क्रांतिकारी खोजों से बढ़ी निमोनिया के खात्मे की उम्मीद

Edited By ,Updated: 12 Nov, 2024 05:54 AM

revolutionary discoveries raise hopes of ending pneumonia

निमोनिया के बारे में जागरूकता फैलाने और इस बीमारी से लडऩे के लिए वैश्विक प्रयासों को एकजुट करने का एक मंच प्रदान करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 12 नवंबर को ‘विश्व निमोनिया दिवस’ मनाया जाता है।

निमोनिया के बारे में जागरूकता फैलाने और इस बीमारी से लडऩे के लिए वैश्विक प्रयासों को एकजुट करने का एक मंच प्रदान करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 12 नवंबर को ‘विश्व निमोनिया दिवस’ मनाया जाता है। इस वर्ष निमोनिया दिवस ‘हर सांस मायने रखती है : निमोनिया को उसके मार्ग में रोकें’ विषय के साथ मनाया जा रहा है, जो हर सांस के महत्व पर प्रकाश डालता है और प्रारंभिक पहचान, उपचार और रोकथाम के माध्यम से निमोनिया को रोकने की तात्कालिकता को रेखांकित करता है।

दरअसल निमोनिया एक ऐसा गंभीर संक्रमण है, जो फेफड़ों के वायुकोषों में द्रव भरने का कारण बनता है और प्राय: बच्चों और बुजुर्गों के लिए सर्वाधिक घातक साबित होता है। निमोनिया हर साल दुनियाभर में लाखों लोगों की जान ले लेता है। यूनिसेफ के आंकड़ों के अनुसार, निमोनिया से विश्व में प्रतिवर्ष 45 करोड़ से भी ज्यादा लोग पीड़ित होते हैं और प्रत्येक 39 सैकेंड में निमोनिया से एक बच्चे की मौत होती है। भारत में 2018 में 5 वर्ष से कम आयु के करीब 1.27 लाख बच्चों की मौतें हुई थीं। हालांकि यह सुखद है कि वर्ष-दर-वर्ष देश में निमोनिया से होने वाली बाल मृत्यु दर में गिरावट दर्ज हो रही है। निमोनिया वैश्विक स्तर पर खासकर बच्चों में 5 वर्ष से कम आयु में होने वाली मौतों का एक प्रमुख कारण है। विशेष रूप से 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों और 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में निमोनिया होने का खतरा अधिक रहता है। इसके अलावा इम्यूनोकॉम्प्रोमाइज्ड (एच.आई.वी./ एड्स के मरीज, कैंसर रोगी या जिनका अंग प्रत्यारोपण हुआ हो), अस्थमा या क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज इत्यादि फेफड़ों की बीमारी वाले व्यक्ति, धूम्रपान करने वाले तथा कुपोषण से पीड़ित लोगों में भी निमोनिया होने का खतरा ज्यादा रहता है।

चूंकि छोटे बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली पूरी तरह से विकसित नहीं होती, इसलिए वे संक्रमणों से लडऩे में कम सक्षम होते हैं और ऐसे में उनमें निमोनिया का खतरा ज्यादा रहता है। विशेषकर कुपोषण से बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली और कमजोर हो जाती है, जिससे निमोनिया होने का खतरा काफी बढ़ जाता है। बच्चों में निमोनिया तेजी से बिगड़ सकता है और गंभीर जटिलताएं पैदा कर सकता है। इसी प्रकार बुजुर्गों में भी उम्र बढऩे के साथ प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है, जिससे वे संक्रमणों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं। कई बुजुर्ग विभिन्न प्रकार की दवाएं लेते हैं, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को दबा सकती हैं, जिससे उनमें संक्रमण से लडऩे की क्षमता कम हो सकती है। बुजुर्गों में प्राय: दिल-फेफड़ों की बीमारी, मधुमेह इत्यादि अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी होती हैं, जो निमोनिया के खतरे को बढ़ा सकती हैं।

निमोनिया के प्रमुख कारणों में बैक्टीरिया, वायरस और फंगस शामिल हैं। न्यूमोकोकस सबसे आम बैक्टीरिया है, जो निमोनिया का कारण बनता है। इन्फ्लुएंजा और रैस्पिरेटरी सिंशिटियल वायरस निमोनिया के सामान्य वायरल कारण हैं, जबकि इम्यूनोकॉम्प्रोमाइज्ड व्यक्तियों में फंगल निमोनिया अधिक आम है। फेफड़ों में संक्रमण को ‘निमोनिया’ कहा जाता है, जो बैक्टीरिया, वायरस अथवा फंगस के कारण होता है। इस संक्रमण के कारण फेफड़ों में सूजन आ जाती है और बलगम जमा होने लगता है।  विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, करीब 90 प्रतिशत मामले जीवाणुजनित निमोनिया से संबंधित होते हैं। डब्ल्यू.एच.ओ. के मुताबिक, फ्लू, स्वाइन फ्लू आदि बीमारियों में वायरस के दुष्प्रभाव से फेफड़ों में होने वाले संक्रमण तथा बैक्टीरियाजनित संक्रमण के अंतर्गत फेफड़ों में टी.बी. के कारण होने वाले संक्रमण को भी निमोनिया के अंतर्गत माना जाता है। निमोनिया के लक्षणों में बुखार, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, छाती में दर्द, थकान, भूख न लगना इत्यादि शामिल हैं। 

