Edited By ,Updated: 08 Jan, 2025 05:26 AM
महिलाओं की मर्यादा और सशक्तिकरण की पैरवी करने वाले नेता चुनाव आते ही सब कुछ भूल जाते हैं और महिलाओं को चुनावों में हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने से बाज नहीं आते। महिलाओं के लिए अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल करने में किसी भी दल के नेता पीछे नहीं हैं।...
महिलाओं की मर्यादा और सशक्तिकरण की पैरवी करने वाले नेता चुनाव आते ही सब कुछ भूल जाते हैं और महिलाओं को चुनावों में हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने से बाज नहीं आते। महिलाओं के लिए अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल करने में किसी भी दल के नेता पीछे नहीं हैं। सर्वाधिक आश्चर्य यह है कि ऐसे मामलों में राजनीतिक दल अपने नेताओं का व्यक्तिगत बयान कह कर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं। ऐसे में यदि नेता को लगता है कि ज्यादा विवाद हो गया है और इससे विशेषकर महिला वोटों का नुकसान हो सकता है तो बेशर्मी के साथ माफी मांग ली जाती है। ऐसे भी नेताओं की कमी नहीं है जिन्हें महिलाओं के प्रति ओछी टिप्पणी करने पर किसी तरह आत्मग्लानि नहीं होती, उल्टे वे रावण की तरह अहंकारी बन कर माफी मांगने से साफ इंकार कर देते हैं।
महिलाओं के अपमान की इस फेहरिस्त में एक और नेता का नाम जुड़ गया है। भाजपा के कालकाजी विधानसभा क्षेत्र से पार्टी प्रत्याशी रमेश बिधूड़ी ने कहा कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में जीत के बाद वह क्षेत्र की सड़कों को कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के ‘गाल’ जैसी बना देंगे। हालांकि, बाद में उन्होंने कहा यदि उनकी टिप्पणियों से किसी को ठेस पहुंची है तो वह खेद प्रकट करते हैं। प्रियंका गांधी पर की गई भद्दी टिप्पणी पर भाजपा के मौन साधने से बिधूड़ी के हौसले और बुलंद हो गए।
इसके बाद दिल्ली के रोहिणी में एक चुनावी रैली में दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी पर निजी हमला करते हुए बिधूड़ी ने कहा कि आतिशी, जो कि मारलेना थीं, अब वह सिंह बन गई हैं। यहां तक कि उन्होंने अपने पिता को बदल दिया। बिधूड़ी ने कहा कि यह आम आदमी पार्टी के चरित्र को दर्शाता है।
सार्वजनिक जीवन में महिलाएं पहनावे, वजन, रूप-रंग या बर्ताव को लेकर भी अक्सर और राजनेता पुरुष नेताओं के हाथों अश्लील, अभद्र और तौहीन भरी टिप्पणिओं की शिकार होती रही हैं। चुनावी रैलियों में अक्सर राजनीतिक बयानबाजी में महिलाओं को निशाना बनाया जाता है। वर्ष 2012 में नरेंद्र मोदी ने चुनावी रैली में कांग्रेस नेता शशि थरूर की पत्नी सुनंदा थरूर के बारे में कहा था कि वाह क्या गर्लफ्रैंड है। आपने कभी देखी है 50 करोड़ की गर्लफ्रैंड। इस पर पलटवार करते हुए शशि थरूर ने जवाब दिया था कि मोदी जी मेरी पत्नी 50 करोड़ की नहीं बल्कि अनमोल है, लेकिन आप को यह समझ में नहीं आएगा क्योंकि आप किसी के प्यार के लायक नहीं हैं।
दिसम्बर 2012 में दिल्ली में निर्भया गैंगरेप के बाद पश्चिम बंगाल के जांगीपुर से कांग्रेस सांसद अभिजीत मुखर्जी ने इस मुद्दे पर कहा था कि विरोध प्रदर्शनों में हिस्सा ले रही छात्राएं सजी-संवरी महिलाएं हैं, जिन्हें असलियत के बारे में कुछ नहीं पता। मुखर्जी ने कहा कि ये सजी संवरी महिलाएं पहले डिस्कोथेक में गईं और फिर इस गैंगरेप के खिलाफ विरोध दिखाने इंडिया गेट पर पहुंचीं। हालांकि इसके बाद मुखर्जी ने अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांग ली थी।
2018 में जया बच्चन को समाजवादी पार्टी की ओर से राज्यसभा में फिर से नामांकित किया गया तो भाजपा नेता नरेश अग्रवाल ने जया बच्चन को फिल्मों में नाचने वाली बताया। इसी तरह वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में ‘आधार’ पर बयान के दौरान कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी की हंसी पर मुस्कुराते हुए कहा था कि ‘सभापति जी रेणुका जी को आप कुछ मत कहिए, रामायण सीरियल के बाद ऐसी हंसी सुनने का आज सौभाग्य मिला है।’ बाद में केंद्र सरकार में राज्यमंत्री किरेन रिजिजू ने फेसबुक पर एक वीडियो शेयर कर रेणुका चौधरी की हंसी की तुलना रामायण की किरदार शूर्पणखा से कर डाली। इसके बाद भाजपा आई.टी. सैल के प्रमुख अमित मालवीय ने रामायण में शूर्पणखा की नाक काटे जाने का दृश्य भी ट्विटर पर शेयर किया।
2018 में राजस्थान में चुनावी सभा में जनता दल (यू) के तत्कालीन नेता शरद यादव ने तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर व्यक्तिगत टिप्पणी करते हुए कहा कि इन्हें आराम दो, बहुत थक गई हैं। बहुत मोटी हो गई हैं, पहले पतली थीं। शरद यादव की कमान से महिलाओं के प्रति फूहड़ अंदाज का ऐसा तीर पहली बार नहीं निकला। जून 1997 में संसद में महिला आरक्षण बिल पर बहस में यादव ने कहा था कि इस बिल से सिर्फ परकटी औरतों को फायदा पहुंचेगा। परकटी शहरी महिलाएं हमारी ‘ग्रामीण महिलाओं’ का प्रतिनिधित्व कैसे करेंगी। गौरतलब है कि शरद यादव को सर्वश्रेष्ठ सांसद का अवॉर्ड मिल चुका है।
महिलाओं पर विवादित बयानों की ये फेहरिस्त लंबी है। समाजवादी पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने निर्भया बलात्कार कांड के बाद बयान दिया था कि लड़कों से गलती हो जाती है और इसके लिए उन्हें मौत की सजा नहीं देनी चाहिए। इस पर काफी बवाल हुआ था। महिलाओं के प्रति अपमानजनक बोल बोलने के मामलों में सर्वाधिक आश्चर्य तो महिला आयोगों की भूमिका पर होता है। महिला आयोग चाहे राज्य स्तर के हों या राष्ट्रीय स्तर के, सभी चुप्पी साधे रहते हैं। इन्हें महिलाओं के अपमान, दुव्र्यवहार की कोई ङ्क्षचता नहीं है। चूंकि आयोगों में पदाधिकारियों की नियुक्यिां सत्तारूढ़ राजनीतिक दलों की ओर से की जाती हैं, ऐसे में आयोग सत्तारूढ़ दलों के नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने का साहस नहीं जुटा पाते। देश के मतदाताओं को महिलाओं की बेइज्जती करने वाले नेताओं को सबक सिखाना चाहिए ताकि दूसरे नेता भी इससे सीख ले सकें कि निहित राजनीतिक स्वार्थों के लिए महिलाओं के सम्मान से समझौता करने वालों का हश्र क्या होता है।-योगेन्द्र योगी