Edited By ,Updated: 16 Jun, 2024 05:12 AM
9 जून, 2024 को शपथ लेने वाली नई सरकार की कहानी को 10 शब्दों में संक्षेप में बताया जा सकता है: लोगों ने बदलाव के लिए वोट दिया और नरेंद्र मोदी ने निरंतरता को चुना।
मतदाता : सामान्य बुद्धि से संपन्न मतदाताओं ने सही फैसला किया। उन्होंने पिछले 10...
9 जून, 2024 को शपथ लेने वाली नई सरकार की कहानी को 10 शब्दों में संक्षेप में बताया जा सकता है: लोगों ने बदलाव के लिए वोट दिया और नरेंद्र मोदी ने निरंतरता को चुना।
मतदाता : सामान्य बुद्धि से संपन्न मतदाताओं ने सही फैसला किया। उन्होंने पिछले 10 वर्षों के भाजपा के शासन मॉडल को खारिज कर दिया, लेकिन यदि मोदी ने कोई बड़ा सुधार किया तो वे उन्हें एक और मौका देने के लिए तैयार थे। भाजपा ने 303 सीटों के साथ शुरूआत की और अपने लिए 370 और एन.डी.ए. के लिए 400+ सीटों का लक्ष्य रखा। ये सीटें दोनों लक्ष्यों से बहुत कम रह गईं। अंतत: भाजपा अपने लिए केवल 240 और एन.डी.ए. के लिए 292 सीटें ही हासिल कर पाई।
भाजपा के लिए लोगों का संदेश स्पष्ट था कि घटक दलों की महत्वपूर्ण भूमिकाओं वाली गठबंधन सरकार बनाएं, विभाजनकारी नीतियों को त्यागें, आर्थिक स्थिति की वास्तविकता को स्वीकार करें, सामाजिक विभाजन को दूर करें, घमंडी दावों से बचें और सभी भारतीयों को विकास के रास्ते पर ले जाएं। मतदाताओं ने यह भी निष्कर्ष निकाला कि यद्यपि मुख्य विपक्षी दल, कांग्रेस ने सत्ता हथियाने के लिए दृढ़ प्रयास किया था, लेकिन वह शायद अभी तैयार नहीं है। उसे 9 राज्यों में अपनी जड़ें फिर से जमानी होंगी, जहां लोकसभा की 170 सीटें हैं।
भाजपा : नरेंद्र मोदी को सरकार बनाने के लिए सशर्त जनादेश मिला था लेकिन जैसा कि उनका स्वभाव है, उन्होंने अपने निर्णय पर अहंकार को हावी होने दिया। शुरूआती झटके के बाद, मोदी को एहसास हुआ कि उनकी पार्टी में उनके लिए कोई चुनौती नहीं है और किसी अन्य पार्टी के पास दावा करने के लिए पर्याप्त संख्या नहीं है। उन्होंने यह भी सही निष्कर्ष निकाला कि चंद्रबाबू नायडू (तेदेपा) और नीतीश कुमार (जद-यू) दोनों ही लेन-देन करने वाले नेता थे और दिल्ली में ‘किंगमेकर’ की भूमिका निभाने की बजाय क्रमश: आंध्र प्रदेश और बिहार में अपनी कड़ी मेहनत से जीती गई जमीन को बचाने में अधिक रुचि रखते थे। जैसा कि हुआ, मोदी उन्हें आसानी से धन, योजनाओं और उनके राज्यों के लिए किसी तरह के ‘विशेष दर्जे’ के निजी आश्वासनों से संतुष्ट कर सकते थे। मोदी ने अपनी कोर टीम को दोहराने में गलती की, जिसके बारे में मैं नीचे चर्चा करूंगा।
कांग्रेस : अंकगणित का खेल उल्टा पड़ गया है। कांग्रेस ने 9 राज्यों में से 99 में से 79 सीटें जीती हैं। 170 सीटों वाले 9 अन्य राज्यों में कांग्रेस को केवल 4 सीटें मिलीं (5 राज्यों में शून्य और 4 राज्यों में एक-एक)। यह विश्लेषण करना उपयोगी होगा कि कांग्रेस ने पहले 9 राज्यों में क्या सही किया और बाद के 9 राज्यों में क्या गलत किया। पार्टी ने उदयपुर और रायपुर में अपने सम्मेलनों में तैयारी का काम किया, लेकिन लगता नहीं है कि तैयारी वांछित निष्कर्ष तक आगे बढ़ पाई है। हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं। 2024 के लोकसभा चुनावों में जीती गई सीटों के आधार पर, कांग्रेस ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर तीनों राज्यों में बढ़त बना ली है और राज्यों के विधानसभा चुनावों में उसकी सत्ता हासिल करने की बराबर संभावना है। चूंकि 3 राज्यों में चुनावों के परिणाम उन राज्यों से परे हैं इसलिए भाजपा निश्चित रूप से कड़ी टक्कर देगी। भारतीय जनता पार्टी को जीतने के लिए संघर्ष करना होगा।
