Edited By ,Updated: 31 Aug, 2024 05:19 AM
अफ्रीका महाद्वीप के दक्षिण में स्थित देश दक्षिण अफ्रीका का भारत के लिए महत्व यह है कि बापू गांधी ने उसे कुछ समय के लिए अपनी कर्मभूमि बनाया था। अंग्रेजों के अभद्र व्यवहार, स्थानीय आबादी तथा रोजगार और व्यापार की तलाश में विदेशों से आए लोगों के साथ...
अफ्रीका महाद्वीप के दक्षिण में स्थित देश दक्षिण अफ्रीका का भारत के लिए महत्व यह है कि बापू गांधी ने उसे कुछ समय के लिए अपनी कर्मभूमि बनाया था। अंग्रेजों के अभद्र व्यवहार, स्थानीय आबादी तथा रोजगार और व्यापार की तलाश में विदेशों से आए लोगों के साथ भेदभाव और अत्याचार देखकर युवा गांधी ने गुलामी का अर्थ समझा। उसके बाद उनके राष्ट्रपिता बनने की कहानी सब जानते ही हैं।
दासता की पहचान : भारत की तरह ही दक्षिण अफ्रीका प्राकृतिक संपदा से संपन्न क्षेत्र है। यहां की जलवायु, वन, वन्यजीव और खनिज पदार्थ इसकी धरोहर हैं। केपटाऊन का नैसॢगक सौंदर्य और जोहानसबर्ग में सोने की खान इसे वैभवशाली बनाते हैं। डच और अंग्रेज के लिए यह यहां बसने और दूसरों की दौलत से अमीर बनने का स्रोत था।
यहां का केपटाऊन शहर आधुनिकता का उदाहरण है। भवन निर्माण में अनेक स्थापत्य कलाएं प्रयुक्त की गई हैं। घर ऐसे हैं कि दूर से ही उनके सजे-संवरे होने का एहसास होता है। रंगों का इस्तेमाल मनमोहक और सुरुचिपूर्ण है। किसी घर को अंदर से देखने का तो अवसर नहीं मिला लेकिन बाहर से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि उनमें रहने का आनंद कैसा होता होगा। हैलीकॉप्टर से विहंगम प्राकृतिक दृश्यों को देखना सुखद अनुभूति था। नीचे फैली विशाल जलराशि और सामने पर्वत शृंखलाएं तथा नीचे शहरी बस्तियां अपनी अलग ही छटा से पूरे माहौल को मुग्ध भाव से देखते रहने के लिए लालायित कर रही थीं।
अर्थव्यवस्था : दक्षिण अफ्रीका की अर्थव्यवस्था जिन चीजों पर टिकी है, उनमें सब से पहले पर्यटन है। यहां अद्भुत नजारे हैं, पर्वत हैं और कुदरत ने उन्हें इस तरह बनाया और संवारा है कि एकटक निहारते रहो तो भी बोर नहीं होते। टेबल माऊंटेन जैसा स्थल शायद ही कहीं किसी अन्य देश में हो। वहां से शानदार प्राकृतिक सौंदर्य दिखाई देता है। मनोरंजन के लिए रिवर फ्रंट नामक स्थान बहुत लोकप्रिय है। इसी तरह समुद्र तट पर आप पूरा दिन बिता सकते हैं बशर्ते कि तेज हवाएं न चल रही हों।
एक बात है, प्रकृति ने इस क्षेत्र को अनुपम सौंदर्य तो दिया ही है पर मनुष्य ने भी इसमें बहुत वृद्धि की है। यदि अपने देश से तुलना करें तो हमारे यहां प्रकृति ने जो उपहार दिए हैं, वे अनूठे और अतुलनीय तो हैं ही, साथ ही संसार में उनके समान इलाके तो हो सकते हैं लेकिन भारत की बराबरी नहीं कर सकते। कह सकते हैं कि दक्षिण अफ्रीका प्राकृतिक पूंजी की धरोहर के रूप में आनंदित और प्रफुल्लित कर देने वाला देश है।
यहां सन सिटी के रूप में मनुष्य द्वारा निर्मित एक विशाल नगर का निर्माण अनोखा और अपने किस्म का एकमात्र है। इसमें मनोरंजन के सभी आधुनिक और परंपरागत साधन उपलब्ध हैं। खानपान की सुविधाएं हैं और समुद्र तट को विभिन्न खेलों और जल क्रीड़ा के उपयुक्त बनाया गया है। सैलानी यहां आकर विश्राम करते हैं और तरोताजा होने के लिए समुद्री रेत का बिछावन बनाकर थकान उतार सकते हैं।
