अकाली दल में नई लामबंदी पैदा करेगा सुखबीर पक्ष का अकाल तख्त विरोधी रवैया

Edited By ,Updated: 11 Jan, 2025 05:24 AM

sukhbir s side s anti akal takht attitude

लम्बे समय से चल रहे अकाली संकट को खत्म करने की मंशा के साथ अकाली दल के दोनों प्रमुख दलों की ओर से श्री अकाल तख्त साहिब पर पेश हो जाने से एक बार तो आम सिख समुदाय और विशेषकर अकाली वर्करों को यह आस बंधी थी कि अकाल तख्त के जत्थेदार और बाकी सिंह साहिबान...

लम्बे समय से चल रहे अकाली संकट को खत्म करने की मंशा के साथ अकाली दल के दोनों प्रमुख दलों की ओर से श्री अकाल तख्त साहिब पर पेश हो जाने से एक बार तो आम सिख समुदाय और विशेषकर अकाली वर्करों को यह आस बंधी थी कि अकाल तख्त के जत्थेदार और बाकी सिंह साहिबान की ओर से अकाली दल के नेताओं को ‘तनख्वाह’ लगने के बाद अकाली एकता हो जाएगी और अकाली दल का दिन-ब-दिन गहराता संकट खत्म हो जाएगा। 2 दिसम्बर को सिंह साहिबान की ओर से तलब किए गए अकाली नेताओं की ओर से अकाल तख्त से सुनाई गई ‘तनख्वाह’ को समस्त अकाली नेतृत्व की ओर से मान लेने और ‘तनख्वाह’ को पूरा करने की शुरूआत ने यह विश्वास पक्का कर दिया था। परन्तु एक दिन बाद ही नारायण सिंह चौड़ा नामक व्यक्ति की ओर से सुखबीर सिंह बादल पर हमला करने की कोशिश के बाद अकाली दल बादल की ओर से अपनाए गए रवैये में सिख समाज और विशेषकर अकाली समर्थकों की उम्मीदों को धराशायी कर दिया।

अकाल तख्त की ओर से सुनाए गए हुकमनामे के अनुसार दोनों दलों के नेताओं को धार्मिक ‘तनख्वाह’ के साथ-साथ राजनीतिक सजा भी सुनाई गई थी। श्री अकाल तख्त साहिब की ओर से सुधार लहर के नेताओं को अपना ढांचा भंग करने का आदेश दिया गया और बादल अकाली दल को नेताओं की ओर से दिए गए इस्तीफे को 3 दिनों में मंजूर करने, अकाली दल की भर्ती 7 सदस्यीय कमेटी के माध्यम से करवाने और दोनों दलों को एकता करने का हुकमनामा जारी किया गया था।नारायण सिंह चौड़ा की ओर से सुखबीर पर हमले करने की कोशिश का विरोध करने के लिए अकाली दल ने कोर कमेटी की बैठक तो बुला ली मगर अकाल तख्त के हुकमनामे के अनुसार वर्किंग कमेटी की बैठक करने से टाल-मटोल कर लिया और अनेकों कारण बताकर 20 दिन की मोहलत मांगी गई परन्तु 20 दिन बाद भी इस पर कोई कार्रवाई करने की बजाय श्री अकाल तख्त के पास कानूनी कार्रवाई का डर बताकर हुकमनामे में संशोधन करवाने की योजना बनानी शुरू कर दी। 

बेशक श्री अकाल तख्त के जत्थेदार साहिब ने अकाली दल  बादल की सभी दलीलें सुनने के बाद भी 6 जनवरी को अकाली दल के नेताओं को हुकमनामा लागू करने की हिदायत दी। इसके बाद भी सुखबीर सिंह बादल ने अपनी ओर से माने गए गुनाहों को यह कह कर पासा बदलने की कोशिश की कि उन्होंने विवाद खत्म करने के लिए सभी गुनाह अपनी झोली में डाल लिए थे और अकाली नेताओं ने दोबारा श्री अकाल तख्त के जत्थेदार के साथ मुलाकात कर नई कानूनी राय पेश की।
अकाली नेता दलजीत सिंह चीमा  ने मुलाकात के बाद यह कहा कि अकाल तख्त के जत्थेदार साहिब की ओर से उनके द्वारा पेश की गई दलीलों को ठीक माना है।

चीमा ने इस बयान पर सख्त ऐतराज जताते हुए भंग की गई सुधार लहर के कन्वीनर गुरप्रताप सिंह वडाला ने एक वीडियो के माध्यम से चीमा के बयान को गुमराह करने वाला बताया और दावा किया कि विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार जत्थेदार की ओर से अकाली नेताओं को ऐसा कोई आश्वासन नहीं दिया। इस सारे घटनाक्रम ने अकाली संकट को और भी गहरा करने की शंका पैदा कर दी। इस सारे घटनाक्रम में सिखों की धार्मिक, सामाजिक और शैक्षणिक क्षेत्र में काम कर रही जत्थेबंदियों को इस मामले पर सोच-विचार तथा कोई ठोस कार्रवाई करने के लिए मजबूर कर दिया। 

यही कारण है कि संत समाज के प्रमुख बाबा सर्बजोत सिंह बेदी ने जालंधर में एक कन्वैंशन बुला ली है। उन्होंने इस कन्वैंशन में शामिल होने के लिए सभी पंथक पक्षों को शामिल होने का न्यौता दिया है। दूसरी ओर अकाल तख्त के जत्थेदार की ओर से हुकमनामा जल्दबाजी में लागू करने की हिदायत से पैदा हुए हालातों के बारे में विचार करने के लिए अकाली दल ने भी आज वर्किंग कमेटी की बैठक बुलाई थी जहां पर सुखबीर सिंह बादल का इस्तीफा मंजूर कर लिया गया है परन्तु अन्य नेताओं के इस्तीफे, 7 सदस्यीय कमेटी की मान्यता और सुधार लहर के नेताओं के साथ एकता करने के बारे में फैसले आगे डाले जाने की शंका व्यक्त की जा रही है। 

इन शंकाओं के मद्देनजर आज ही भंग की गई सुधार लहर के नेता गुरप्रीत सिंह वडाला और जत्थेदार संता सिंह उमेदपुरी की ओर से एस.जी.पी.सी.प्रधान हरजिंद्र सिंह धामी को मिलने का कार्यक्रम बनाया गया था परन्तु धामी के अकाली दल की वर्किंग कमेटी की बैठक में शामिल होने के कारण आज की बैठक टाल दी गई थी। सुधार लहर के नेता एस.जी.पी.सी. अध्यक्ष को मिलने के बाद अकाल तख्त के जत्थेदार से भेंट करने का कार्यक्रम भी बना रहे हैं। हालात इशारा कर रहे हैं कि सुखबीर विरोधी अकाली नेतृत्व अन्य सिख गुटों से मिलकर नई लामबंदी की तरफ बढ़ सकता है।-इकबाल सिंह चन्नी(भाजपा प्रवक्ता पंजाब)
 

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