गठबंधन की मजबूरियों से प्रेरित था बजट

Edited By ,Updated: 29 Jul, 2024 04:48 AM

the budget was driven by coalition compulsions

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले सप्ताह 2024-25 का बजट पेश किया, जो भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ। उन्होंने लगातार 7 बार बजट पेश करके रिकॉर्ड बनाया। 2024 के आम चुनावों के बाद पहला बजट, बहुत महत्वपूर्ण है...

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले सप्ताह 2024-25 का बजट पेश किया, जो भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ। उन्होंने लगातार 7 बार बजट पेश करके रिकॉर्ड बनाया। 2024 के आम चुनावों के बाद पहला बजट, बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह अगले 5 वर्षों के लिए वित्तीय दिशा निर्धारित करता है और मोदी सरकार की राजनीतिक स्थिरता को दर्शाता है। तीसरी बार शपथ लेने के एक महीने बाद मोदी 3.0 के पहले बजट में बिहार और आंध्र प्रदेश के लिए उदार समर्थन दिखाया गया। 

इस कदम की विपक्ष ने आलोचना की, जिन्होंने कहा कि यह राजनीतिक जरूरतों से प्रेरित बजट है और भाजपा के सहयोगियों को खुश करने के लिए विपक्ष द्वारा शासित राज्यों को इसमें शामिल नहीं किया गया है। एन.डी.ए. सरकार की स्थिरता तेलुगु देशम पार्टी और जद (यू)  पर निर्भर करती है, जिनके लोकसभा में क्रमश: 16 और 12 सदस्य हैं। दोनों ही दल अपने राज्यों के विकास के लिए विशेष दर्जे या वित्तीय मदद की मांग कर रहे हैं।

नरेंद्र मोदी सरकार के तीसरे बजट में बिहार और आंध्र प्रदेश के लिए महत्वपूर्ण समर्थन दिखाया गया, जो गठबंधन की राजनीति को दर्शाता है। वित्त मंत्री सीतारमण ने दोनों राज्यों के लिए वित्तीय सहायता और विकास परियोजनाओं की एक शृंखला की रूपरेखा तैयार की। कांग्रेस ने बजट को रणनीतिक कदम के रूप में देखा, जिसने सहयोगियों को पर्याप्त धन मुहैया कराया। उन्होंने इसे इन 2 सहयोगियों को पुरस्कृत करके मोदी सरकार की स्थिरता को सुरक्षित करने के प्रयास के रूप में देखा, जिससे राजनीतिक खेल में चल रही चालों की स्पष्ट जानकारी मिलती है। तेलुगु देशम पार्टी और जद (यू) भाजपा सरकार को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। 

एन.डी.ए. सरकार की मजबूत पकड़ काफी हद तक तेलुगु देशम पार्टी और जद (यू) पर निर्भर करती है। उनके नेता मोदी और केंद्रीय मंत्रियों के साथ बजट पूर्व बैठकों में अपने राज्यों के लिए विशेष वित्तीय मदद की पैरवी कर रहे हैं। यह ‘विशेष मदद’ अक्सर केंद्रीय निधियों या अनूठी विकास परियोजनाओं के उच्च हिस्से को संदर्भित करती है। दोनों दल अपने राज्यों के विकास को बढ़ावा देने के लिए इसके लिए जोरदार वकालत करते हैं। दोनों राज्यों को मिलने वाले भारी लाभ संभवत: सरकार के समर्थन के लिए भाजपा के बीच हुए समझौते का हिस्सा थे। इसलिए, मोदी ने उनके निरंतर समर्थन को सुनिश्चित करने के लिए समझौते के पहले भाग को पूरा किया है। वित्त मंत्री सीतारमण ने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारी में बिहार को बदलने के लिए कई महत्वाकांक्षी योजनाओं की घोषणा की है। नए हवाई अड्डों, मैडीकल कॉलेजों, खेल के बुनियादी ढांचे और 2,400 मैगावाट वाले बिजली संयंत्र की स्थापना सहित इन योजनाओं से राजनीतिक परिदृश्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव पडऩे और राज्य के भाजपा-जद(यू) गठबंधन के लिए जनता का समर्थन मिलने की उम्मीद है, जिससे लोगों को राजनीतिक गतिशीलता में दिलचस्पी होगी। 