सरकार : जब मोदी ने बदलाव की बजाय निरंतरता को चुना, तो उन्होंने खुद ही अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली। मोदी की तीसरी सरकार की संरचना और विभागों के वितरण से कई निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं।
सबसे पहले,मोदी ने मतदाताओं की चेतावनी को ठुकरा दिया है कि वे अपनी सरकार की दिशा और शैली बदलें। दूसरे, उन्होंने हठपूर्वक कहा है कि उनकी सरकार की बुनियादी नीतियों खासकर अर्थव्यवस्था, आंतरिक सुरक्षा और विदेश नीति से संबंधित नीतियों में कुछ भी गलत नहीं है। तीसरे, उन्होंने स्पष्ट रूप से स्वीकार किया है कि उनके रैंक में प्रतिभा की गंभीर कमी थी। चौथे, उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया है कि उनके मंत्रिमंडल में केवल उन लोगों के लिए जगह थी जो यह स्वीकार करते थे कि उनकी तीसरी सरकार पी.एम.ओ. द्वारा संचालित होगी। अंत में उन्हें विश्वास है कि अमित शाह और उनके पास सहयोगियों को सरकार में सम्मानजनक भूमिका दिए बिना प्रबंधित करने के लिए संसाधन हैं।
अभी तक किसी भी मंत्री ने अपनी प्राथमिकताओं या नीतियों के बारे में बात नहीं की है। निर्मला सीतारमण यह दावा करना जारी रख सकती हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। 240 मिलियन लोग गरीबी से बाहर निकल चुके हैं, मुद्रास्फीति कम है, नौकरियां पैदा हो रही हैं और भारत अनिश्चित तिथि पर 5 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा। अमित शाह यह कह सकते हैं कि आतंकवाद को परास्त कर दिया गया है, मणिपुर में संविधान के अनुसार शासन किया जा रहा है, सी.ए.ए. और यू.सी.सी. सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं और आई.पी.सी., सी.आर.पी.सी. और साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने वाले 3 कानून थॉमस बैबिंगटन मैकाले के बाद से भारत के लिए सबसे अच्छी चीजें हैं।
जयशंकर दुनिया की राजधानियों में फोटो खिंचवाने के अवसरों का आनंद ले सकते हैं जबकि चीन चुपचाप भारत के साथ अपनी स्व-घोषित सीमा को मजबूत कर रहा है और मालदीव, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, नेपाल, श्रीलंका और म्यांमार के साथ नए आर्थिक और सैन्य संबंध बना रहा है। राजनाथ सिंह का मानना हो सकता है कि रक्षा मंत्री का काम समय-समय पर सैनिकों का दौरा करके और छोटे मामलों को एन.एस.ए. और सी.डी.एस. पर छोड़ कर पूरा हो जाता है। पीयूष गोयल यह विचार करना जारी रख सकते हैं कि भारत का उद्योग और विदेशी व्यापार फल-फूल रहा है जबकि व्यापार घाटा प्रति वर्ष 200 बिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक रहने की संभावना है (जिसमें अकेले चीन का हिस्सा 85 बिलियन अमरीकी डॉलर है)।
पी.के. मिश्रा को प्रधान सचिव और अजीत डोभाल को एन.एस.ए. के रूप में नियुक्त करने के साथ मोदी सरकार की एकरूपता की पुष्टि पर हस्ताक्षर और मोहर लग गई है। यह निश्चित रूप से मोदी 3.0 नहीं है, यह मोदी 2.1 है। लोग अपने जीवन में ‘बेहतर बदलाव’ चाहते थे। लोगों ने नौकरियों, मूल्य स्थिरता और शांति और सुरक्षा के लिए वोट दिया। अगर वही मंत्री एक ही पद पर बैठें और एक ही नीतियों का प्रचार करें तो यह लोगों के फैसले का क्रूर मजाक होगा। पहले चरण में सरकार गठन के दौरान मोदी लडख़ड़ा गए और देश को विफल कर दिया। लोग दूसरे और तीसरे चरण -राष्ट्रपति के अभिभाषण और बजट का इंतजार कर रहे हैं।-पी. चिदम्बरम