दो देशों के बीच सेतु का काम करते हैं प्रवासी भारतीय

Edited By ,Updated: 09 Jan, 2025 05:55 AM

nris act as a bridge between two countries

भारत अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, विविधता और प्राचीन परंपराओं के लिए जाना जाने वाला देश है। आज दुनिया के 200 से अधिक देशों में बसे 6.24 करोड़ प्रवासी भारतीय न केवल अपने मूल देश की सांस्कृतिक पहचान को बचाए हुए हैं, बल्कि अपने कार्यक्षेत्र में सफलता...

भारत अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, विविधता और प्राचीन परंपराओं के लिए जाना जाने वाला देश है। आज दुनिया के 200 से अधिक देशों में बसे 6.24 करोड़ प्रवासी भारतीय न केवल अपने मूल देश की सांस्कृतिक पहचान को बचाए हुए हैं, बल्कि अपने कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्त कर भारत को गौरवान्वित भी कर रहे हैं। इनमें से 3.5 करोड़ से अधिक प्रवासी भारतीय ऐसे हैं, जो स्थायी रूप से विदेश में बस गए हैं, लेकिन उनका अपनी मातृभूमि से जुड़ाव बरकरार है।

सरकार ने प्रवासी भारतीयों को जोडऩे और उन्हें भारतीय विकास प्रक्रिया में भागीदार बनाने के लिए कई पहल की हैं। इनमें से एक प्रमुख पहल हर साल आयोजित होने वाला प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन है। इस वर्ष 18वां प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन 8 से 10 जनवरी तक ओडिशा के भुवनेश्वर में आयोजित किया जा रहा है। इस बार मुख्य विषय ‘विकसित भारत में प्रवासी भारतीयों का योगदान’ है।

भारत के आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास में प्रवासी भारतीयों का योगदान अतुलनीय है। वे भारत और अन्य देशों के बीच एक मजबूत सेतु का काम करते हैं। वर्ष 2023 में एन.आर.आई. द्वारा भारत को भेजी गई धनराशि 120 बिलियन अमरीकी डालर थी, जो दुनिया में सबसे अधिक थी। आज भारत के प्रमुख आर्थिक सांझेदारों में कनाडा, अमरीका, सऊदी अरब, कतर, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय देश शामिल हैं। कनाडा में करीब 16 लाख एन.आर.आई. रहते हैं, जो वहां की कुल आबादी का करीब 3 प्रतिशत है। इसी तरह सऊदी अरब में 24.6 लाख और कतर में 8.20 लाख प्रवासी भारतीय रहते हैं।

ये भारतीय न केवल अपने कारोबार और व्यवसायों में सफलता प्राप्त कर रहे हैं, बल्कि उन देशों के सामाजिक और आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। भारत सरकार ने एन.आर.आई. के कल्याण के लिए कई योजनाएं लागू की हैं। इनमें प्रवासी भारतीय बीमा योजना (पी.बी.बी.वाई.) विशेष रूप से उल्लेखनीय है। यह योजना विदेशों में काम करने वाले भारतीयों को 10 लाख रुपए तक का बीमा कवर प्रदान करती है।  इस योजना के तहत अब तक 80 लाख से अधिक एन.आर.आई. लाभ प्राप्त कर चुके हैं। इसके अलावा प्रस्थान-पूर्व अभिविन्यास प्रशिक्षण (पी.डी.ओ.टी.) जैसे कार्यक्रम प्रवासी श्रमिकों को विदेश जाने से पहले आवश्यक प्रशिक्षण और जानकारी प्रदान करते हैं।

अनिवासी भारतीय न केवल आर्थिक क्षेत्र में बल्कि सांस्कृतिक, शैक्षिक और वैज्ञानिक क्षेत्रों में भी भारत का नाम रोशन कर रहे हैं। भारतीय मूल के डाक्टर, वैज्ञानिक और शिक्षाविद विभिन्न देशों में अपनी विशेषज्ञता के लिए पहचाने जाते हैं। उनके योगदान से न केवल संबंधित देशों को लाभ होता है, बल्कि भारतीय मूल की पहचान भी मजबूत होती है।  भारत ने अनिवासी भारतीयों को उनके अधिकार और सुविधाएं प्रदान करने के लिए वीजा नियमों को सरल बनाया है। अब तक 133 देशों के साथ वीजा छूट समझौते पर हस्ताक्षर किए जा चुके हैं और 166 देशों में ई-वीजा सुविधा उपलब्ध है। इससे अनिवासी भारतीयों के लिए भारत आना और इसके विकास में योगदान देना आसान हो गया है।

भारत की वैश्विक उपस्थिति और प्रतिष्ठा अनिवासी भारतीयों के लिए गर्व की बात है। भारत की डिजिटल क्रांति ने इसे एक अग्रणी राष्ट्र के रूप में स्थापित किया है। आज भारत में वैश्विक रीयल-टाइम डिजिटल लेन-देन का 40 प्रतिशत हिस्सा है। इसके अलावा भारत का स्टार्टअप ईकोसिस्टम दुनिया के टॉप-3 में शामिल है। यह सब प्रवासी भारतीयों के योगदान और भारत सरकार की नीतियों का परिणाम है। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में भारत की उपलब्धियां भी प्रवासी भारतीयों के लिए गर्व की बात हैं। भारत ने एक साथ 100 से अधिक उपग्रहों को प्रक्षेपित करने का कीर्तिमान स्थापित किया है। भारत के स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस, विमानवाहक पोत आई.एन.एस. विक्रांत और परमाणु पनडुब्बी अरिहंत जैसी परियोजनाओं ने भारत की तकनीकी और रक्षा क्षमताओं को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। भारत सरकार द्वारा प्रवासी भारतीयों के लिए शुरू किए गए संवाद तंत्र भी उनकी समस्याओं के समाधान और सुझाव प्राप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करते हैं। कांसुलर संवाद प्रणाली के तहत अब तक 30 से अधिक देशों के साथ द्विपक्षीय समझौते किए जा चुके हैं, जिसके माध्यम से वीजा और अन्य मुद्दों पर चर्चा की जाती है।

प्रवासी भारतीय न केवल अपने परिवारों और समुदायों के लिए प्रेरणास्रोत हैं, बल्कि भारत के वैश्विक संबंधों के निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनकी उपलब्धियां भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं और यह साबित करती हैं कि भारत के मूल्यों और शिक्षा की वैश्विक स्तर पर कितनी मांग है। आज भारत एक मजबूत और विकसित राष्ट्र के रूप में उभर रहा है। इसकी बढ़ती अर्थव्यवस्था, वैश्विक मंच पर प्रभावशाली उपस्थिति और तकनीकी प्रगति यह संकेत देती है कि भारत एक मजबूत भविष्य की ओर अग्रसर है। इस यात्रा में प्रवासी भारतीय समुदाय अहम भूमिका निभा रहा है। आखिरकार प्रवासी भारतीय समुदाय न केवल भारत की समृद्ध परंपरा का संरक्षक है, बल्कि वह एक ऐसा पुल भी बना रहा है जो भारत और बाकी दुनिया के बीच संबंधों को मजबूत करता है। उनकी कड़ी मेहनत, समर्पण और भारत के प्रति निष्ठा ही उन्हें अद्वितीय बनाती है। भारत और प्रवासी भारतीयों के बीच यह आपसी सहयोग न केवल वर्तमान में लाभकारी है, बल्कि भविष्य में दोनों के लिए समृद्धि और विकास के नए द्वार भी खोलेगा।-देवेन्द्रराज सुथार 
 

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