‘भारत जोड़ो यात्रा’ में सबसे बड़ा दोष इसका नाम

Edited By ,Updated: 15 Sep, 2022 06:06 AM

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कांग्रेस पार्टी की भारत जोड़ो यात्रा में सबसे बड़ा दोष इसका नाम है। इसका नाम ‘नौकरी बनाओ यात्रा’ होना चाहिए था। चुनाव जीतने के लिए एक राजनीतिक दल को एक मूल वोट आधार और उन

कांग्रेस पार्टी की भारत जोड़ो यात्रा में सबसे बड़ा दोष इसका नाम है। इसका नाम ‘नौकरी बनाओ यात्रा’ होना चाहिए था। चुनाव जीतने के लिए एक राजनीतिक दल को एक मूल वोट आधार और उन लोगों के स्विंग वोट की आवश्यकता होती है जो किसी भी पार्टी के मूल वोट नहीं हैं। 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पास पहले से ही मूल हिंदू राष्ट्रवादी वोट आधार था। उन्होंने स्विंग वोटर को एक अभियान के साथ जोड़ा जोकि आर्थिक मुद्दों पर केंद्रित था। भारत को भ्रष्टाचार से छुटकारा दिलाने और इसकी आर्थिक प्रगति को गति देने का वायदा किया गया। 

यह अर्थव्यवस्था है : वास्तव में हाल के दिनों में प्रत्येक राष्ट्रीय चुनाव आर्थिक मुद्दों पर लड़ा गया है। 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के नारे ‘इंडिया शाइङ्क्षनग’ को कांग्रेस के अभियान द्वारा काऊंटर किया गया था जिसमें कहा गया था कि ‘आम आदमी को क्या मिला’। भाजपा चुनाव हार गई और गुजरात में भी उसकी सीटें कम हो गईं, जहां उसे 2002 में अंत:धार्मिक ङ्क्षहसा के बाद फायदा हुआ था। 

2009 में मुम्बई में 26/11 के आतंकवादी हमले आम चुनाव से कुछ माह पूर्व हुए थे। भाजपा ने पाकिस्तान पर जवाबी सैन्य हमला नहीं करने के लिए कांग्रेस की आलोचना की। फिर भी कांग्रेस ने केवल 2004 से अपनी संख्या में वृद्धि की। कांग्रेस ने मुख्य रूप से अपने आर्थिक प्रदर्शन के कारण, ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून और कृषि ऋण माफी जैसे कल्याणकारी उपायों के साथ विकास प्रदान किया। जब 2014 और 2019 में कांग्रेस बुरी तरह हार गई तब भी उसने अपने ठोस 19 प्रतिशत वोट शेयर को बरकरार रखा। यह सुझाव दिया कि मूल वोट आधार बरकरार है।

कांग्रेस को स्विंग वोट की जरूरत है और कांग्रेस को यह समझाने के लिए भी स्विंग वोट की आवश्यकता है कि पार्टी जानती है कि रोजगार कैसे पैदा किया जाए और महंगाई के संकट को कैसे कम किया जाए। एक चुनावी पर्यटक के रूप में मैं पूरे भारत में यात्रा करता हूं और मैं उस सहजता से चकित हूं जिसके साथ भाजपा कार्यकत्र्ता स्विंग मतदाताओं को भाजपा को छोडऩे से रोकते हैं। उन्हें बस इतना कहना है ‘क्या आपको सच में लगता है कि राहुल गांधी रोजगार पैदा कर सकते हैं? क्या आपको सच में लगता है कि कांग्रेस महंगाई कम कर सकती है?’ और यह तर्क का अंत है। 

कम से कम इसलिए नहीं कि एक मतदान केंद्र में भाजपा के 21 कार्यकत्र्ताओं की तुलना में कांग्रेस के पास मुश्किल से एक कार्यकत्र्ता है। कांग्रेस के पास संदेश और दूत दोनों की अनुपस्थिति है। यह बात अक्सर क्षेत्रीय भाजपा विरोधी पार्टियों के बारे में भी सत्य है। जैसे कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी या बसपा दोनों ही मूल वोट आधार तक कम हो गई हैं। दोनों पार्टियां स्विंग वोट जीतने में असमर्थ हैं। 

