आर्टिफिशियल इंटैलीजैंस और मीडिया के उलझे रिश्ते

Edited By ,Updated: 20 Jul, 2024 05:26 AM

the complicated relationship between artificial intelligence and the media

माननीय प्रधानमंत्री जी हम आभारी हैं कि आप हमारे बीच आए। मेरी ऑन दि जॉब लॄनग अब शुरू हो गई है और 2024 तक मैं देश की सबसे अच्छी जर्नलिस्ट होने की कोशिश करूंगी। उम्मीद करती हूं कि तब आपसे एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू करने का मौका मुझे मिलेगा।

माननीय प्रधानमंत्री जी हम आभारी हैं कि आप हमारे बीच आए। मेरी ऑन दि जॉब लॄनग अब शुरू हो गई है और 2024 तक मैं देश की सबसे अच्छी जर्नलिस्ट होने की कोशिश करूंगी। उम्मीद करती हूं कि तब आपसे एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू करने का मौका मुझे मिलेगा। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।’’ ये शब्द हैं भारत की पहली ए.आई. रोबोट एंकर सना के। आर्टिफिशियल इंटैंलीजैंस के मीडिया जगत में बढ़ते इस्तेमाल की कई संभावनाएं हैं। इसी में से एक है कि आने  वाले समय में देश के प्रधानमंत्री एक ए.आई. एंकर से देश के भविष्य और योजनाओं के बारे में चर्चा करते दिखें। 

दरअसल आर्टिफिशियल  इंटैलीजैंस के ‘टैक्स्ट टू स्पीच’ फीचर की बदौलत अब भारतीय न्यूजरूम में मशीन को इंसानी चेहरे में ढालकर खबरें पेश की जा रही हैं। पिछले साल अप्रैल के महीने में इंडिया टुडे ग्रुप ने ए.आई. एंकर से समाचार बुलेटिन का प्रसारण शुरू किया था। लांच कार्यक्रम में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में एंकर का परिचय देते हुए कहा गया था कि वह ब्राइट है, सुंदर है, उम्र का उस पर कोई असर नहीं होता है और न ही कोई थकान होती है, वह बहुत सारी भाषाओं में बात कर सकती है। हाल के कुछ समय से आर्टिफिशियल इंटैलीजैंस बहुत चर्चा का विषय बना हुआ है और पत्रकारिता का क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं रह रहा है। मौजूदा समय में भारत की मेनस्ट्रीम मीडिया का बड़ा हिस्सा विज्ञापन पर निर्भर होकर काम कर रहा है। ऐसे में तकनीक के जरिए डाटा के आधार पर समाचार बुलेटिन प्रस्तुत करना और अन्य काम भी इंसान की जगह मशीन की बदौलत होने ने मीडिया इंडस्ट्री के सामने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। 

आर्टिफिशियल इंटैलीजैंस और पत्रकारिता : आर्टिफिशियल इंटैलीजैंस हमारे जीवन के लगभग सभी पहलुओं समेत पत्रकारिता में भी शामिल हो गई है। डिजिटल मीडिया की वजह से जाने-अनजाने में ही ए.आई. तकनीक पर आधारित कंटैंट का इस्तेमाल कर रहे हैं। चाहे वह यू-ट्यूब के एल्गोरिदम की वजह से आपको दिखते वीडियो हों या वैबसाइट पर दिखने वाले विज्ञापन। सभी का एक कारण ए.आई. तकनीक ही है। सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव की वजह से ए.आई. पत्रकारिता में बड़ी भूमिका निभा रहा है। मीडिया कंपनियां अपने कंटैंट को अधिक बूस्ट करने के लिए ए.आई. की मदद ले रही हैं। लेख लिखने से लेकर बुलेटिन प्रसारित करने तक में ए.आई. का सहारा लिया जा रहा है। 