निकट में ही सफारी पार्क है और वनों तथा वन्यजीवों के बीच जाने की सुविधा है। उसके लिए सुबह जल्दी जाना पड़ता है क्योंकि तभी जंगल में उन्हें देखा जा सकता है। दिन निकलते ही मनुष्य की भांति उनकी भी दैनिक क्रियाएं शुरू हो जाती हैं। जैसे-जैसे दिन चढ़ता है, वे भी अपने परिवार के साथ रहने के लिए बनी गुफाओं आदि में चले जाते हैं। जब जंगल में प्रवेश किया तो हल्का धुंधलका था, ठंड भी बहुत थी। गर्म कपड़ों में सिमटे खुले वन में वन्यजीवों का दिखना शुरू हुआ। कुछ ही देर में आहट हुई और देखा कि शेर चला आ रहा है। ट्रैफिक एकदम थम गया, बिना किसी तरह का शोर या बातचीत किए शेर को देखने लगे।
आलम यह था कि अन्य पशुओं जैसे जैबरा का झुंड, जिराफ, हिरणों के बीच से शेर का आगे बढऩा ऐसा था कि मानो राजा अपनी प्रजा को आश्वस्त करते हुए उनका अभियान स्वीकार कर रहा हो। अपनी मस्ती और अनूठी अदाओं से उसका सड़क तक आकर एक क्षण रुककर फिर आगे बढऩा, वाहनों के बीच से निकल कर दूसरी तरफ झाडिय़ों से होते हुए अपने परिवार के पास पहुंचकर सभी के साथ खेलना और फिर शेरनी के साथ कुछ पल, यह दृश्य अविस्मरणीय हो गया।
यहां से आगे बढ़े तो हाथियों का झुंड चला आता हुआ दिखा। कमाल की समझदारी है इस विशालकाय पशु में, परिवार की सुरक्षा के प्रति सबसे बड़ा दिख रहा हाथी एक बुजुर्ग की तरह उन्हें रास्ता दिखा रहा था। जब लगा कि सब सड़क के उस पार चले गए हैं तो स्वयं आगे बढ़ा, पार करने पर रुका और देखा कि उसी के डीलडौल का शायद छोटा भाई पीछे आ रहा है, उसके पार करने तक वह वहीं रुका रहा और जब तसल्ली कर ली कि सब इस पार आ गए हैं तो नजर घुमाकर दोनों तरफ देखा और निष्कंटक होकर आगे बढ़ा और झुंड में शामिल हो गया।
लगभग 3 घंटे कैसे बीत गए, आभास ही नहीं हुआ। धूप खिल रही थी और मौसम से ठंड भी कम हो रही थी, हवा तेज थी लेकिन सुहावना एहसास हो रहा था। गर्म कपड़ों को थोड़ा ढीला किया और वहां बने एकविश्राम स्थल पर वाहन से बाहर निकले और वातावरण को महसूस किया। जब तक जंगल के बीच थे, गाड़ी से नीचे उतरना भयंकर साबित हो सकता था। कुछ दिन पहले ऐसा दुस्साहस करने वाले एक व्यक्ति को अचानक वहां आ गए हाथी ने सूंड के प्रहार से यमलोक पहुंचा दिया।
अपनी रक्षा के लिए सचेत रहना और किसी भी बाहरी शक्ति से अपने को सुरक्षित रखते हुए शांतिपूर्वक रहना और अन्य प्राणियों को भरोसे में रखकर उनकी रक्षा करना इनसे सीखा जा सकता है। बिना वजह किसी पर आक्रमण करना पशुओं की प्रवृत्ति नहीं है। अपने और अपने परिवार के लिए भोजन जुटाना अर्थात् दूसरे जानवरों का शिकार करना जरूरत की श्रेणी में आता है अन्यथा बिना मतलब या जुनून या अहंकार के कारण किसी की हत्या करना पशु समाज में बिल्कुल नहीं होता। दक्षिण अफ्रीका में जितना संभव था, बहुत कुछ देखा, समझा और स्मृतियां संजोकर लगभग दस दिन बाद लौटने का अनुभव सुखकारी था। अभी बहुत विवरण शेष है। -पूरन चंद सरीन