Edited By ,Updated: 21 Dec, 2024 05:21 AM
कांग्रेस की महत्वपूर्ण चुनावी हार के मद्देनजर, सहयोगी दल सत्ता समीकरणों को फिर से बनाने की कोशिश कर रहे हैं। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पार्टी से गठबंधन में अपनी नेतृत्वकारी भूमिका को सही ठहराने के लिए कहा है, न कि इसे हल्के में...
कांग्रेस की महत्वपूर्ण चुनावी हार के मद्देनजर, सहयोगी दल सत्ता समीकरणों को फिर से बनाने की कोशिश कर रहे हैं। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पार्टी से गठबंधन में अपनी नेतृत्वकारी भूमिका को सही ठहराने के लिए कहा है, न कि इसे हल्के में लेने के लिए। जबकि टी.एम.सी. प्रमुख ममता बनर्जी ने इस पद को हासिल करने के लिए कदम बढ़ाया है और शरद पवार और लालू प्रसाद जैसे क्षत्रपों का समर्थन प्राप्त कर ‘इंडिया’ ब्लॉक का नेतृत्व किया है।
समाजवादी पार्टी ने भी यू.पी. उप-चुनावों में अपनी ताकत दिखाई है और अब उसने दिल्ली में आगामी विधानसभा चुनावों में अरविंद केजरीवाल का समर्थन करने का फैसला किया है, जिन्हें कांग्रेस चुनौती दे रही है। उद्धव ठाकरे ने हिंदुत्व विचारक और स्वतंत्रता सेनानी सावरकर के लिए भारत रत्न की मांग की। उनकी हिंदुत्व साख को पुन: प्राप्त करने का प्रयास राहुल गांधी के सावरकर के खिलाफ लगातार अभियान के बिल्कुल विपरीत है। कांग्रेस ने अडानी विवाद जैसे मुद्दों पर सहयोगियों के साथ खुद को अलग पाया है, जिसमें टी.एम.सी. और सपा ने भी उसका साथ दिया है।
विपक्ष ने पार्टी लाइन से हटकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को मंत्रिमंडल से हटाने की मांग की। उन पर राज्यसभा में अपने बयान में डा. बी.आर. आंबेडकर का अपमान करने का आरोप लगाया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा और आर.एस.एस.पर आंबेडकर के योगदान को कमतर आंकने का आरोप लगाया। जबकि ‘आप’ सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने तेदेपा प्रमुख एन.चंद्रबाबू नायडू और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखे। दोनों भाजपा के प्रमुख सहयोगी हैं। केजरीवाल ने शाह पर ‘लाखों लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने’ का आरोप लगाया और दोनों नेताओं से भाजपा के साथ अपने गठबंधन पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया।
शाह के बयानों को सुर्खियों में रखकर, उन्होंने प्रभावी रूप से भाजपा को रक्षात्मक स्थिति में लाने के लिए मजबूर कर दिया है, जो संसद में दुर्लभ है जहां सत्तारूढ़ दल अक्सर बहस की शर्तें तय करता है। एक बार फिर विपक्ष भाजपा के खिलाफ एकजुट दिखाई दिया है।
2027 के यू.पी. विधानसभा चुनावों की तैयारी में जुटी कांग्रेस : कांग्रेस द्वारा राज्य कार्यकारिणी, जिला, शहर और ब्लॉक इकाइयों को भंग करने का फैसला पार्टी संगठन को नए सिरे से खड़ा करने के लिए जरूरी पहला कदम है, ताकि इसे 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए तैयार किया जा सके। कांग्रेस को उम्मीद है कि इससे उसकी मौजूदगी बढ़ेगी और गठबंधन की बातचीत में अहम भूमिका भी निभाएगी। पार्टी यह भी चाहती है कि भविष्य में सहयोगियों के साथ बातचीत के दौरान अलग-अलग मजबूत सीटों पर अपने नेताओं को आगे बढ़ाने के लिए और जगह मिल सके। चर्चा है कि कांग्रेस की राज्य इकाई के अध्यक्ष अजय राय, जिन्हें प्रियंका गांधी की आंख और कान माना जाता है, को पदोन्नत कर ए.