Edited By ,Updated: 23 Dec, 2024 05:24 AM
एक ऐसी चीज जो रिश्तों को तोड़ती है, खास तौर पर भाई-बहनों के बीच, वह है संपत्ति हड़पना। कई बार इस तरह से कि एक भाई या बहन को कम मिलता है या जो उनका हक है उससे धोखा दिया जाता है या यह किसी और की संपत्ति हड़पना हो सकता है।क्या आपको लगता है कि संपत्ति...
एक ऐसी चीज जो रिश्तों को तोड़ती है, खास तौर पर भाई-बहनों के बीच, वह है संपत्ति हड़पना। कई बार इस तरह से कि एक भाई या बहन को कम मिलता है या जो उनका हक है उससे धोखा दिया जाता है या यह किसी और की संपत्ति हड़पना हो सकता है। क्या आपको लगता है कि संपत्ति हड़पने से आपके जीवन में खुशियां आएंगी? एक बार की बात है, देहात की पहाडिय़ों में बसे एक छोटे से गांव में माक्र्स नाम का एक अमीर जमींदार रहता था। माक्र्स पूरे गांव में जमीन और संपत्ति के लिए अपनी अतृप्त भूख के लिए जाना जाता था। वह अधिक से अधिक हासिल करने के लिए कुछ भी करने से नहीं चूकता था, अक्सर अपनी मनचाही चीज पाने के लिए छल-कपट का इस्तेमाल करता था।
जैसे-जैसे माक्र्स की संपत्ति बढ़ती गई, वैसे-वैसे उसकी चिंता और तनाव भी बढ़ता गया। उसे अपनी संपत्ति खोने की चिंता हमेशा सताती रहती थी और वह अपने ज्यादातर दिन अपनी भव्य संपत्ति में इधर-उधर घूमते हुए, अपनी संपत्ति गिनते हुए और संभावित खतरों के बारे में चिंता करते हुए बिताता था। एक दिन एक बुद्धिमान बूढ़ा भिक्षु माक्र्स से मिलने आया। भिक्षु ने माक्र्स के चेहरे पर चिंता और असंतोष के भाव देखे और उससे पूछा, ‘‘मेरे दोस्त, तुम्हें क्या परेशानी है?’’ माक्र्स ने जवाब दिया, ‘‘मेरे पास वह सब कुछ है जो मैं चाह सकता हूं, धन, संपत्ति और शक्ति। लेकिन इन सबके बावजूद, मैं खाली और अधूरा महसूस करता हूं। मेरे पास जो कुछ भी है उसे खोने के बारे में मुझे लगातार चिंता रहती है।’’ भिक्षु ने मुस्कुराते हुए कहा, ‘‘मेरे प्यारे माक्र्स, तुम उस आदमी की तरह हो जो रेत से एक अथाह गड्ढे को भरने की कोशिश कर रहा है। चाहे तुम कितना भी जमा कर लो, तुम कभी संतुष्ट नहीं होगे। सच्ची शांति और खुशी धन और संपत्ति जमा करने से नहीं, बल्कि जो तुम्हारे पास पहले से है उसके लिए संतोष और कृतज्ञता की भावना पैदा करने से आती है।’’
भिक्षु ने आगे कहा, ‘‘मैं तुम्हें एक ऐसे आदमी के बारे में बताना चाहता हूं जो मेरे जैसे एक छोटे से गांव में रहता है। उसके पास जमीन का एक छोटा सा टुकड़ा है, लेकिन वह जो उसके पास है, उससे संतुष्ट है। वह अपने बगीचे की देखभाल करने, प्रकृति की सुंदरता का आनंद लेने और अपने पड़ोसियों के साथ अपनी खुशियां बांटने में अपना दिन बिताता है। वह उन सबसे खुश लोगों में से एक है जिन्हें मैंने कभी जाना है, और मुझे पता है कि उसे सच्ची शांति मिल गई है।’’
माक्र्स ने भिक्षु की कहानी ध्यान से सुनी और अपने जीवन में पहली बार उसे धन-संपत्ति से ज्यादा सार्थक किसी चीज की चाहत महसूस हुई। उसे एहसास हुआ कि वह गलत सपने का पीछा कर रहा था और सच्ची खुशी और शांति भीतर से आती है। उस दिन से, माक्र्स ने अपनी प्राथमिकताओं का पुनर्मूल्यांकन करना शुरू कर दिया। उसने सार्थक रिश्ते बनाने, कृतज्ञता का अभ्यास करने और साधारण चीजों में खुशी खोजने पर ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया। और जैसे-जैसे उसने ऐसा किया, उसने पाया कि उसकी चिंता और तनाव दूर होने लगे और उसकी जगह शांति और संतोष की भावना ने ले ली जिसे उसने पहले कभी नहीं जाना था। क्या आपको माक्र्स की तरह पूरी यात्रा से गुजरना होगा? ऐसी संपत्ति पर नजर रखना बंद करें जो आपकी नहीं है, और अधिक से अधिक पाने की कोशिश करना बंद करें क्योंकि संतोष, वास्तविक शांति, वास्तविक आनंद, आपके पास पहले से मौजूद चीजों में पाया जा सकता है..!-दूर की कौड़ी राबर्ट क्लीमैंट्स