Edited By ,Updated: 17 Aug, 2023 05:26 AM
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अपर बारी दोआब कैनाल (यू.बी.डी.सी.) हाइडल पावर प्रोजैक्ट पंजाब स्टेट पावर कार्पोरेशन लिमिटेड (पी.एस.पी.सी. एल.) का करीब 52 साल पुराना हाइडल प्रोजैक्ट है। पी.एस.पी.सी.एल. पूर्व में पी.एस.ई.बी. ने 8वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान पंजाब में बिजली की मांग...
अपर बारी दोआब कैनाल (यू.बी.डी.सी.) हाइडल पावर प्रोजैक्ट पंजाब स्टेट पावर कार्पोरेशन लिमिटेड (पी.एस.पी.सी. एल.) का करीब 52 साल पुराना हाइडल प्रोजैक्ट है। पी.एस.पी.सी.एल. पूर्व में पी.एस.ई.बी. ने 8वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान पंजाब में बिजली की मांग को पूरा करने के लिए तैयार किए गए कार्यक्रम में यू.बी.डी.सी. स्टेज 2 के बिजली घर -2 और 3 को शामिल किया था।
पी.एस.पी.सी.एल. के अंतर्गत चल रहा यू.बी.डी.सी. हाइड्रो इलैक्ट्रीकल प्रोजैक्ट पठानकोट जिले में मौजूद है। मेन अपर बारी दोआब कैनाल के समानांतर निर्मित 22.165 किलोमीटर लम्बी यू.बी.डी.सी. हाइडल नहर के 3 पावर हाऊस हैं। इन पावर हाऊसों को चलाने के लिए रणजीत सागर डैम से रावी दरिया में छोड़े जाने वाले पानी को माधोपुर हैडवक्र्स के द्वारा रैगुलेट करने के बाद इस कैनाल में पहुंचाया जाता है। ये 3 पावर हाऊस फिरोजपुर कलां, सुजानपुर और सरना स्थित माधोपुर हैडवक्र्स से क्रमवार करीब 4, 8 और 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। हर पावर हाऊस के 2 यूनिट स्टेज-1 और स्टेज-2 हैं। स्टेज-1 के 3 यूनिटों का निर्माण वर्ष 1971-73 के दौरान और स्टेज-2 यूनिटों का निर्माण 1989-1992 में किया गया था। स्टेज-1 के प्रत्येक यूनिट की बिजली की पैदावार करने की क्षमता 15 मैगावाट है और स्टेज-2 की क्षमता 15.45 मैगावाट है। इस तरह इस प्रोजैक्ट की कुल क्षमता 19.35 मैगावाट है।
इस प्रोजैक्ट की स्टेज-1 के पहला यूनिट 30 अगस्त, 1971 को, दूसरा यूनिट 24 मई, 1972 और तीसरा यूनिट 12 अप्रैल, 1973 को बिजली का उत्पादन शुरू कर चुका है। इस प्रोजैक्ट की स्टेज-2 के प्रथम यूनिट ने 6 अगस्त, 1989 को, दूसरे यूनिट ने 26 मई, 1991 और तीसरे यूनिट ने 1 जनवरी,1992 को बिजली का उत्पादन शुरू कर दिया था। पावर प्लांटों में वर्टिकल सॉफ्ट कैपलन ट्रबाइनें लगी हुई हैं। यहां ए.ई.आई. (यू.के.) और बी.एच.ई.एल. के जैनरेटर लगे हुए हैं।
पी.एस.पी.सी.एल. के मुख्य अभियंता, यू.बी.डी.सी. प्रोजैक्ट्स, मलिकपुर, इंजी. सुरिंद्र बैंस के अनुसार यह प्रोजैक्ट पंजाब का चलती नहर पर स्थापित सबसे प्रथम और महत्वपूर्ण हाइड्रो पावर प्लांट है जो पंजाब के साथ-साथ पड़ोसी राज्यों की बिजली की जरूरतों को भी नियमित तौर पर करीब 52 सालों से पूरा कर रहा है। इस प्रोजैक्ट से बिजली की एक यूनिट पैदा करने की औसत कीमत 40 पैसे है। इस तरह यह बिजली का एक बहुत ही सस्ता विकल्प होने के साथ-साथ अन्य कई प्रकार से लाभकारी प्रोजैक्ट है। यह प्रोजैक्ट पंजाब सरकार की एक बहुमुखी योजना है जो बिजली के साथ-साथ राज्य की सिंचाई जरूरतों को भी पूरा कर रहा है। इसकी हाइडल चैनल के पानी से पंजाब के किसान सिंचाई कर सफल खेतीबाड़ी कर रहे हैं। इस योजना के साथ आसपास के जमीनी पानी के स्तर में भी काफी सुधार हुआ है।
इस प्रोजैक्ट के पावर प्लांटों पर 11 के.वी. बिजली तैयार करके जैनरेटिंग ट्रांसफार्मरों द्वारा 132 के.वी., स्टैपअप करके डबल सर्कट के माध्यम से 132 के.वी. ग्रिड के साथ लिंक किया जाता है। बिजली को पावर हाऊस 1 से पावर हाऊस 2 तथा आगे इंटरलॉकिंग ग्रिड सब-स्टेशन सरना तथा 2020 के.वी. सब-स्टेशन सरना (पी.एस.पी.सी.एल.) आपस में 220/132 के.वी. आटो ट्रांसफार्मरों द्वारा जुड़े हुए हैं। यहां यह बिजली गुरदासपुर तथा पठानकोट के 132 के.वी. ग्रिडों तथा दोनों जिलों के 15 के करीब 66 के.वी. बिजली घरों को जरूरत के अनुसार भेजी जाती है। इसके अलावा पड़ोसी राज्य जम्मू के अधीन पड़ते 66 के.वी. कठुआ को भी यहां से बिजली की आपूर्ति की जाती है। इंजी. सुरिंद्र बैंस के अनुसार रणजीत सागर डैम से बिजली पैदा करने के उपरांत मिलने वाले पानी के द्वारा इस प्रोजैक्ट से अधिक से अधिक बिजली पैदा की जाती है और बाद में इस पानी को राज्य के सिंचाई के कार्यों के लिए इस्तेमाल के लिए लाया जाता है। इस प्रोजैक्ट के साथ 2005-06 में 530.62 मिलियन यूनिट तथा वर्ष 2019-20 में 471.889 मिलियन यूनिट का रिकार्ड उत्पादन किया गया है।-मनमोहन सिंह (उपसचिव लोकसंपर्क, पी.एस.पी.सी.एल.)