नमक और चीनी में प्लास्टिक

Edited By ,Updated: 23 Aug, 2024 05:41 AM

plastic in salt and sugar

पिछले सप्ताह एक एन.जी.ओ. द्वारा किए गए शोध से पता चला कि देश में अधिकतर नमक और चीनी निर्माता हमें प्लास्टिक के छोटे-छोटे कण खिला रहे हैं। ‘टॉक्सिक्स लिंक’ नाम की एक एन.जी.ओ. के पर्यावरण अनुसंधान विभाग द्वारा किए गए एक शोध के बाद यह दावा किया गया।

पिछले सप्ताह एक एन.जी.ओ. द्वारा किए गए शोध से पता चला कि देश में अधिकतर नमक और चीनी निर्माता हमें प्लास्टिक के छोटे-छोटे कण खिला रहे हैं। ‘टॉक्सिक्स लिंक’ नाम की एक एन.जी.ओ. के पर्यावरण अनुसंधान विभाग द्वारा किए गए एक शोध के बाद यह दावा किया गया। जब से यह खबर उजागर हुई तो उपभोक्ताओं के मन में कई तरह के सवाल उठने लगे हैं। भारत में बढ़ते हुए कैंसर, दिल के रोगों, मोटापे और अन्य बीमारियों का कारण भी कहीं रोजमर्रा खाने वाले नमक और चीनी में मौजूद ये प्लास्टिक के कण तो नहीं? यदि ऐसा है तो यह एक गंभीर मामला है। घरेलू नमक और चीनी में पाए जाने वाले माइक्रोप्लास्टिक के कण इतने सूक्ष्म होते हैं कि इन्हें आप अपनी आंख से देख भी नहीं सकते। चिंता की बात यह है कि प्लास्टिक के इतने सूक्ष्म कण आपके शरीर में कई सालों तक रह सकते हैं। इतने वर्ष तक यदि ऐसे कण आपके शरीर में रह जाएंगे तो इनका आपकी सेहत पर दुष्प्रभाव तो पड़ेगा ही। अब चूंकि  यह शोध सामने आया है तो इसे गंभीरता से लेते हुए इसकी विस्तृत जांच भी होनी चाहिए और साथ ही दोषियों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई भी की जानी चाहिए। 

आज के दौर में हम जितना भी सादा भोजन करें हम किसी न किसी मात्रा में नमक और चीनी तो लेते ही होंगे। यदि इन जरूरी तत्वों के सेवन से हमें कैंसर और दिल के रोग होने लग जाएं तो इंसान कहां जाए? यदि मिलावटी मसालों की बात होती है तो हम अपनी दादी-नानी के घरेलू नुस्खे आजमा कर रोजमर्रा के मसालों को घर में ही कूट-पीस सकते हैं। यदि दूषित पानी और कीटनाशक से उगी सब्जियों और फलों की शिकायत मिले तो हम जैविक खेती की मदद से शुद्ध सब्जियों और फलों का सेवन कर लेते हैं। परंतु यदि हर घर में इस्तेमाल होने वाले नमक और चीनी में ही इस कदर मिलावट होने लगे तो आप क्या करेंगे? लालच इंसान को इस हद तक ले जाता है कि मुनाफे के चक्कर में कुछ चुनिंदा उद्योगपति आम जनता को जहर परोस रहे हैं। 

‘माइक्रोप्लास्टिक्स इन सॉल्ट एंड शूगर’ नाम की इस स्टडी में ‘टॉक्सिक्स लिंक’ ने टेबल सॉल्ट, रॉक सॉल्ट, समुद्री नमक और स्थानीय कच्चे नमक सहित 10 प्रकार के नमक और ऑनलाइन तथा स्थानीय बाजारों से खरीदी गई 5 प्रकार की चीनी का टैस्ट करने के बाद इस स्टडी को पेश किया। अध्ययन में यह चौंकाने वाला सच सामने आया कि नमक और चीनी के सभी नमूनों में अलग-अलग तरह के माइक्रोप्लास्टिक्स शामिल थे। इनमें फाइबर, पेलेट्स, फिल्म्स और फ्रैगमैंट्स पाए गए। शोध के अनुसार इन माइक्रोप्लास्टिक्स का आकार 0.1 मि.मी. से 5 मि.मी. के बीच पाया गया। सबसे अधिक माइक्रोप्लास्टिक्स की मात्रा आयोडीन युक्त नमक में पाई गई, जो मल्टीकलर के पतले फाइबर और फिल्म्स के रूप में थे। 

जांच रिपोर्ट के अनुसार, चीनी के नमूनों में, माइक्रोप्लास्टिक्स की मात्रा 11.85 से 68.25 टुकड़े प्रति किलोग्राम तक पाई गई, जिसमें सबसे अधिक मात्रा गैर-ऑर्गैनिक चीनी में पाई गई। वहीं गौरतलब है कि नमक के नमूनों में प्रति किलोग्राम माइक्रोप्लास्टिक्स की मात्रा 6.71 से 89.15 टुकड़े तक पाई गई। आयोडीन वाले नमक में माइक्रोप्लास्टिक्स की सबसे अधिक मात्रा (89.15 टुकड़े प्रति किलोग्राम) और ऑर्गैनिक रॉक सॉल्ट में सबसे कम (6.70 टुकड़े प्रति किलोग्राम) पाई गई। उल्लेखनीय है कि इस विषय पर किए गए पिछले शोधों में पाया गया है कि औसत भारतीय हर दिन 10.98 ग्राम नमक और लगभग 10 चम्मच चीनी का सेवन करता है, जो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की तय सीमा से काफी अधिक है। ऐसे में यदि हमारे शरीर में माइक्रोप्लास्टिक्स भी प्रवेश कर रहे हैं तो ये हमें कितना नुकसान पहुंचाएंगे इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। 

माइक्रोप्लास्टिक्स के कण मानव शरीर में मिलावटी भोजन के अलावा हवा और पानी के जरिए भी प्रवेश कर सकते हैं। एक अन्य शोध में यह भी पता चला कि माइक्रोप्लास्टिक्स मानव शरीर में फेफड़े, हृदय जैसे अन्य महत्वपूर्ण अंगों में बड़ी आसानी से प्रवेश कर लेते हैं। इतना ही नहीं एक शोध में यह भी पाया गया कि नवजात व अजन्मे बच्चों में भी माइक्रोप्लास्टिक्स प्रवेश कर चुके हैं। चिंता का विषय यह है कि भारत में निर्मित चीनी और नमक में इतनी मात्रा में मिलने वाले ऐसे तत्व क्यों पाए जा रहे हैं? क्या ऐसी स्टडी पहली बार हुई है? इससे पहले भी कई तरह के शोध मिलावटी उत्पादों को लेकर हुए हैं। क्या उन पर उचित कार्रवाई की गई? क्या सरकार ने ऐसे कड़े नियम बनाए कि ऐसी गलती करने पर निर्माताओं के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए? वैज्ञानिक शोध का मतलब स्पष्ट रूप से यही होता है कि जिस भी शोध में कुछ भी हानिकारक पता चले, उसे जनता के सामने पेश किया जाए। 

आने वाले समय में देखना यह होगा कि देश भर में काम कर रही ऐसी तमाम एन.जी.ओ. के शोध को सरकार कितनी गंभीरता से लेती है और दोषियों के खिलाफ क्या कानूनी कार्रवाई की जाती है। तब तक के लिए हमें सचेत रहना चाहिए और जहां तक संभव हो मिलावटी उत्पादों से बचना चाहिए।-रजनीश कपूर 
 

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!