mahakumb

नेता प्रतिपक्ष बोलते जरूर हैं परन्तु चिंतन नहीं करते

Edited By ,Updated: 13 Jul, 2024 05:35 AM

the opposition leader definitely speaks but does not think

यह तो सच है कि विपक्ष में बोलते सिर्फ राहुल गांधी हैं। सिंह गर्जना संसद के बाहर ममता बनर्जी भी करती हैं। हाल के संसद सत्र में समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव को भी सुना अन्यथा विपक्ष सदन में कहां दिखाई दिया?

यह तो सच है कि विपक्ष में बोलते सिर्फ राहुल गांधी हैं। सिंह गर्जना संसद के बाहर ममता बनर्जी भी करती हैं। हाल के संसद सत्र में समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव को भी सुना अन्यथा विपक्ष सदन में कहां दिखाई दिया? 

मैं भारतीय जनता पार्टी के संसद सदस्यों की विवशता समझ सकता हूं कि वह नरेंद्र मोदी के सामने खड़े नहीं हो सकते? प्रतिपक्ष राहुल गांधी के सिवाय सदन में कहां खड़ा है? लोगों को पता ही नहीं चला। टैलीविजन या प्रिंट मीडिया में कांग्रेस के राहुल गांधी ही दिखाई दिए हैं। यह राहुल गांधी का दुर्भाग्य है कि सदन के बाकी सदस्य उन्हें हंसी में ले लेते हैं। सदन में अमित शाह, मोदी जी, ओम बिरला या राजनाथ ने तेवर तो जरूर दिखाए परन्तु नेता प्रतिपक्ष बोलते ही चले गए। लगता है कि आगामी संसद सत्रों में भी उनके बोलने का क्रम इसी प्रकार का रहेगा। मैंने प्रतिपक्ष के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण अडवानी, मधुलिमये और राम मनोहर लोहिया को सुना  है। उनके तथ्यों और डैरावाइज के वार्तालाप सत्तापक्ष को परेशान कर देते थे। सदन में नेता प्रतिपक्ष को ‘कैबिनेट मंत्री’ पद की हर सुविधा उपलब्ध रहती है। 

केंद्र में चीफ सैक्रेटरी और विभागों के सैक्रेटरी को उन्हें सत्ता पक्ष की कमियों को उजागर करने के तथ्य उपलब्ध करवाने ही पड़ते हैं। नेता प्रतिपक्ष के आई.ए.एस. रैंक का एक सचिव भी सत्ता पक्ष उपलब्ध करवाता है। राहुल गांधी संसद के पहले सत्र में ही एक्सपोज हो गए। वह अपनी बचकाना छवि से प्रतिपक्ष के नेता के रूप में भी अपना प्रभाव नहीं छोड़ सके। लगता है कि राहुल गांधी लाड़-प्यार के झूले से अभी बाहर ही नहीं निकले।

हिंदू, हिंदुइज्म या हिंदुत्व की एक नई आलोचना में फंस गए। लगता यह भी है कि नेता प्रतिपक्ष ने ‘हिंदू’ शब्द के उदार, व्यापक और सर्वमान्य रूप का चिंतन ही नहीं किया और हिंदू देवी-देवताओं के चित्र सदन में दिखा-दिखा कर यही कहा कि हिंदू ‘नफरत, नफरत और सिर्फ नफरत’ ही फैलाता है। यही नहीं नेता प्रतिपक्ष ने हिंदू आस्था के प्रतीक ‘राम’ को भी इसी नफरत के मुहावरे से जोड़ दिया। परिणाम पत्थरबाजी, धरने, जलूस और अग्नि लगाने तक पहुंच गया। मैं हिंदू समाज से विनती करता हूं कि इटली की संस्कृति में पले-बढ़े नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को माफ कर दें क्योंकि उन्होंने हिंदू शब्द की व्यापकता और विशालता के बारे पढ़ा ही नहीं। सुना है उन्होंने यूरोप के भिन्न-भिन्न विश्वविद्यालयों से बड़ी-बड़ी डिग्रियां हासिल की हैं। 

