आगाज तो अच्छा है, अंजाम खुदा जाने

Edited By ,Updated: 27 Oct, 2024 05:19 AM

the beginning is good god knows the end

भारत का विश्व में शांति, स्थिरता, विकास तथा देशों की एकता एवं सम्प्रभुता का सम्मान करना इसका परम लक्ष्य है। जंगो जदल व कत्लोगारत से मसले हल करने की बजाय भारत संवाद और कूटनीति में विश्वास रखता है।

भारत का विश्व में शांति, स्थिरता, विकास तथा देशों की एकता एवं सम्प्रभुता का सम्मान करना इसका परम लक्ष्य है। जंगो जदल व कत्लोगारत से मसले हल करने की बजाय भारत संवाद और कूटनीति में विश्वास रखता है। गुटनिरपेक्ष नीति का सबसे बड़ा अलंबरदार है परंतु फिर भी जी 20,  शंघाई सहयोग संगठन, ब्रिक्स, क्वार्ड तथा कई अन्य संगठनों का शक्तिशाली सदस्य है जिसका मुख्य उद्देश्य आपसी सहयोग द्वारा स्थानीय या विश्व को दरपेश समस्याओं का समाधान करने के साथ-साथ  अपनी सुरक्षा को मजबूत  करना  भी  है। भारत अमरीका, रूस और चीन के बाद एक उभरती हुई मजबूत अर्थव्यवस्था वाला देश बन रहा है। 

भारत की सफल कूटनीति ने बड़े-बड़े देशों के रहनुमाओं को आश्चर्य में डाल दिया है। एक तरफ इसराईल और ईरान के संबंध अति तनावपूर्ण हैं परन्तु भारत के साथ दोनों के संबंध मित्रतापूर्ण हैं दूसरी तरफ अमरीका और रूस एक-दूसरे के जानी दुश्मन हैं परन्तु भारत के दोनों के साथ अच्छे संबंध हैं। भारत ने सऊदी अरब, यू.ए.ई. तथा यूरोपियन देशों के साथ भी अच्छे रिश्ते स्थापित किए हुए हैं। यद्यपि चीन की विस्तारवाद नीति के कारण भारत से संबंध ठीक नहीं हैं। इसके बावजूद अरबों रुपयों का व्यापार आपस में हो रहा है। यही  मोदी का करिश्मा है। परंतु भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान का बाबा आदम ही निराला है। वह भारत से व्यापार करने के लिए तरस रहा है पर आतंकवादियों पर नियंत्रण करने के लिए तैयार नहीं है।

पाकिस्तान के इस्लामाबाद में शंघाई सहयोग संगठन की बैठक का आयोजन किया गया जिसमें रूस, चीन, भारत और मध्य एशिया के देशों ने भाग लिया। पाकिस्तान ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बैठक में भाग लेने के लिए निमंत्रित किया था। पाकिस्तान के हुक्मरान,आवाम और मीडिया को उनके आने की पूरी आशा थी। परंतु कुछ दिन पहले भारत की कूटनीति के मंझे हुए नेता जयशंकर को भेजने का फैसला कर दिया गया। जय शंकर भारत के 2 महान कूटनीतिज्ञों हनुमान जी और श्री कृष्ण जी की अद्भुत कूटनीति से अति प्रभावित हैं। सरल शब्दों में कूटनीति का अर्थ है ‘सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे’।  जयशंकर का इस्लामाबाद के हवाई अड्डे पर उतर कर रैड कार्पेट पर चलने से उनकी बाडी लैंग्वेज और हाव-भाव ने चश्मदीद पाकिस्तानियों  को हैरत में डाल दिया और सारे देश में उनके नाम की चर्चा सूरज के प्रकाश की तरह होने लगी।

जयशंकर ने शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में भिन्न-भिन्न देशों के रहनुमाओं को बिना किसी का नाम लिए संबोधित करते हुए कहा कि  कट्टरवाद, आतंकवाद और अलगाववाद समूचे विश्व के लिए खतरा है। आतंकवाद और व्यापार साथ-साथ नहीं चल सकते। यह अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान की सरकार को कड़ी चेतावनी थी और आवाम को जागृत करने का संदेश था। हकीकत में पाकिस्तान अपने जन्म से ही मजहबी जनून की नफरत के भयानक रोग से ग्रस्त है। जिसके कारण वह लम्बे समय से एक नाकामयाब देश बनकर रह गया है। और इसकी दूषित नीतियों और आर्थिक अव्यवस्था के कारण सऊदी अरब, यू.ए.ई. और चीन ने भी इसे कर्ज देना बंद कर दिया है और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की सहायता से सांस ले रहा है। कट्टरतावादी आधुनिकता, विकास और विश्व भाईचारे की दुश्मन होती है। वह सैंकड़ों साल पुरानी घिसी-पिटी, जीर्ण- शीर्ण, टूटी- फूटी और तरक्की को बाधित करने की विचारधारा का गुलाम होता है।  इस्लाम के केन्द्र सऊदी अरब के लोग विकासोन्मुखी और प्रगतिशील विचारधारा को सहर्ष अपना रहे हैं। परंतु पाकिस्तान अभी भी मजहबी कट्टरवाद की इस दलदल में बुरी तरह फंसा हुआ है। 

भारत के साथ मधुर संबंध बनाने के लिए उसे कट्टरतावादी रवैये और अपने प्रशिक्षित आतंकवादियों को भारत में भेजना तुरंत बंद कर देना चाहिए। पाकिस्तान की जमीं पर अलगाववादियों की गतिविधियों को भी पूरी तरह बंद करना होगा। विश्व में केवल और केवल भारत ही पाकिस्तान को इस बदतर हालात से बाहर निकाल सकता है। चीन के साथ संबंधों पर भी विदेश मंत्री ने बड़ी  शायस्ताना, मोतबराना और अकल मंदाना तरीके से अपने विचार रखे। और स्पष्टत: कहा कि  पी.ओ.के. भारत का अभिन्न अंग है और वहा से सीपैक का निर्माण करना एक अनुचित कदम ही नहीं बल्कि भारत की सम्प्रभुता में दखल अंदाजी है। इस तरह पाकिस्तान के घर में बैठकर पाक और चीन को खरी- खरी सुनाई।

पाकिस्तान 77 वर्षों से अपनी बदगुमानियों से अब खुद ही परेशान हो चुका है। कभी अमरीका से और कभी चीन से सहायता लेकर भारत के साथ संबंध बिगाड़ता चला आ रहा था। अब देश में महंगाई से फैली हाहाकार, प्रशासनिक अव्यवस्था और विश्व के देशों में अपनी घटती साख से परेशान होकर भारत से व्यापारिक संबंध बनाने के लिए उतावला हो रहा है। मधुर संबंधों के लिए उसे कट्टरवाद, आतंकवाद और अलगाववाद पर काबू पाना होगा। विदेश मंत्री का पाकिस्तान का दौरा इस संदेश का द्योतक है कि आगाज तो अच्छा है, अंजाम खुदा जाने। पाकिस्तानी हुकमरानों के लिए एक शे’र नजर करता हूं।‘कुफ्र टूटा खुदा-खुदा करके आखिर होश में आए सब कुछ बर्बाद करके’-प्रो. दरबारी लाल 
 

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