mahakumb

बुलेट पर बैलेट की जीत से ही निकलेगा नक्सली आतंक का हल

Edited By ,Updated: 24 Feb, 2025 05:52 AM

solution to naxal terror will come only from victory of ballot over bullet

नक्सलियों  के आतंक के गढ़ रहे नक्सली प्रभावित इलाकों में चुनावों के जरिए लोकतंत्र के सूरज का उदय हो रहा है। इससे लोकतंत्र के प्रति भरोसा बढऩे के साथ ही इसकी जड़ें मजबूत हो रही हैं। भटके हुए युवाओं और डरे हुए ग्रामीणों को समझ में आने लगा है कि सिर्फ...

नक्सलियों के आतंक के गढ़ रहे नक्सली प्रभावित इलाकों में चुनावों के जरिए लोकतंत्र के सूरज का उदय हो रहा है। इससे लोकतंत्र के प्रति भरोसा बढऩे के साथ ही इसकी जड़ें मजबूत हो रही हैं। भटके हुए युवाओं और डरे हुए ग्रामीणों को समझ में आने लगा है कि सिर्फ लोकतांत्रिक तरीके से ही उनकी समस्याओं का हल निकाला जा सकता है। छत्तीसगढ़ में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के प्रथम चरण के लिए वोट डाले गए। इस दौरान बस्तर संभाग के सुकमा और बीजापुर जिले के अनेक मतदान केंद्रों पर पहली बार अनेक दशकों के बाद ग्राम पंचायतों में मतदान हुए। इस बार बस्तर में पंचायत चुनावों का नक्सलियों की ओर से कोई विरोध नहीं किया जाना क्षेत्र में 40 से अधिक नई सुरक्षा कैंपों की स्थापना और सरकार की ओर से ग्रामीणों में विश्वास बहाल करने की रणनीति का परिणाम है।

यह एक ऐतिहासिक बदलाव है और लोकतांत्रिक मूल्यों की जीत को दर्शाता है। राज्य में मोहला, मानपुर, अंबागढ़ चौकी, दंतेवाड़ा और गरियाबंद जिलों में और बीजापुर के पुसनार, गंगालूर, चेरपाल, रैड्डी, पालनार जैसे क्षेत्रों में ग्रामीणों ने निर्भीक होकर मतदान किया।
गौरतलब है कि बस्तर में नक्सली कमांडर हिडमा के गांव पूवर्ती में भी इस बार ग्रामीण मतदान के लिए उत्साहित हैं।

छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनाव के बाद अब पंचायत चुनाव हो रहे हैं। पंचायत चुनावों में ऐसा पहली बार हो रहा है जब नक्सलियों ने इसका विरोध नहीं किया है। राज्य में कमजोर हो रहे नक्सलवाद का यह सबसे बड़ा उदाहरण है। छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद से हर बार पंचायत चुनावों में नक्सलियों की तरफ से पोस्टर जारी किए जाते थे लेकिन ऐसा पहली बार हो रहा है जब नक्सलियों ने विरोध नहीं किया। इसके साथ ही स्थानीय लोग भी वोटिंग करने के लिए घरों से बाहर निकले। इससे पहले नक्सली बस्तर इलाके में वोटिंग करने पर ग्रामीणों को धमकी देते थे। नक्सलियों ने कई बार पोस्टर जारी कर कहा था कि वोटिंग करने वालों की उंगलियों को काट लिया जाएगा जिस कारण से ग्रामीण वोटिंग करने के लिए नहीं निकलते थे। इस बार पंचायत चुनाव में ग्रामीणों ने बड़े उत्साह के साथ वोटिंग की है। हार्डकोर नक्सली इलाकों में वोटिंग के लिए लंबी-लंबी कतारें लगीं। हिडमा के गांव में पहली बार वोटिंग छत्तीसगढ़ में 3 चरणों में पंचायत चुनाव के लिए वोटिंग होनी है। यहां सुरक्षाबल के जवानों के कारण लोग वोटिंग करने के लिए घरों से बाहर आ रहे हैं। 

बस्तर संभाग के 7 नक्सल प्रभावित जिलों में कुल 1855 ग्राम पंचायतें हैं। लोकतंत्र की बुनियादी विजय पताका के फहरे जाने की वजह यह है कि सुरक्षाबल के जवानों ने नक्सलियों के हार्डकोर इलाके में 40 से अधिक कैंप स्थापित कर लिए हैं। जिस कारण से इन इलाकों में नक्सलियों का प्रभाव कम हुआ है। नए कैंप खुलने के बाद नक्सली पीछे हट गए हैं। सुरक्षाबल के जवान नक्सलियों के गढ़ में घुसकर कार्रवाई कर रहे हैं। जिस कारण से वह पंचायत चुनाव का विरोध नहीं कर पाए। इससे पहले नक्सली मजबूत होते थे और हमारे सिस्टम पर हमला करते थे लेकिन अब वह लगातार कमजोर हो रहे हैं। अब वह अपना गढ़ बचाने में लगे हुए हैं।

सुरक्षाबल के कैंप स्थापित होने से जो गांव नक्सलवाद के प्रभाव से मुक्त हो रहे हैं वहां से लोग सबसे पहले आधार कार्ड, आयुष्मान कार्ड बनवा कर सरकार की योजनाओं का लाभ ले रहे हैं। सरकार की योजनाओं का विस्तार इन इलाकों तक हुआ है। वह मुख्यधारा में जुड़ रहे हैं। पूर्व में सुरक्षा बलों की कार्रवाई सीधे अबूझमाड़ में नहीं होती थी। जिस कारण से नक्सलियों का गढ़ सुरक्षित था और वह इस तरह की हरकतें करते थे। मौजूदा सरकार की रणनीति से सुरक्षाबल के जवान गढ़ को भी घेर रहे हैं और कार्रवाई कर रहे हैं, वहीं गढ़ के आसपास भी नक्सलियों पर हमले हो रहे हैं जिस कारण से नक्सली बैकफुट पर आ गए हैं।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि इस बार बस्तर में पंचायत चुनावों का नक्सलियों की ओर से कोई विरोध नहीं किया जाना क्षेत्र में 40 से अधिक नई सुरक्षा कैंपों की स्थापना और सरकार की ओर से ग्रामीणों में विश्वास बहाल करने की रणनीति का परिणाम है। 
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि बस्तर में नक्सलवाद के खात्मे की प्रक्रिया अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के संकल्प के मुताबिक मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ को नक्सलवाद से मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। राज्य सरकार बस्तर के नागरिकों को विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और बुनियादी सुविधाओं से जोडऩे के लिए संकल्पित है। केंद्र और राज्य का लक्ष्य है कि 2026 तक छत्तीसगढ़ को नक्सलियों से मुक्त कराना है। बचे हुए भटके नक्सलियों के पास अब भी मौका है अपनी मांगों को मनवाने के लिए बंदूक की हठधर्मिता का रास्ता छोड़ कर लोकतंत्र के रास्ते विकास का सफर तय करें।-योगेन्द्र योगी
 

Related Story

    Trending Topics

    Afghanistan

    134/10

    20.0

    India

    181/8

    20.0

    India win by 47 runs

    RR 6.70
    img title
    img title

    Be on the top of everything happening around the world.

    Try Premium Service.

    Subscribe Now!