प्रश्नपत्र लीक के खिलाफ सरकार को व्यापक कदम उठाने चाहिए

Edited By ,Updated: 25 Jul, 2024 05:31 AM

the government should take comprehensive measures against question paper leak

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने  नीट-यू.जी. की पुन: परीक्षा और पिछले महीने घोषित परिणाम को रद्द करने की मांग करने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है, जिसमें कहा गया है कि रिकॉर्ड पर मौजूद डाटा प्रश्न पत्र के व्यवस्थित लीक होने का संकेत नहीं देता है, जो...

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने  नीट-यू.जी. की पुन: परीक्षा और पिछले महीने घोषित परिणाम को रद्द करने की मांग करने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है, जिसमें कहा गया है कि रिकॉर्ड पर मौजूद डाटा प्रश्न पत्र के व्यवस्थित लीक होने का संकेत नहीं देता है, जो परीक्षा की पवित्रता में व्यवधान का संकेत देता है। फैसला सुनाते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘वर्तमान चरण में, रिकॉर्ड पर ऐसी सामग्री का अभाव है जो यह दिखाए कि परीक्षा के परिणाम खराब थे या परीक्षा के संचालन में कोई व्यवस्थित उल्लंघन था।’’ सी.बी.आई. ने अपनी जांच के बाद अदालत को सूचित किया था कि 5 मई को परीक्षा के दिन, हजारीबाग में पेपर लीक हुआ था और पटना भेजा गया था। केंद्रीय एजैंसी ने इन केंद्रों पर 155 छात्रों की पहचान लीक के प्रत्यक्ष लाभार्थियों के रूप में की है। 

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 3 न्यायाधीशों की पीठ ने सी.बी.आई. को दोषियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने और यह पता लगाने का निर्देश दिया कि क्या कुछ और छात्र भी इसमें शामिल थे। पीठ ने कहा कि दोबारा परीक्षा कराने से करीब 23 लाख छात्रों पर ‘गंभीर परिणाम’ पड़ेंगे और भविष्य में योग्य चिकित्सा पेशेवरों की उपलब्धता में बाधा उत्पन्न होगी। राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा-स्नातक (नीट-यू.जी.)राष्ट्रीय परीक्षण एजैंसी द्वारा देश भर के सरकारी और निजी संस्थानों में एम.बी.बी.एस., बी.डी.एस., आयुष और अन्य संबंधित पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आयोजित की जाती है। इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश ने भले ही विवाद को खत्म कर दिया हो, जो छात्रों और उनके अभिभावकों के लिए गंभीर चिंता का विषय बना हुआ था, लेकिन अब ध्यान व्यवस्था में व्याप्त बड़ी गड़बड़ी की ओर चला गया है। विभिन्न राज्यों में प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्नपत्रों के लीक होने की कई रिपोर्टें आई हैं, जिससे परीक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता पर गंभीर संदेह पैदा हो गया है। 

एक समाचार पत्रिका द्वारा हाल ही में किए गए शोध के अनुसार, 2019 से 19 राज्यों में कम से कम 64 अन्य प्रमुख परीक्षाएं हुई हैं, जिनमें प्रश्नपत्र लीक की घटनाएं हुई हैं। शोध में सार्वजनिक रिकॉर्ड और मीडिया रिपोर्टों से प्राप्त आंकड़ों का विश्लेषण किया गया और इसमें पेपर लीक शामिल थे, जिसके परिणामस्वरूप या तो प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफ.आई.आर.) दर्ज की गई, आरोपी व्यक्तियों की गिरफ्तारी हुई या परीक्षा रद्द कर दी गई। (नीट)-यू.जी. 2024 के प्रश्नपत्र लीक के अलावा, 4 अन्य अखिल भारतीय स्तर की परीक्षाएं पेपर लीक से प्रभावित हुईं। वे 2021 में सैनिकों की भर्ती के लिए भारतीय सेना की सामान्य प्रवेश परीक्षा, केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सी.टी.ई.टी.) 2023, नीट-यू.जी. 2021 और संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जे.ई.ई.) मेन्स 2021 थीं। इसमें पाया गया कि राज्यों में से उत्तर प्रदेश से 8 मामले सामने आए। राजस्थान और महाराष्ट्र ने 7 पेपर लीक मामलों के साथ दूसरा स्थान सांझा किया। इसके बाद बिहार में 6 और गुजरात और मध्य प्रदेश में 4-4 मामले सामने आए। 

हरियाणा, कर्नाटक, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में 2019 से पेपर लीक के 3-3 मामले सामने आए। विश्लेषण से पता चलता है कि इस अवधि के दौरान पेपर लीक के कारण 3 लाख से अधिक सरकारी पदों को भरने के लिए परीक्षाएं रद्द कर दी गईं।
इस विश्लेषण में शामिल कुल परीक्षाओं में से 45 परीक्षाएं सरकारी विभागों में विभिन्न भूमिकाओं के लिए उम्मीदवारों की भर्ती के लिए आयोजित की गई थीं और उनमें से कम से कम 27 को या तो रद्द कर दिया गया या स्थगित कर दिया गया।गैर-भर्ती परीक्षाओं में से कम से कम 17 राज्य बोर्डों और विश्वविद्यालयों से संबंधित हैं। इसका असर राजस्थान और उत्तर प्रदेश में शिक्षक पात्रता परीक्षा, असम, राजस्थान, कर्नाटक और जम्मू-कश्मीर में पुलिस भर्ती परीक्षा, उत्तराखंड में वन भर्ती परीक्षा और तेलंगाना, गुजरात और राजस्थान में जूनियर इंजीनियर भर्ती परीक्षाओं सहित कई परीक्षाओं पर पड़ा है। जाहिर है कि पेपर लीक होना एक संगठित अपराध बन गया है और लीक हुए प्रश्नपत्रों के लिए लाखों रुपए वसूले जा रहे हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं से जुड़े लीक होने की ऐसी घटनाएं विशेष रूप से युवाओं के बीच गंभीर चिंता का विषय हैं, क्योंकि बेरोजगारी का ग्राफ बढ़ रहा है और नौकरियों की कमी है। 

और अब हमारे पास आई.ए.एस. अधिकारियों के चयन में भी अनियमितताओं की खबर है। संघ लोक सेवा आयोग (यू.पी.एस.सी.) ने अब आई.ए.एस. प्रोबेशनर पूजा खेडकर के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज की है, जिन पर अपनी पहचान, संदिग्ध विकलांगता प्रमाण पत्र और यहां तक कि अपना नाम, पहचान, अपने माता-पिता की फर्जी पहचान और सेवाओं में सफलतापूर्वक सफल होने के लिए और भी बहुत कुछ बदलने का आरोप है। इस घटना के गंभीर परिणाम हैं। लंबे समय तक यू.पी.एस.सी. को संदेह से परे, योग्यता का प्रतीक माना जाता था, जहां भाई-भतीजावाद और पक्षपात काम नहीं करता था। अधिकारियों को सच्चाई को उजागर करने और विश्वास हासिल करने के लिए ऐसी सभी अनियमितताओं के मामले की तह तक जाना चाहिए।-विपिन पब्बी     

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