mahakumb

देश साम्प्रदायिक आधार पर बंट चुका है

Edited By ,Updated: 08 Dec, 2023 05:14 AM

the country is divided on communal lines

मैं यह लेख एक अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य के रूप में लिख रहा हूं जो देश की आबादी का मात्र 2 प्रतिशत है। भाजपा ने हिन्दी भाषी क्षेत्रों में विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की है। इन चुनावों में कांग्रेस ने आदिवासी और महिला वोट भी खो दी है।



मैं यह लेख एक अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य के रूप में लिख रहा हूं जो देश की आबादी का मात्र 2 प्रतिशत है। भाजपा ने हिन्दी भाषी क्षेत्रों में विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की है। इन चुनावों में कांग्रेस ने आदिवासी और महिला वोट भी खो दी है। आदिवासी वोट कांग्रेस से भाजपा की ओर खिसक गए और भाजपा मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सत्ता में आ गई। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा और कांग्रेस के बीच कुल वोट शेयर में अंतर 2 प्रतिशत था। मध्यप्रदेश जैसे बड़े राज्य में यह 4  गुणा ज्यादा 8 प्रतिशत रहा जहां विजेता को कांग्रेस के 40 के मुकाबले कुल वोटों के 48 प्रतिशत वोट मिले। 

यह भाजपा की शानदार जीत थी और विशेष तौर पर प्रधानमंत्री मोदी की। यहां तक कि उनका सबसे कटु आलोचक भी यह नहीं कह सकता कि वह देश के सभी राजनीतिक नेताओं में सबसे लोकप्रिय और सबसे करिश्माई नेता नहीं हैं। अब यह निश्चित है कि मोदी अपने तीसरे कार्यकाल के लिए फिर से निर्वाचित होंगे। हिन्दी भाषी क्षेत्र उनके साथ हैं और उसका पलड़ा उनके पक्ष में झुकना चाहिए। दक्षिण और पूर्व भाजपा के साथ नहीं हैं लेकिन पश्चिम उसके कब्जे में है। 2024 के बाद देश के लिए क्या होगा? पिछले दशक में देश साम्प्रदायिक आधार पर बंट चुका है। हिन्दू वोटों का एकीकरण ही हिन्दुत्व ताकतों का प्रयास था। जो एक हद तक सफल भी हुआ। जिससे भाजपा ‘फस्र्ट पास्ट द पोस्ट’ प्रणाली में स्पष्ट जीतती। मुस्लिम और ईसाई कुल मिलाकर आबादी का मात्र 18 प्रतिशत है। सिख, जिनकी गिनती भाजपा हिन्दुओं में करती है, केवल 2 प्रतिशत हैं। 

2024 के बाद हिन्दू धर्म में अगड़ी जातियां चुनी जाएंगी। जैसे पुर्तगाली शासन के दौरान गोवा में ईसाई, ब्राह्मण और क्षत्रिय थे। भाजपा मोदी और आर.एस.एस. के अधीन ओ.बी.सी. और अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति को संतुष्ट और प्रभावित करेगी। उन्हें 80 प्रतिशत के भीतर गिना जाएगा और हिन्दू होने पर गर्व पैदा किया जाएगा। मोदी के पहले दो कार्यकाल में मुसलमान संकट में थे। गौमांस से संबंधित लिंचिंग, लवजेहाद के आरोप और सी.ए.ए. द्वारा उत्पन्न भय ने मुसलमानों की नागरिकता के रूप में समानता की उनकी खोज को दबा दिया था। अब मैं कल्पना करता हूं कि उन्हें और ईसाइयों को, जो चरमपंथियों की हिट लिस्ट में अगली पंक्ति में हैं, दूसरे दर्जे की नागरिकता के साथ तालमेल बिठाना होगा। जैसे कि पाकिस्तान में हिन्दुओं और ईसाइयों ने उस धर्म प्रभावित देश में समायोजित किया है। बहुसंख्यकों के मन में गौरव की पुन: स्थापना का सपना स्वीकार करना होगा। 

नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में भाजपा के मुख्यालय में अपना विजय भाषण देते हुए भ्रष्टाचार और वंशवादी राजनीति के अलावा ‘तुष्टीकरण’ का उल्लेख के रूप में वर्णन किया जिनसे वह लड़ रहे हैं।  वह नहीं जानते कि ‘तुष्टीकरण’ से उनका क्या अभिप्राय है। यदि वह मुसलमानों की बात कर रहे हैं तो यह केवल मुल्ला हैं। जिन्हें कांग्रेस ने धार्मिक मामलों में खुश किया था। वह किसी लोकतांत्रिक सरकार का आदेश नहीं है। 

शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल के मामले में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति जैसे सभी गरीब समुदायों की तरह मुसलमानों को भी ‘तुष्ट’ किया जाना चाहिए। धार्मिक मुद्दों को समुदाय या न्यायालयों द्वारा ही सुलझाया जाना चाहिए।हिन्दुत्व खेमे में चरमपंथी तत्व लगातार मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं। यहां तक कि उन्हें खत्म करने के लिए भी आह्वान किया जाता है और हिन्दू इलाकों में सब्जियां और फल बेचने वाले मुस्लिम व्यापारियों का बहिष्कार करने के लिए भी निरन्तर आह्वान किया गया है। मोदी को इन चरमपंथियों के खिलाफ कानून द्वारा निर्धारित दंडात्मक कार्रवाई का आदेश देकर उन पर लगाम लगानी चाहिए। वह अपना समर्थन खोने के डर से ऐसा करने से झिझकते हैं। बदले में वे इस चुप्पी को मौन स्वीकृति समझ लेते हैं। 

मोदी का सबसे जरूरी काम अपने लाखों देशवासियों को उस गरीबी से बाहर निकालना है जिसमें वह फंसे हुए हैं। 2014 के बाद से अमीर लोग निश्चित रूप से काफी बेहतर स्थिति में हैं। शेयर बाजार बड़ी तेजी से बढ़ रहा है। जिन लोगों ने शेयर बाजार में पैसा इन्वैस्ट किया है वे 2024 में मोदी के दोबारा चुने जाने के बाद और भी अमीर हो जाएंगे। अब ग्रामीण गरीबों को दी जाने वाली मुफ्त की चीजें अंतत: बंद करनी होंगी। उन गरीब परिवारों के युवाओं को, जो मुख्य रूप से निचली जातियों से संबंधित हैं, कौशल से सुसज्जित किया जाना चाहिए ताकि वे अपनी सुरक्षा स्वयं कर सकें। उद्योगपति और उद्यमी जो पिछले 10 वर्षों से समृद्ध हुए हैं, उन्हें अर्थव्यवस्था के कम लाभकारी क्षेत्रों में प्रवेश करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। जहां हमारे बेरोजगार युवाओं के लिए नौकरियां पैदा होती हैं। 

केंद्र की सभी वामपंथी पाॢटयों जैसे कांग्रेस, टी.एम.सी. और ‘आप’ को प्रभावी विपक्ष प्रदान करने के लिए एक साथ आना चाहिए। यदि वे ऐसा करने में विफल रहती है तो ‘इंडिया’ गठबंधन में सबसे कम लचीले लोगों के राजनीतिक परिदृश्य से गायब होने का खतरा है। केजरीवाल और उनके नेता खुद को ई.डी. और सी.बी.आई. के निशाने पर पाएंगे। नरेंद्र मोदी ने अक्सर ‘भारत लोकतंत्र की जननी है’ का नारा दोहराया। यदि वह जो कहते हैं उस पर वास्तव में विश्वास करते हैं तो हमारी अपनी भूमि में अल्पसंख्यक सदस्य आश्वस्त होंगे यदि ‘सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास’ को केवल समय-समय पर रटने की बजाय वास्तविक कार्यान्वयन में लाया जाए।-जूलियो रिबैरो(पूर्व डी.जी.पी. पंजाब व पूर्व आई.पी.एस. अधिकारी)
 

Related Story

    Trending Topics

    Afghanistan

    134/10

    20.0

    India

    181/8

    20.0

    India win by 47 runs

    RR 6.70
    img title
    img title

    Be on the top of everything happening around the world.

    Try Premium Service.

    Subscribe Now!