आई.सी.सी. में भेजा जाएगा। राय भूमिहार जाति से आते हैं, जो पूर्वी यू.पी. में एक छोटी आबादी है, जिसका मुश्किल से 5 संसदीय क्षेत्रों में प्रभाव है। चर्चा है कि गांधी परिवार के बेहद भरोसेमंद सहयोगी और अमेठी से सांसद के.एल. शर्मा को यू.पी. कांग्रेस का नया अध्यक्ष नियुक्त किया जा सकता है।
किशोरी लाल शर्मा 1984-85 से गांधी परिवार के लिए अमेठी के मामलों का प्रबंधन कर रहे हैं, जिससे उन्हें यू.पी. कांग्रेस की पूरी समझ है। इसके अलावा, उन्होंने नई दिल्ली में महादेव रोड पर एक कार्यालय स्थापित किया है, जहां यू.पी. कांग्रेस के शिकायतकत्र्ता अक्सर आते हैं। शर्मा सोनिया गांधी, राहुल और प्रियंका गांधी तक उनकी समस्याओं को पहुंचाने का काम करते हैं।
दिल्ली के मुद्दे उठाएंगे वामपंथी दल : वामपंथी दल दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव में कुछ सीटों पर चुनाव लड़ेंगे और उन्होंने कांग्रेस और आम आदमी पार्टी से अपील की है कि ‘इंडिया’ ब्लॉक को मिलकर चुनाव लडऩा चाहिए। गुरुवार को एक प्रैस कांफ्रैंस में वामपंथी दलों ने 5 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की और दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के वादे के साथ एक संयुक्त घोषणापत्र जारी किया। जबकि दिल्ली नगर निगम का विकेंद्रीकरण, शहरी स्थानीय निकायों को शक्तियों का हस्तांतरण और बेरोजगारी, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, न्यूनतम मासिक मजदूरी को बढ़ाकर 26,000 रुपए करना, पेयजल जैसे मुद्दे वामपंथी दल उठाएंगे।
सी.पी.आई. (एम) ने दिल्ली उच्च न्यायालय के वकील अशोक अग्रवाल और जगदीश चंद को क्रमश: करावल नगर और बदरपुर से मैदान में उतारा है। सी.पी.आई. (एम.एल.) ने 2 सीटों पर चुनाव लडऩे की योजना बनाई है। नरेला से उसने अनिल कुमार के नाम की घोषणा की है, जबकि कोंडली सीट के लिए अभी तक उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है। सी.पी.आई. ने विकास पुरी से शेजौ वर्गीस और पालम सीट से दलीप कुमार को उम्मीदवार बनाया है।
महाराष्ट्र भर में दौरा करेंगे ओ.बी.सी. नेता छगन भुजबल : 77 वर्षीय ओ.बी.सी. नेता छगन भुजबल ने महाराष्ट्र भर में दौरा करने और लोगों से बातचीत करने का फैसला किया है और यहां तक कि इसी तरह का रास्ता अपनाने का संकेत भी दिया है। उन्होंने अपनी खास नाटकीय शैली में कहा, ‘‘जहां नहीं चैना, वहां नहीं रहना।’’ उन्होंने एन.सी.पी. अध्यक्ष और उप-मुख्यमंत्री अजित पवार द्वारा नई महायुति कैबिनेट में जगह न दिए जाने पर निराशा व्यक्त की, लेकिन दावा किया कि भाजपा के सी.एम. देवेंद्र फड़णवीस वास्तव में उन्हें मंत्री बनाना चाहते थे। भुजबल ने कथित तौर पर पार्टी को अपनी मर्जी से चलाने के लिए अजित की आलोचना भी की। राजनीतिक हलकों में हलचल मची हुई है, जो उभरती स्थिति पर भुजबल की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रही है।-राहिल नोरा चोपड़ा