बाल उत्पीडऩ का बढ़ता खतरा

Edited By ,Updated: 30 Aug, 2024 04:57 AM

the growing threat of child abuse

शहर से सटे जिले के एक छोटे से कस्बे बदलापुर में एक निजी स्कूल में 3 साल की 2 लड़कियों के साथ एक सफाई कर्मचारी ने छेड़छाड़ की, जो घटना से कुछ दिन पहले ही काम पर लगा था।

शहर से सटे जिले के एक छोटे से कस्बे बदलापुर में एक निजी स्कूल में 3 साल की 2 लड़कियों के साथ एक सफाई कर्मचारी ने छेड़छाड़ की, जो घटना से कुछ दिन पहले ही काम पर लगा था। स्कूल के प्री-प्राइमरी सैक्शन में नियुक्त 16 कर्मचारियों में से वह अकेला पुरुष कर्मचारी था। लगातार 2 दिनों तक उसे एक शिक्षक ने 2 छोटी लड़कियों को शौचालय ले जाने के लिए भेजा। यह पता चला कि उसे भर्ती करने से पहले उसकी कोई पृष्ठभूमि जांच नहीं की गई थी। उसके पिछले इतिहास की जांच करने पर पता चला कि वह व्यक्ति सिर्फ 24 साल का था, लेकिन एक साल से भी कम समय में उसकी 3 बार शादी हो चुकी थी। उसने शादी के 2 या 3 दिन बाद पहली पत्नी को छोड़ दिया था और 10 दिन बाद दूसरी पत्नी को। तीसरी पत्नी, जो वर्तमान में उसके साथ है, अपने गर्भ के पांचवें महीने में है।

हमारे समाचार पत्रों में लगभग प्रतिदिन यौन अपराधों की खबरें आ रही हैं। यह विशेष मामला शायद इसलिए सुर्खियों में आया क्योंकि इस स्कूल के मालिकाना हक के बारे में अफवाह थी कि यह महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ दलों में से एक से जुड़ा हुआ है। राज्य में साल खत्म होने से पहले विधानसभा चुनाव होने हैं। चूंकि विपक्ष को शायद लगा कि  इस तरह के अपराध से माता-पिता और आम नागरिकों की मानसिक शांति भंग होती है, इसलिए इस पर हंगामा करना उचित होगा, जिससे मतदान पैटर्न प्रभावित हो सकता है।

विपक्षी दलों द्वारा एक ‘बंद’ की घोषणा की गई थी, लेकिन उच्च न्यायालय द्वारा एक जनहित याचिका की सुनवाई में इस तरह के ‘बंद’ को अवैध घोषित किए जाने के बाद इसे स्थगित करना पड़ा। शहर स्थित गैर सरकारी संगठन, पी.सी.जी.टी. (पब्लिक कंसर्न फॉर गवर्नैंस ट्रस्ट), जिसकी स्थापना 30 साल पहले भारत सरकार के पूर्व कैबिनेट सचिव बी.जी. देशमुख ने की थी, मुंबई में जसलोक अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डा. आर.के. आनंद और मैंने राजनीतिक दलों द्वारा श्रमिकों को उनकी आजीविका से वंचित करने और दुकानों और कार्यालयों को बंद करने के लिए मजबूर करने की इस प्रथा के खिलाफ बॉम्बे उच्च न्यायालय का रुख किया था।

पी.सी.जी.टी. ने उच्च न्यायालय में अपना मामला जीत लिया। उस समय विपक्ष में मौजूद 2 राजनीतिक दलों, भाजपा और शिवसेना पर बंद के कारण हुई तबाही के लिए 20-20 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि बंद को राजनीतिक हथियार के रूप में हमेशा के लिए समाप्त कर दिया गया, कम से कम मुंबई शहर में। प्रस्तावित बंद की जगह स्कूल जाने वाले बच्चों के माता-पिता और राजनेताओं तथा उनके अनुयायियों ने अपने मुंह पर काला कपड़ा बांध लिया और स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए बेहतर सुरक्षा की मांग करते हुए शहर की सड़कों पर मार्च किया।