बच्चों और बुजुर्गों में इसके लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। बच्चों में प्राय: निमोनिया के अतिरिक्त लक्षणों में उल्टी, दस्त, सांस लेते समय घरघराने जैसी आवाज, पसली चलना, दूध पीना छोड़ देना, बुखार के साथ ठंड लगना, त्वचा का लाल होना और भ्रम की स्थिति भी देखी जाती है, जबकि बुजुर्गों में अतिरिक्त लक्षणों में भ्रम, मांसपेशियों में दर्द, नाखूनों का नीला पडऩा, ठंड लगना, अत्यधिक कमजोरी महसूस होना, सूखी खांसी, अनियंत्रित रक्तचाप इत्यादि प्रमुख होते हैं। हालांकि टीकाकरण, हाथों की स्वच्छता और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर हम निमोनिया को रोकने में सफल हो सकते हैं, लेकिन यह ङ्क्षचता का विषय है कि निमोनिया अभी भी एक प्रमुख वैश्विक स्वास्थ्य समस्या बना है। न्यूमोकोकल वैक्सीन और इन्फ्लुएंजा वैक्सीन निमोनिया से बचाने में सहायक होती हैं। इसके अलावा बार-बार हाथ धोने से निमोनिया संक्रमण फैलने का खतरा कम हो जाता है और स्वस्थ आहार लेना, नियमित रूप से व्यायाम करना और धूम्रपान नहीं करना भी निमोनिया से लडऩे में मददगार साबित हो सकते हैं। 

निमोनिया से पूरी तरह से बचाव के लिए टीकाकरण, स्वच्छता और स्वस्थ जीवनशैली का पालन करना बहुत जरूरी है। निमोनिया का उपचार आमतौर पर रोगी के इतिहास, शारीरिक परीक्षण और छाती के एक्स-रे के आधार पर किया जाता है। रक्त और थूक परीक्षण की भी आवश्यकता हो सकती है। निमोनिया का उपचार इसके कारणों पर निर्भर करता है। बैक्टीरियल निमोनिया का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं से किया जाता है, जबकि वायरल निमोनिया का इलाज आमतौर पर कुछ दवाओं के साथ आराम करने और तरल पदार्थ लेने जैसे सहायक उपचार से किया जाता है। गंभीर मामलों में अस्पताल में भर्ती होने और ऑक्सीजन थैरेपी की भी आवश्यकता हो सकती है। निमोनिया से क्षतिग्रस्त फेफड़ों को ठीक करने के लिए स्टेम सैल थैरेपी का इस्तेमाल किया जा सकता है और निमोनिया के प्रतिरोध को बढ़ाने के लिए जीन थैरेपी का।

निमोनिया के उपचार में हाल के वर्षों में काफी प्रगति और कई क्रांतिकारी खोजें हुई हैं। निमोनिया के उपचार में हो रही नवीनतम प्रगति से इस बीमारी के खिलाफ लड़ाई में एक नई उम्मीद जगी है। बैक्टीरियाजनित निमोनिया के इलाज के लिए नई और अधिक प्रभावी एंटीबायोटिक दवाओं का विकास हुआ है, जो पहले की दवाओं की तुलना में अधिक प्रभावी हैं और कम दुष्प्रभाव पैदा करती हैं। निमोनिया के कारणों को बेहतर ढंग से समझने के साथ वैज्ञानिक अब निमोनिया के विशिष्ट प्रकारों के लिए लक्षित चिकित्सा विकसित कर रहे हैं। 

निमोनिया के खिलाफ नए और अधिक प्रभावी टीकों का विकास किया जा रहा है, जो विशेष रूप से बुजुर्गों और इम्यूनोकॉम्प्रोमाइज्ड व्यक्तियों के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। उपचार की नई तकनीकों में से एक है ‘एक्मो’, जो रक्त को शरीर से बाहर निकालकर उसको ऑक्सीजन युक्त करती है और फिर इसे वापस शरीर में भेजती है। शोधकत्र्ताओं के अनुसार, यह गंभीर निमोनिया के रोगियों के लिए जीवनरक्षक उपचार हो सकता है। सी.टी. स्कैन, एम.आर.आई. जैसी उन्नत इमेजिंग तकनीकों ने निमोनिया का अधिक सटीक निदान संभव बनाया है क्योंकि ये तकनीकें फेफड़ों में सूजन और संक्रमण के क्षेत्र को अधिक स्पष्ट रूप से दिखाती हैं। वैज्ञानिक अब ऐसे बायोमार्करों की भी खोज कर रहे हैं, जो निमोनिया के गंभीर होने का संकेत दे सकें। 

वायरल निमोनिया के इलाज के लिए नई एंटीवायरल दवाओं का विकास किया जा रहा है, जो वायरस को गुणा करने से रोककर संक्रमण को नियंत्रित करने में मदद करती हैं। कुछ मामलों में, इम्यूनोथैरेपी का इस्तेमाल कर रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत किया जा सकता है ताकि वह संक्रमण से लड़ सके। इससे उम्मीद बढऩे लगी है कि भविष्य में दुनिया से निमोनिया को पूरी तरह से खत्म किया जा सकेगा।-योगेश कुमार गोयल
 

Related Story

    Trending Topics

    Afghanistan

    134/10

    20.0

    India

    181/8

    20.0

    India win by 47 runs

    RR 6.70
    img title
    img title

    Be on the top of everything happening around the world.

    Try Premium Service.

    Subscribe Now!