खतरे में पत्रकारों की नौकरियां : इंसान की जगह मशीन के इस्तेमाल होने का पहला खतरा इंसानों पर ही पड़ता है। बी.बी.सी. द्वारा प्रकाशित एक समाचार के अनुसार साल 2020 में माइक्रोसॉफ्ट ने बड़ी संख्या में ‘एम.एस.एन.’ वैबसाइट के लिए लेखों के चयन, क्यूरेटिंग, हैडलाइन तय करने और एडिटिंग करने वाले पत्रकारों की जगह स्वचलित सिस्टम को अपनाने की योजना बनाई। खबर के अनुसार कंपनी ने ए.आई. तकनीक के सहारे खबरों के प्रोडक्शन के कामों को पूरा करना तय किया। माइक्रोसॉफ्ट जैसी अन्य टैक कंपनियां मीडिया संस्थानों को उनका कंटैंट इस्तेमाल करने के लिए भुगतान करती हैं। इन सब कामों के लिए पेशेवर पत्रकारों की मदद ली जाती आई है, जो कहानियां तय करने, उनका प्रकाशन कैसे होना है, हैडलाइन तय करने जैसे काम करते हैं। लेकिन माइक्रोसॉफ्ट के ए.आई. तकनीक के इस्तेमाल के बाद से लगभग 50 न्यूज प्रोड्यूसर्स को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी। 

आर्टिफिशियल इंटैलीजैंस अपने शुरूआती दौर में है, लेकिन अभी से न्यूज रूम के भीतर उसकी मौजूदगी से मीडिया पेशेवरों की नौकरियों पर संकट बनना शुरू हो चुका है। डायच वेले के अनुसार हाल ही में यूरोप के सबसे बड़े पब्लिकेशन हाऊस ‘एक्सल स्प्रिंगर’ ने कई संपादकीय नौकरियों को ए.आई. में बदल दिया है। स्प्रिंगर में नौकरियों की कटौती ने मीडिया उद्योग की रोबोट पर निर्भरता की आशंकाओं में तेजी ला दी है। 

न्यूजरूम में ए.आई. एंकर : भारत समेत कई अन्य देशों में न्यूज एंकर के तौर पर कम्प्यूटर जनित मॉडल यानी ए.आई. एंकर समाचार पढ़ते नजर आ रहे हैं। बहुत हद तक इंसानी तौर पर दिखने वाले ये न्यूज एंकर कॉर्पोरेट मीडिया हाऊस के मुनाफे वाले दृष्टिकोण से हितैषी हैं, क्योंकि इन्हें न कोई सैलरी की आवश्यकता है, न छुट्टी की। ये 24 घंटे और सातों दिन डाटा के आधार पर काम कर सकते हैं। भारत की पहली ए.आई. न्यूज एंकर सना के लांच के समय इसी तरह के शब्द कहे गए थे कि वह बिना थके लंबे समय तक काम कर सकती है। ‘द गार्डियन’ के अनुसार साल 2018 में चीन की न्यूज एजैंसी ‘शिन्हुआ’ पहला ए.आई. न्यूज एंकर दुनिया के सामने लाई। इस एजैंसी के किउ हाओ पहले ए.आई. एंकर हैं, जिन्होंने डिजिटल वर्जन पर समाचार प्रस्तुत किया। शिन्हुआ और चीनी सर्च इंजन सोगो द्वारा यह ए.आई. एंकर विकसित किया गया है। 

चीन के अलावा कुवैत भी अपना ए.आई. न्यूज एंकर लांच कर चुका है। हाल ही में ‘न्यूज 18’ के पंजाब और हरियाणा के क्षेत्रीय चैनल की तरफ से भी ए.आई. एंकर के बारे में बात की गई। इस एंकर का नाम ए.आई. कौर है। आर्टिफिशियल इंटैलीजैंस अभी अपने शुरूआती चरण में है, लेकिन यह देखना वास्तव में बहुत दिलचस्प होगा कि यह पत्रकारिता को किस तरह से बदलेगा।-प्रो. संजय द्विवेदी

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