आंध्र प्रदेश को मोदी सरकार की सौगात में इसकी नई राजधानी अमरावती का निर्माण शामिल है। 10 साल पहले, तत्कालीन मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने अमरावती को राज्य की राजधानी बनाने की पहल की थी। हालांकि, वे सत्ता से बाहर हो गए और उनके उत्तराधिकारी जगन मोहन रैड्डी ने इस विचार का समर्थन नहीं किया। इसके बजाय, उन्होंने आंध्र प्रदेश के 3 क्षेत्रों में 3 राजधानी शहरों का प्रस्ताव रखा। हाल ही में, अदालत ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया, जिससे नायडू को अपने सपनों की परियोजना पर आगे बढऩे की अनुमति मिल गई। 15,000 करोड़ रुपए की महत्वपूर्ण वित्तीय सहायता बहुपक्षीय विकास एजैंसियों के माध्यम से दी जाएगी, जिसके बाद में और अधिक धन जुटाया जाएगा। इसके अलावा, सरकार ने आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम के दायित्वों को पूरा करने का स्पष्ट वचन दिया है, जिसमें पोलावरम सिंचाई परियोजना को वित्तपोषित करना और पूरा करना शामिल है, जो राज्य के विकास को आश्वस्त करता है। 

दिलचस्प बात यह है कि महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर सहित चुनाव वाले राज्यों को समान लाभ नहीं मिला। इन राज्यों ने बजट आबंटन की निष्पक्षता पर सवाल उठाए। जम्मू और कश्मीर में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। भाजपा ने महाराष्ट्र में 14, हरियाणा में 5, झारखंड में 3 और जम्मू-कश्मीर में 1 सीट खो दी। वहीं, कांग्रेस ने महाराष्ट्र में 12, हरियाणा में 5 और झारखंड में 1 सीट हासिल की। जीत के लिए भाजपा को रणनीति बनानी होगी। जैसा कि अपेक्षित था, बजट की विपक्ष ने आलोचना की। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने टिप्पणी की कि बिहार और आंध्र प्रदेश को बजट में ‘पकौड़ा और जलेबी’ मिली। वहीं, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सांसद मनोज झा ने कहा, ‘‘सरकार ने अखरोट में छिलके दिए हैं।’’ यह आलोचना चल रहे राजनीतिक विमर्श को और बढ़ा देती है और लोगों को बांधे रखती है। 

मोदी के आलोचकों को लगा कि गठबंधन धर्म निभाना उनके लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन उन्होंने इसे सहजता से किया है। हालांकि मोदी ने दोनों सहयोगियों के साथ अपने समझौते के वित्तीय सहायता वाले हिस्से को पूरा कर लिया है, लेकिन भविष्य में और भी मांगें उठ सकती हैं। इसमें मोदी द्वारा अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करते समय पर्याप्त प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना शामिल है। उन्हें अपने बहुमत प्राप्त करने तक इन दोनों सहयोगियों को खुश रखना चाहिए। मोदी भाजपा के मुख्य मुद्दों को लागू कर सकते हैं, जैसे समान नागरिक संहिता लागू करना, जनसंख्या नियंत्रण करना और 2 सहयोगियों की मदद से अन्य आर्थिक सुधार करना। भाजपा के पर्यवेक्षकों का कहना है कि धीरे-धीरे पार्टी अलग-अलग दलों के सदस्यों को आकर्षित करेगी और कुछ सांसदों को अपनी संख्या बढ़ाने के लिए राजी करेगी। फिलहाल, नीतीश और चंद्रबाबू नायडू को अपनी भूमिका मिल गई है, लेकिन धीरे-धीरे उन्हें अपनी अहमियत खोने के लिए तैयार रहना चाहिए। कुल मिलाकर, 2024 का बजट बिहार-आंध्र वाला था, जो गठबंधन की मजबूरियों से प्रेरित था। विशेष दर्जे की जगह विशेष पैकेज की उनकी मांग है।-कल्याणी शंकर
 

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