5 साल पहले निजी स्कूलों में जाने वाले छोटे बच्चों के पिताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने स्कूलों में छोटे बच्चों के साथ छेड़छाड़ की समस्या का मुकाबला करने के लिए अपनी व्यक्तिगत विशेषज्ञता के अनुसार पेशेवर मदद की पेशकश के साथ मुझसे संपर्क किया। इसके बाद पी.सी.जी.टी. ने उसी मुद्दे पर काम कर रहे एक अन्य एन.जी.ओ. के साथ गठजोड़ किया और मुंबई के पुलिस आयुक्त से संपर्क किया, जिन्होंने हमसे संपर्क करने के लिए अपनी अपराध शाखा से एक डी.सी.पी. को नियुक्त किया। 

हमने सरकारी और नगर निगम के स्कूलों के प्रधानाचार्यों के लिए प्रशिक्षण कार्यशालाओं सहित कई सैमीनार और बैठकें आयोजित कीं, जिसमें पोक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) अधिनियम की मूल बातें और इसे प्रभावी ढंग से कैसे लागू किया जा सकता है, इस पर चर्चा की गई। दुर्भाग्य से, हमारी प्रारंभिक तैयारियां पूरी होने के तुरंत बाद कोविड ने हमला कर दिया। सिटी पुलिस ने एक ‘दीदी’ कार्यक्रम शुरू किया था, जिसमें एक महिला पुलिस कांस्टेबल, विशेष रूप से चुनी गई,  जो हर महीने परिसर में प्रत्येक स्कूल का दौरा करती थी, स्कूल द्वारा आयोजित अभिभावक-शिक्षक बैठकों को संबोधित करती थी और पहले अभिभावकों, फिर शिक्षकों और बाद में वरिष्ठ छात्रों को छेड़छाड़ की संभावित संभावना और उन्हें होने से रोकने के तरीकों और साधनों के बारे में बताती थी। 

अभिभावक-शिक्षक बैठक में पुलिस की मौजूदगी से अभिभावकों के मन में यह विश्वास पैदा होना चाहिए था कि स्कूल और राज्य उनके बच्चों की सुरक्षा पर ध्यान दे रहे हैं। पुलिस के पास भी स्कूल अधिकारियों द्वारा की गई शिकायतों पर देरी करने का कोई बहाना नहीं होगा। बच्चों को उनके घरों से स्कूल ले जाने और वापस लाने के लिए स्कूल द्वारा किराए पर ली गई बसों में, साथ ही कक्षाओं या शिक्षक के स्टाफ रूम में, शौचालयों में गैर-शिक्षण कर्मचारियों द्वारा या वरिष्ठ छात्रों द्वारा जूनियर छात्रों पर अत्याचार करने की घटनाओं में तेजी से वृद्धि एक बीमारी का संकेत है जिसका सीधे मुकाबला करने की जरूरत है।

विशेषज्ञ मनोवैज्ञानिकों द्वारा केस स्टडी और विश्लेषण की तत्काल आवश्यकता है ताकि इस बीमारी के मूल कारणों को सूचीबद्ध किया जा सके और संभावित उपचार सुझाए जा सकें। इससे माता-पिता और शिक्षकों का ध्यान उस खतरे की ओर आकर्षित करने में मदद मिलेगी जो न केवल हमारे देश बल्कि दुनिया के अधिकांश देशों को प्रभावित करता है। कुछ यूरोपीय देशों में बाल पोर्नोग्राफी इतनी बड़ी समस्या बन गई है कि इससे निपटने के लिए अपराध-विरोधी इकाइयों में विशेष दस्ते बनाए गए हैं। हमारे देश के कई शहरों और यहां तक कि कस्बों में यौन अपराधियों की लगातार बढ़ती संख्या पर राज्य को तत्काल ध्यान देने और इसमें शामिल होने की आवश्यकता है। सरकार को सलाह दी जाती है कि वह ऐसे एन.जी.ओ. पर नाराजगी न जताए जिनका एकमात्र उद्देश्य आम नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाना है। हर एन.जी.ओ. को एक ही टोकरी में डाल देना शासन के काम को करने का एक अजीब तरीका है। -जूलियो रिबैरो (पूर्व डी.जी.पी. पंजाब व पूर्व आई.पी.एस. अधिकारी)

Related Story

    Afghanistan

    134/10

    20.0

    India

    181/8

    20.0

    India win by 47 runs

    RR 6.70
    img title
    img title

    Be on the top of everything happening around the world.

    Try Premium Service.

    Subscribe Now!