तेजस्वी यादव ने कैसे लक्ष्य भेदा : 2016 में सर्वेक्षण के बाद पता चला है कि बेरोजगारी और मुद्रास्फीति शीर्ष मुद्दे हैं जिनके बारे में भारतीय नागरिक ङ्क्षचतित हैं। लोगों द्वारा व्यक्त की गई चिंताओं के संदर्भ में दोनों मामले मिलाकर आमतौर पर 50 प्रतिशत से अधिक हैं। लोग अक्सर आश्चर्य करते हैं कि बेरोजगारी और मुद्रास्फीति चुनावों में भाजपा को नुक्सान क्यों नहीं पहुंचाती? ऐसा इसलिए क्योंकि विपक्ष मतदाताओं को इन आर्थिक दर्दनाक बिंदुओं को दूर करने के लिए वैकल्पिक योजना की पेशकश नहीं करता। विपक्ष जो कुछ भी करता है वह नकारात्मक प्रचार है। वह सुबह से लेकर शाम तक भाजपा को ही कोसता है। 

2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में राजद के नेता तेजस्वी यादव ने एक ठोस अभियान शुरू किया जिसमें उनकी पार्टी के जीतने पर 10 लाख नौकरियों का वायदा किया गया था। प्रतिक्रिया इतनी जबरदस्त थी कि राजद खुद हैरान रह गया। तेजस्वी यादव ने प्रतिदिन संबोधित की जाने वाली रैलियों की संख्या को दोगुणा कर दिया। मगर बहुत देर हो चुकी थी। उन्होंने चुनाव से ठीक 2 महीने पहले ही अपना अभियान शुरू कर दिया था। फिर भी उस स्पष्ट सुसंगत अभियान का असर यह हुआ कि आज भी बिहार में बेरोजगार युवा तेजस्वी के बारे में सकारात्मक बात कर रहे हैं। राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा भाजपा को छोडऩे और राजद के साथ अपने गठबंधन को पुन: जीवित करने के बाद तेजस्वी फिर से उप-मुख्यमंत्री बन गए। 

यात्रा का अचूक संदेश : भारत की बेरोजगारी दर अभी 8 प्रतिशत से अधिक है। इसका मतलब यह है कि आबादी सक्रिय रूप से नौकरियों की तलाश में लगी हुई है। लेकिन उसे नौकरी नहीं मिल रही। अगर राहुल गांधी ‘नौकरी बनाओ यात्रा’ कर रहे होते तो कांग्रेस पार्टी के लिए 19 प्रतिशत वोट शेयर में कुछ प्रतिशत और अंक जुड़ जाते। भारत जोड़ो यात्रा स्पष्ट रूप से धर्मनिरपेक्षता के बारे में है। बेशक कांग्रेस कहेगी कि वह यात्रा के जरिए महंगाई, बेरोजगारी और आॢथक मुद्दों पर खूब बातें कर रही है लेकिन फिर ऐसा कुछ भी नहीं है जिसके बारे में कांग्रेस बात नहीं करेगी। धर्म निरपेक्षता को पुनर्जीवित करने के लिए एक यात्रा से बढ़कर ऐसी यात्रा है जिसका संदेश भी स्पष्ट नहीं है। 

भाजपा ने एक बार स्पष्ट संदेश के साथ यात्रा की कि हम एक मंदिर बनाना चाहते हैं। अस्पष्ट भारत जोड़ो यात्रा के साथ राहुल गांधी अपनी राफेल गलती को दोहरा रहे हैं। 2018-19 में उन्होंने राफेल लड़ाकू जैट की खरीद में भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ अभियान चलाया था। जनता जानना चाहती थी कि कांग्रेस रोजगार कैसे पैदा करे लेकिन राहुल गांधी उन्हें रक्षा खरीद के बारे में बता रहे थे। लोग नौकरी चाहते हैं और हम राहुल गांधी को 5 महीनों तक बोलते हुए सुनेंगे कि वह प्यार फैलाना चाहते हैं।-शिवम विज     
    

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