‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ : विकसित राष्ट्र की ओर एक कदम

Edited By ,Updated: 26 Oct, 2024 05:37 AM

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प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी जी ने समूचे विश्व के समक्ष भारत को वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र के रूप में प्रस्तुत करने का संकल्प प्रस्तुत किया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने समूचे विश्व के समक्ष भारत को वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र के रूप में प्रस्तुत करने का संकल्प प्रस्तुत किया है। इस यात्रा को सफल करने के लिए उन्होंने बार-बार यह भी कहा है कि भारत के एक-एक नागरिक का यथासंभव सहयोग, कर्मठता और उद्यमशीलता एक-एक बूंद की तरह भारत के आर्थिक समुद्र को भरेगी। इसीलिए उन्होंने ‘सबका साथ, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ का आह्वान किया। 

यदि भारत को वास्तव में विकसित बनाना है तो भारत के एक-एक अंग को कदम से कदम मिलाकर पूरी गति के साथ आगे बढ़ते हुए दिखाई देना चाहिए। इसके लिए आवश्यक है कि केवल केन्द्र सरकार के सभी मंत्रालयों में ही नहीं, अपितु सभी राज्य सरकारों में भी इस मिशन पर आगे बढऩे का उत्साह दिखाई देना चाहिए। इसी उद्देश्य से ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ की योजना तैयार करने पर कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। इस सम्बन्ध में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपनी रिपोर्ट भी दे दी है। 
इस लेख के माध्यम से मैं मननशील नागरिकों के समक्ष कुछ विचारणीय बिन्दू रखना चाहता हूं जो यह सिद्ध करते हैं कि समूचे राष्ट्र में केन्द्र और राज्यों के निर्वाचन एक साथ करवाने के अनेकों लाभ होंगे। इस योजना से संसद और विधानसभाओं की अवधि एक साथ चलेगी। इसका सर्वप्रथम लाभ यह होगा कि चुनाव आयोग को हर निर्वाचन से पूर्व मतदाता सूची का जो नवीनीकरण करना पड़ता है, संसद और राज्यों के निर्वाचन एक साथ होने पर चुनाव आयोग का यह कार्य 5 वर्ष में एक ही बार हुआ करेगा। अलग-अलग चुनाव होने की दशा में प्रत्याशियों के नामांकन भरने की प्रक्रिया का अलग-अलग प्रबंध करना पड़ता है।

इसके लिए सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को अपने-अपने मंत्रालयों और विभागों के काम छोड़कर नामांकन प्रक्रिया का काम सौंप दिया जाता है। सारे देश में यदि 5 वर्ष में एक ही बार निर्वाचन प्रक्रिया लागू की जाए तो इतनी भारी मात्रा में सरकारी विभागों के काम को छोड़कर निर्वाचन का काम संभालने वाले स्टाफ का समय कम व्यर्थ होगा। निर्वाचन के कार्यों में सरकारी कार्यालयों के साथ-साथ भारी मात्रा में स्कूल के अध्यापकों को भी नियुक्त किया जाता है। इस प्रकार एक चुनाव से अध्यापकों का समय भी व्यर्थ नहीं होगा। संसद और राज्यों के अलग-अलग चुनाव करवाने पर राजनीतिक दलों के खर्चे भी बार-बार बहुत बड़ी मात्रा में होते हैं।

यदि 5 वर्षों में एक ही बार चुनाव होंगे तो राजनीतिक दलों के खर्चों में भी कटौती होगी। अलग-अलग निर्वाचन होने पर पोस्टरबाजी, दीवारों पर प्रचार आदि के साथ-साथ सार्वजनिक रूप से शोर-शराबा भी बहुत होता है। एक निर्वाचन की अवस्था में यह सार्वजनिक शोर और दिखावा 5 वर्ष में एक ही बार होगा। कोई भी राजनीतिक दल जब सत्ता में रहते हुए निर्वाचन में भाग लेता है तो वह सत्ता का लाभ उठाते हुए हर निर्वाचन से पूर्व कई सार्वजनिक घोषणाएं करता है। कई बार तो ये घोषणाएं हास्यास्पद होती हैं। एक चुनाव की अवस्था में इस प्रकार की निरर्थक घोषणाओं में भी कमी आएगी और सरकारी खजाने पर बोझ भी नहीं पड़ेगा। हर चुनाव के समय कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए भी भारी मात्रा में पुलिस और अर्ध सैनिक बलों का प्रबंध करना पड़ता है। एक चुनाव होने की अवस्था में देश पर यह बोझ भी कम होगा। केन्द्र और राज्यों के निर्वाचन एक साथ करवाने पर मतदाताओं के बीच भिन्न-भिन्न दलों को वोट देने के विषय पर असमंजस भी कम होगा। 
केंद्र और राज्यों के निर्वाचन अलग-अलग करवाते समय बार-बार 1-2 महीनों के लिए चुनाव संहिता के कारण सरकारी काम-काज ठप्प-सा हो जाता है। 

जब ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ की बात हो रही है तो सरकार को इस संबंध में एक विशेष नियम बनाना चाहिए कि एक व्यक्ति एक ही सीट पर और एक ही सदन के लिए चुनाव लड़े। इस नियम से भी निरर्थक खर्च कम होगा। एक चुनाव से जाली वोटों की समस्या भी काफी हद तक सुलझ सकती है। एक नागरिक एक ही स्थान पर वोट कर पाएगा। सारे देश में एक चुनाव होने से मतदान प्रतिशत में भी वृद्धि होगी। इसी वर्ष दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली क्षेत्र में स्थापित लगभग आधा दर्जन बार एसोसिएशनों के निर्वाचन को एक ही तिथि पर सम्पन्न करने का आदेश दिया। यह पहली बार होगा कि जब दिल्ली के वकील केवल अपनी-अपनी एक बार एसोसिएशन के लिए मतदान करेंगे। ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ की योजना के साथ-साथ निर्वाचन आयोग को यह व्यवस्था भी करनी चाहिए कि सार्वजनिक रूप से टी. वी. तथा रेडियो के माध्यम से सभी उम्मीदवारों को प्रचार के अनुपातिक नि:शुल्क अवसर प्रदान किए जाएं। यह व्यवस्था संसद और विधानसभाओं के चुनाव में भाग लेने वाले सभी उम्मीदवारों को उपलब्ध कराई जानी चाहिए।-अविनाश राय खन्ना(पूर्व सांसद)

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