Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Jul, 2017 11:47 PM
![samadhi of maharaja dilip singh](https://img.punjabkesari.in/multimedia/914/0/0X0/0/static.punjabkesari.in/2017_7image_23_51_088800000gh-ll.jpg)
महाराजा दिलीप सिंह के जीवन पर एक फिल्म रिलीज होने से उनके साथ समाधि.....
महाराजा दिलीप सिंह के जीवन पर एक फिल्म रिलीज होने से उनके साथ समाधि स्थल के संबंध में बहुत उत्सुकता पैदा हो गई है। उनका पाॢथव शरीर यहीं दफन किया गया था। मैंने इंगलैंड में एल्वेडोन एस्टेट का दौरा किया था जहां महाराजा दिलीप सिंह रहा करते थे। उन्हें गिरजाघर के प्रांगण में स्थित छोटे से कब्रिस्तान में दफनाया गया था। उनकी कब्र के साथ उनकी पत्नी, बच्चों और कुछ अन्य लोगों की कब्रें भी हैं।
एल्वेडोन एस्टेट में उनका महल हुआ करता था। आज यह सब कुछ प्राइवेट सम्पत्ति है। 2005 में जब मैं राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष था तो ब्रिटिश सरकार से निवेदन किया था कि वहां सिखों को कब्र खोदने तथा सिख मर्यादाओं के अनुसार उनका दाह-संस्कार करने की अनुमति दे। भारत में यू.के. के तत्कालीन उच्चायुक्त ने कहा कि उनकी सरकार को इस पर कोई आपत्ति नहीं है लेकिन ऐसा करने के लिए उन्हें चर्च ऑफ इंगलैंड के प्रमुख कैंटरबरी के लार्ड पादरी से अनुमति लेनी होगी क्योंकि यह कब्रिस्तान गिरजाघर से संबंधित हैं। मैंने लार्ड पादरी को पत्र लिखा और उन्होंने मुझे सलाह दी कि मैं सबसे पहले चर्च अधिकारियों से अनुमति हासिल करूं। मैंने संबंधित सिख संगठनों को अगली कार्रवाई के लिए सूचित कर दिया।
मैं कई बार एल्वेडोन गया और वहां हर वर्ष थैचफोर्ट के मेयर द्वारा महाराजा की कब्र पर माल्यार्पण करने के मौके पर उपस्थित रहा। सिखों में आम भावना यह है कि कब्र के स्थान पर महाराजा दिलीप सिंह की समाधि बनाई जाए और उनकी अस्थियों को पंजाब न ले जाया जाए लेकिन अभी भी इस बात को लेकर वाद-विवाद चल रहा है। जब कब्र खोदने और दाह-संस्कार करने के लिए विभिन्न स्तरों पर सरकारी अनुमतियां लेनी होंगी। हम सभी जानते हैं कि महाराजा दिलीप सिंह के अलावा उनके अन्य सभी पारिवारिक सदस्य आजीवन ईसाई ही रहे थे। यहां तक कि 1948 में पहले अमृतसर आने और फिर लाहौर में बस जाने वाली उनकी पत्नी बाम्बा को भी उसकी मौत के बाद दफनाया गया था।