बिहार में ‘कौन बनेगा सी.एम.’ का खेल शुरू

Edited By ,Updated: 04 Jan, 2025 05:35 AM

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अक्तूबर -नवंबर 2025 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनावों के मद्देनजर भाजपा ने बिहार में अपने सहयोगी दल जद-यू के साथ ‘कौन बनेगा सी.एम.’ का खेल शुरू कर दिया है। सबसे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उन अटकलों को खारिज किया कि भाजपा बिहार में...

अक्तूबर -नवंबर 2025 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनावों के मद्देनजर भाजपा ने बिहार में अपने सहयोगी दल जद-यू के साथ ‘कौन बनेगा सी.एम.’ का खेल शुरू कर दिया है। सबसे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उन अटकलों को खारिज किया कि भाजपा बिहार में महाराष्ट्र जैसी रणनीति अपना सकती है। हालांकि, इस मुद्दे पर नीतीश कुमार की चुप्पी ने राजनीतिक हलकों में अटकलों को हवा दे दी है कि विधानसभा चुनाव से पहले वह एक और राजनीतिक बदलाव कर सकते हैं। वहीं, भाजपा के राज्य नेताओं ने नीतीश की तारीफ करनी शुरू कर दी है और दावा किया है कि वह राज्य में एन.डी.ए. गठबंधन का चेहरा हैं और आगामी विधानसभा चुनावों में गठबंधन का नेतृत्व करेंगे। इस बीच, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की हाल ही में दिल्ली यात्रा ने लोगों को चौंका दिया है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के परिवार को श्रद्धांजलि दी, लेकिन उन्होंने भाजपा नेताओं से मिलने से परहेज किया और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा बुलाई गई एक महत्वपूर्ण बैठक में भी शामिल नहीं हुए। 

तनाव को और बढ़ाते हुए भाजपा की बिहार इकाई ने आगामी दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए जद-यू को सीटें आबंटित करने से इंकार कर दिया। जवाब में, जद-यू के नेता संजय झा और ललन सिंह ने स्वतंत्र रूप से चुनाव लडऩे की योजना की घोषणा की, जो सहयोगियों के बीच बढ़ते टकराव का संकेत है। जबकि लालू प्रसाद ने कहा था, ‘‘हमारे दरवाजे (नीतीश के लिए) खुले हैं। उन्हें भी अपने दरवाजे खोलने चाहिएं। इससे दोनों तरफ के लोगों की आवाजाही आसान हो जाएगी।’’ चर्चा है कि जद-यू बिहार विधानसभा चुनाव के लिए कड़ी सौदेबाजी की तैयारी कर रही है।

सपा नेता आंबेडकर के विचारों का प्रचार-प्रसार करेंगे : 2027 के विधानसभा चुनावों के मद्देनजर उत्तर प्रदेश के सभी 403 विधानसभा क्षेत्रों में दलित, ओ.बी.सी. और मुस्लिमों तक पहुंचने के लिए, समाजवादी पार्टी (सपा) ने राज्य में एक महीने का ‘पी.डी.ए. चर्चा’ कार्यक्रम शुरू किया था और अपने पी.डी.ए. अभियान को बी.आर. आंबेडकर की विरासत पर केंद्रित रखा था, जिसमें पार्टी नेताओं ने अपने भाषणों में भाजपा द्वारा संविधान के निर्माता के कथित अपमान को उजागर किया था। 

सपा ने 26 दिसंबर 2024 को अभियान शुरू किया था, जो 25 जनवरी 2025 तक चलना था। हालांकि, कुछ दिनों तक कार्यक्रम आयोजित करने के बाद पार्टी ने इसे स्थगित कर दिया और मौजूदा ठंड का हवाला देते हुए 27 जनवरी से इसे फिर से शुरू करने का फैसला किया। अपने पी.डी.ए. चर्चा अभियान में, सपा नेता आंबेडकर के विचारों का प्रचार-प्रसार करेंगे और संविधान बचाने के लिए विपक्ष के आह्वान को फिर से दोहराएंगे। 

क्या शरद पवार और अजित पवार के बीच खाई कभी पाटी जा सकेगी :  महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री अजित पवार की मां आशाताई पवार ने दोनों नेताओं के बीच सुलह की अटकलों के बीच अपने बेटे और अपने जेठ शरद पवार के फिर से एक होने का आह्वान किया है। प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि अगर पवार परिवार एकजुट होता है तो उन्हें खुशी होगी, उन्होंने कहा कि शरद पवार उनके लिए भगवान की तरह हैं। हालांकि, परिवार की प्रतिक्रियाएं मिली-जुली रहीं, जिसमें सुप्रिया सुले ने टिप्पणी करने से इंकार कर दिया और परिवार के छोटे सदस्य युगेंद्र पवार ने पहले कदम उठाने की जिम्मेदारी उन लोगों पर डाल दी, जो चले गए। 12 दिसंबर को दिल्ली में शरद पवार के घर पर अजित पवार के जन्मदिन की बधाई देने के बाद संभावित सुलह की अफवाहों ने जोर पकडऩा शुरू कर दिया। यह दौरा शरद पवार के नेतृत्व वाले एन.सी.पी. गुट द्वारा महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में हार का सामना करने के एक महीने बाद हुआ है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों को इसमें सुधार की संभावना दिख रही है, जबकि अन्य को आश्चर्य है कि क्या दोनों नेताओं के बीच की खाई कभी पाटी जा सकेगी।

केजरीवाल से उम्मीदों पर खरा न उतरने के बारे में जवाब मांग रही जनता : फरवरी में होने वाले राष्ट्रीय राजधानी चुनाव के मद्देनजर दिल्ली में राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। वहीं ‘आप’ के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने आर.एस.एस. प्रमुख मोहन भागवत को पत्र लिखकर पूछा है कि क्या आर.एस.एस. राजधानी में भाजपा के लिए वोट मांगेगा और क्या वह पार्टी के गलत कामों का समर्थन करता है। पलटवार करते हुए भाजपा ने दावा किया कि दिल्ली की जनता केजरीवाल से उनके झूठ, अवसरवाद और विकास के लिए जनता की उम्मीदों पर खरा न उतरने के बारे में जवाब मांग रही है। भाजपा ने दिल्ली के पूर्व सी.एम. पर अपनी कमियों से ध्यान हटाने के लिए नए-नए नाटक रचने और भटकाव पैदा करने का आरोप लगाया। वहीं कांग्रेस ने दोनों पक्षों की आलोचना की। दिल्ली कांग्रेस प्रमुख देवेंद्र यादव ने कहा कि अगर भाजपा मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए पैसे बांट रही है और गरीबों, दलितों, झुग्गीवासियों और पूर्वांचलियों के नाम मतदाता सूची से हटा रही है तो यह अवैध और अलोकतांत्रिक है। लेकिन उन्होंने कहा कि ‘आप’ प्रमुख को भी अपने गलत कामों और अधूरे वायदों का प्रतिबिंब देखने के लिए आईना देखना चाहिए।-राहिल नोरा चोपड़ा 
 

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