श्रीराम मंदिर : एक गतिमान गौरव गाथा

Edited By ,Updated: 10 Jan, 2025 06:35 AM

shri ram mandir a moving story of glory

अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा को आगामी 11 जनवरी 2025 को एक वर्ष पूरा होने जा रहा है।

अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा को आगामी 11 जनवरी 2025 को एक वर्ष पूरा होने जा रहा है। पिछले वर्ष 22 जनवरी 2024 पौष शुक्ल द्वादशी को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डा. मोहनराव भागवत की प्रमुख उपस्थिति में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करकमलों द्वारा बालक श्रीराम की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा का समारोह संपन्न हुआ था और देखते-देखते आज एक वर्ष पूरा हो रहा है। जिसके लिए हमारे हिन्दू समाज के करोड़ों रामभक्त श्रद्धालुओं ने समूचे देश में संघर्ष किया और यह संघर्ष केवल सड़कों पर ही नहीं अपितु न्यायालयों में काफी लम्बा चला है, इसे कोई भुला नहीं सकता। लेकिन लंबे संघर्ष और हिन्दू जागरण के निरंतर अलग-अलग स्तर पर विभिन्न कार्यक्रमों की सफलता और उसके परिणामस्वरूप भारी एकजुटता के कारण ही आज हम अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण होते देख रहे हैं।

अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य निर्माण के लिए न्यायालयों में कानूनी संघर्ष लंबे समय तक लड़ा गया ठीक उसी तरह सड़कों पर भी समय-समय पर जन आंदोलन करके देश की जनता को जनजागृत किया गया। फिर वर्ष 1989 में समूचे देश भर में शिलापूजन के कार्यक्रमों का आयोजन किया गया यद्यपि इसका भी तत्कालीन कांग्रेस शासित सरकार और उनके सहयोगी मित्र दलों ने कड़ा विरोध किया और इसके विरोध में कई रामभक्त अपने आराध्य और श्रद्धा स्थान पाने के लिए अदालत में भी गए और उच्चतम न्यायालय ने तारकुंडे द्वारा शिलापूजन यात्रा पर रोक लगाने संबंधी दायर याचिका को ठुकरा दिया और सारी शिलाओं को अयोध्या तक आने दिया गया। उसके बाद सितम्बर 1990 में वरिष्ठ भाजपा नेता लाल कृष्ण अडवानी के नेतृत्व में गुजरात के सोमनाथ से लेकर अयोध्या तक राम रथयात्रा निकाली गई और इसके जरिए भी देश में समूचा माहौल राममय हो गया था। इससे पूर्व वर्ष 1982-83 के दौरान एकात्मता यात्रा देश में 3 स्थानों से निकाली गई और करीब 50 हजार किलोमीटर की दूरी तय की गई।

पहली यात्रा हरिद्वार से चली थी और उसे कन्याकुमारी पहुंचना था। दूसरी यात्रा काठमांडू के पशुपतिनाथ मंदिर से चलकर रामेश्वर धाम जाने वाली थी। जबकि तीसरी यात्रा बंगाल के गंगासागर से सोमनाथ तक की थी। इन तीनों यात्राओं को एक निश्चित दिन नागपुर में प्रवेश करना था। पूरी योजना तैयार कर इन यात्राओं के नागपुर प्रवेश से पहले वहां पहुंच गए। इसका सारा नियोजन और संरचना संघ के वरिष्ठ प्रचारक स्व. मोरोपंत पिंगले ने की थी। 

उक्त कुछ घटनाएं देश में हिन्दू समाज में आम लोगों में प्रभु श्रीराम के लिए अपने आराध्य के प्रति आस्था और श्रद्धा-भाव के जनजागरण को प्रदर्शित करती हैं और इस तरह के होने वाले कार्यक्रमों में हिन्दू समाज के सभी वर्गों ने अपनी प्रत्यक्ष सहभागिता से अपना विश्वास व्यक्त किया है। बाद में न्यायालय में कांग्रेस के पूर्व सांसद कपिल सिब्बल ने तो इस मामले का पुरजोर विरोध किया है यह बात किसी से छिपी हुई नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय में लगभग 40 दिन लगभग 170 घंटे तक नियमित सुनवाई की गई और इसके बाद 9 नवम्बर 2019 को सर्वोच्च न्यायालय ने रामजन्मभूमि अर्थात रामलला के पक्ष में अपना फैसला दिया। 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रेरणा और मार्गदर्शन से विश्व हिन्दू परिषद ने आगे पहल कर इसमें हिन्दू समाज के विभिन्न धर्म, मत, पंथ, संप्रदाय, मठों के प्रमुख धर्माचार्य, महंत आदि महान विभूतियों की अगुवाई में रामजन्ममुक्ति आंदोलन चलाया और इस आंदोलन को हिन्दू समाज के वर्गों भाषा, प्रांत, जाति और घटकों ने अपना प्रत्यक्ष सक्रिय योगदान दिया है। जिस दिन प्राण-प्रतिष्ठा का समारोह अयोध्या में हो रहा था तो उसी दिन देशभर के करीब 5 लाख 59 हजार 231 स्थानों पर 9 लाख 85 हजार 625 कार्यक्रम संपन्न हुए जिसमें 27 करोड़ 81 लाख 54 हजार 665 लोग प्रत्यक्ष रूप से सहभागी हुए थे जो किन्हीं कारणों की वजह से अयोध्या नहीं पहुंच पाए थे। 

इस तरह के सम्पर्क अभियानों से यह ज्ञात होता है कि हिन्दू समाज  के पुन: जागरण के कार्यक्रमों में शामिल होने के इच्छुक हैं और यही भाव अयोध्या में मंदिर पुनॢनर्माण कार्यक्रम के दौरान देखने को मिला कि हर घर में अपनी क्षमता के अनुसार बाहर से आए अतिथि मेहमान के आवभगत स्वागत की तैयारी में स्थानीय लोगों ने कोई कमी नहीं छोड़ी बल्कि हर बाहर से आने वाले लोगों के चाय-जलपान तथा भोजन भंडारे की व्यवस्था की थी। ये दृश्य समूची अयोध्या नगरी में देखने को मिला। अयोध्या में प्रभु श्रीराम की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद से अब लगभग एक साल होने जा रहा है और इस बीच यहां छोटे व्यापारियों का कारोबार भी अच्छा-खासा बढ़ रहा है और दुकानदारों की कमाई में भारी वृद्धि होती दिखाई दे रही है।

मंदिर निर्माण शुरू होने से पहले और अब जब मंदिर बनने के बाद से हिन्दू समाज में सभी वर्गों में जो जनजागरण होता दिखाई दे रहा है वह निश्चित रूप से देश में हिदुत्व और सांस्कृतिक राष्ट्रीयता का प्रत्यक्ष प्रमाण हम सबको दिखाई दे रहा है।बंगलादेश में अल्पसंख्यक ङ्क्षहदुओं और उनके धार्मिक स्थलों पर हमले हो रहे हैं तो यहां भारत में उसका तीव्र रोष प्रकट हो रहा है और ऐसे समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वह नारे, ‘एक है तो सेफ है’ का देश की जनता भावार्थ समझने लगी है।-प्रमोद मजूमदार

Trending Topics

IPL
Kolkata Knight Riders

174/8

20.0

Royal Challengers Bangalore

177/3

16.2

Royal Challengers Bengaluru win by 7 wickets

RR 8.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!