के लिए सवाल खड़े कर दिए कि केवल 2 आयुक्तों को ही क्यों हटाया गया।

सूरत के नगर आयुक्त बंछनिधि पाणि को बड़ौदरा के नगर आयुक्त के रूप में स्थानांतरित किया गया है। उनकी जगह वी.एम.सी. आयुक्त शालिनी अग्रवाल ने ली है। पाणि कथित तौर पर अपने स्थानांतरण से नाखुश हैं और यदि सूत्रों की मानें तो उन्होंने राज्य चुनाव आयोग से अनुरोध कर डाला है कि उन्हें उनके द्वारा शुरू की गई कई परियोजनाओंं की देखरेख हेतु सूरत में बने रहने की अनुमति दी जाए, जिन्हें उनकी निगरानी की आवश्यकता है।

दिलचस्प बात यह है कि पाणि को गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी का नजदीकी माना जाता है और उन्होंने केंद्रीय डैपुटेशन के लिए अनुरोध किया था। मगर राज्य सरकार उन्हें छोडऩे को तैयार नहीं है। इस तरह अग्रवाल ने गांधी नगर और जी.एस.टी. विभाग में पोस्टिंग की मांग की थी। इसके लिए भी इंकार कर दिया गया। इसकी बजाय विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें सूरत में शांत होकर बैठना होगा जहां आम आदमी पार्टी ने भाजपा के वोट बैंक में महत्वपूर्ण पैठ बना ली है।-दिलीप चेरियन दिल्ली का बाबू

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