रियल लाइफ पर हावी होतीं रील्स

Edited By ,Updated: 03 Jul, 2024 05:45 AM

reels dominate real life

भारत में टिकटॉक प्रतिबंधित होने के पश्चात रील्स/मीम्स बनाने के निरंतर बढ़ते प्रचलन ने मानो समूचा परिदृश्य ही बदलकर रख दिया है।

भारत में टिकटॉक प्रतिबंधित होने के पश्चात रील्स/मीम्स बनाने के निरंतर बढ़ते प्रचलन ने मानो समूचा परिदृश्य ही बदलकर रख दिया है। विविध विषयों से संबद्ध ढेरों रील्स आज सोशल मीडिया के विभिन्न मंचों पर मिल जाएंगी। रातों-रात दौलत-शोहरत बटोरने के जनून ने मानवीय लालसा को ऐसे मोड़ पर ला खड़ा किया है, जहां सबसे हटकर दिखने की चाहत में लोग अपना जीवन तक दांव पर लगाने से नहीं चूकते। साहसिक कृत्य दिखाने के नाम पर बनी रील्स देखकर कई बार रौंगटे खड़े हो जाते हैं। 

हाल ही में एक वीडियो सोशल मीडिया पर खासा वायरल हुआ, बारिश के दौरान छत पर नृत्य करते हुए दोस्त से वीडियो बनवा रही लड़की अचानक ही पास में बिजली गिरने से बाल-बाल बच गई। महाराष्ट्र में ड्राइविंग के दौरान एक लड़की पर रील बनाने का फितूर इस कदर हावी हुआ कि रिवर्स गियर में गाड़ी चला रही लड़की ने ब्रेक की जगह एक्सीलेटर दबा दिया। कार सहित 300 फुट गहरी खाई में गिरने के कारण उसकी मौत हो गई। अप्रैल माह के दौरान लखनऊ में रील बनाने की मंशा से पानी की टंकी पर चढ़ा एक युवक पैर फिसलने के कारण टंकी में जा गिरा। जांच के उपरांत डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। 

उपरोक्त  उदाहरण स्पष्ट संकेत हैं कि रील मेकिंग को भले ही फेसबुक, इंस्टाग्राम, यू-ट्यूब सरीखी सोशल साइट्स की दुनिया में एक नवीन क्रांति का पदार्पण मानें, किंतु स्याह पक्ष के तौर पर इसका जनूनी हद तक पहुंचना चिंताजनक है। 
रोहतक के भारतीय प्रबंधन संस्थान (आई.आई.एम.) के एक सर्वेक्षणानुसार, युवा प्रतिदिन औसतन 7 घंटे सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं। पुरुषोंं की तुलना में महिलाओं की सक्रियता लगभग 20 मिनट अधिक आंकी गई। आंकड़ों के मुताबिक, एक दिन में फेसबुक, इंस्टाग्राम पर 140 बिलियन से अधिक रील्स चलती हैं, हालांकि उनमें से सभी वायरल नहीं हो पातीं। 

शौक जब सनक बनकर सिर चढ़ जाए तो तर्कशीलता विलुप्त हुई जान पड़ती है, लोग नियम-कानून की धज्जियां तक उड़ाने से नहीं चूकते। मुंद्रा में भद्रेश्वर के पास राध बंदर में तट के किनारे थार पर स्टंट करते हुए रील बनाना युवाओं पर भारी पड़ गया। न केवल उनकी कारें समुद्र में फंस गईं, बल्कि इंस्टाग्राम पर पोस्ट वीडियो संबंधी जानकारी मिलते ही पुलिस ने दोनों ड्राइवरों के खिलाफ भी मामला दर्ज कर लिया।  रील बनाने की धुन महिलाओं में सर्वाधिक देखी गई। इस संदर्भ में ग्रामीण-कस्बाई महिलाएं भी पीछे नहीं। कोई कुएं में झूलती चारपाई पर तथाकथित साहस प्रदर्शन कर रही है तो कोई अटपटी भाव भंगिमाओं से लोगों का ध्यान आकॢषत करने की चेष्टा में निमग्न है। जिस सोशल मीडिया का सदुपयोग कर महिलाएं सशक्त  बन सकती हैं, नकली ग्लैमर तथा आभासी प्रसिद्धि के सनकीपन में वही उनका गौरव धूमिल करने सहित उन्हें असुरक्षा, अपमान, अपराध आदि की राह पर धकेलने का सबब बन रहा है। 

सोशल मीडिया का दुरुपयोग न केवल महिलाओं व बेटियों के लिए प्रतिकूल हालात उत्पन्न करने में दोषी है, बल्कि आपराधिक घटनाओं में अप्रत्याशित बढ़ौतरी होने का एक कारण भी है। रील के रियल लाइफ पर हावी होने के कारण पारिवारिक रिश्ते दरक रहे हैं। मध्य प्रदेश के इंदौर में घरेलू कलह के 8000 लंबित मामलों में 40 प्रतिशत रील्स के जनून से संबद्ध हैं। रील बनाने का दबाव डालने के कारण मध्य प्रदेश में एक पति को कुटुंब न्यायालय में तलाक की अर्जी तक दाखिल करनी पड़ी। पति के अनुसार, उसकी पत्नी की रील्स वीडियो बनाने की सनक ने उसका जीवन नर्क बना दिया था। आभासी सक्रियता और वास्तविक जीवन में बढ़ती दूरी ने अनगिनत शारीरिक-मानसिक समस्याओं को भी जन्म दिया है। रीयल लाइफ से दूर करती रील्स हों या इंस्टाग्राम, व्हाट्सअप और फेसबुक के अपडेट्स और लाइक-कमैंट देखने की व्यग्रता, मानसिक स्वास्थ्य पर इसका प्रतिकूल प्रभाव देखने में आ रहा है। 

छात्र अध्ययन पर अपेक्षित ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहे। लगातार रील्स देखने के कारण बच्चे वर्चुअल ऑटिज्म के शिकार हो रहे हैं। उनकी स्मरण शक्ति  क्षीण हो रही है। विशेषज्ञों के मुताबिक, रील्स बनाना एक प्रकार की लत है। रील्स के फॉलोअर्स को असली मित्र समझना महंगा पड़ सकता है। रील बनाना चंद लोगों के लिए शौक हो सकता है, जबकि कुछ इसमें भविष्य की संभावनाएं तलाशते हैं। तकनीकी उन्नति का उद्देश्य समाज को बेहतर बनाना ही रहा है, हालांकि परिणाम सदैव इसके सकारात्मक अथवा नकारात्मक प्रयोग पर ही निर्भर करते हैं।

शौकिया या सोद्देश्य रील बनाने में कोई बुराई नहीं, समस्या तब पेश आती है जब कानूनी, मानवीय, सामाजिक मर्यादाओं का सरेआम उल्लंघन करते हुए अपने जीवन तक को खतरे में डाल दिया जाए। जोश-जनून सकारात्मकता के प्रतीक हैं लेकिन उन्माद का अतिरेक व्यक्तित्व पर भारी पड़ सकता है। ‘अति सर्वत्र वर्जयेत्’, रील बनाएं मगर स्वयं पर नियंत्रण खोए बगैर। रील को रियल पर प्राथमिकता देना बुद्धिमत्ता नहीं।-दीपिका अरोड़ा

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