डिग्रियां हासिल कर लेने से कोई विद्वान थोड़े ही बन जाता है? मैंने स्वयं में न जाने कितनी डिग्रियां प्राप्त की हैं परन्तु हूं तो अज्ञानी, मूर्ख ही न? सदन में उनके दिए भाषण से लगता है कि उन्होंने जीवन में अभावों का सामना नहीं किया। मौत के साए में पढऩे-लिखने, बोलने और बड़े होने वाले बच्चों का स्वभाव भी दूसरों से नफरत करने वाला हो जाता है। शायद प्रसुप्त मन में राहुल गांधी को यही विचार घर कर गया हो कि सिर्फ मैं और मेरा ही धर्म सच्चा है। बाकी सब धर्म, सम्प्रदाय और पथ नफरत की दुकान चलाते हैं और राहुल गांधी ही सिर्फ ऐसे नेता हैं जो प्यार बांटते हैं? राहुल गांधी आज नेता प्रतिपक्ष हैं। कल उन्हें सत्ता में आना है। उनकी एक ‘शैडो’ कैबिनेट है अत: अध्ययन चिंतन, मनन तो उन्हें करना ही होगा, और न सही ‘हिंदू शब्द’ की पवित्रता और व्यापकता का आकलन तो करना चाहिए। मैं, जितनी मेरी बुद्धि है ‘हिंदू शब्द’ का मूल रूप हिंद समाचार ग्रुप के माध्यम से लोगों की सेवा में प्रस्तुत करना चाहता हूं। 

‘हिंदू शब्द’ पर विद्वानों ने ग्रंथ के ग्रंथ लिख दिए हैं परन्तु फिर भी ‘हिंदू शब्द’ का वास्तविक स्वरूप लोगों की समझ से परे है। ‘हिंदू शब्द’ पर ही मेरी अपनी लाइब्रेरी में 5-7 पुस्तकें तो होंगी ही परन्तु मुझे शक है कि मैं ‘हिंदू शब्द’ को लोगों को समझा सकूं। हां, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मनीषी लोग अवश्य हिंदू शब्द की व्यापकता समझा सकते हों? हिंदू न कोई धर्म है न कोई सम्प्रदाय या पंथ है। यह तो एक विशेष भौगोलिक क्षेत्र में रहने वालों की एक ‘जीवन पद्धति’ है। जीने का एक ढंग है। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने भी हिंदू को एक जीवन पद्धति कहा है। हिंदू वह है जो सबको अपना समझता है। सारा विश्व हिंदू का है। 

हिंदू का कोई सम्प्रदाय या कोई एक ‘देवदूत’ या ‘पैगम्बर’ नहीं। हिंदुओं में किसी एक देवता की पूजा नहीं होती। हिंदू किसी एक दार्शनिक विचार पद्धति में विश्वास नहीं रखता। हिंदुओं में किसी एक सम्प्रदाय का अनुष्ठान नहीं होता। हिंदू एक अमर शब्द है। प्राचीन जातियां, असभ्य और अद्र्धसत्य लोग, सभ्य द्रविड़ और वैदिक आर्य हिंदू थे क्योंकि वे एक मातृभूमि की संतान थे। देवी-देवताओं की पूजा करने वाले अलग-अलग पूजा पद्धतियों का पालन करने वाले सारे हिंदू हैं। हिंदू ने कभी भी किसी विचार, सिद्धांत या चिंतन को असत्य नहीं कहा है। हिंदू सबका मंगल और कल्याण मांगता है। महात्मा बुद्ध ने ‘बौद्धमत’, महावीर स्वामी ने ‘जैनपंथ’, बासव ने लिंगायत सम्प्रदाय, संत ज्ञानेश्वर और तुकाराम ने ‘बारबारी  पंथ’, श्री गुरु नानक देव ने ‘सिख पंथ’, स्वामी दयानंद ने ‘आर्य समाज’, चैतन्य महाप्रभु ने ‘भक्ति सम्प्रदाय’, कबीर जी ने ‘कबीर पंथ’, संत रविदास ने अलग पंत की नींव रखी, रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद जी ने ‘हिंदू शब्द’ में एक आकर्षण भरा। 

यदि इन सभी सम्प्रदायों या पंथों का चिंतन करें तो कुछ अंतर दिखाई देगा परन्तु यदि गहराई में जाएं तो इन सब में एक उच्चकोटि की एकता दिखाई देगी। हिंदू सिद्धांत सहिष्णु है और सबकी इच्छानुसार, स्वभावानुसार, रुचि अनुसार कोई भी पंथ तथा पूजा-पद्धति अपनाने से रोकता नहीं। हिंदू ‘जीवन पद्धति’ ही ऐसे है कि जिओ और जीने दो। अत: हिंदू गुस्सा थूक दें और नेता प्रतिपक्ष से कहें कि वह सत्य कहें और तथ्यों पर सदन की मर्यादा बनाए रखें। सबका भला करो भगवान, सबको दो वेदों का ज्ञान।-मा. मोहन लाल(पूर्व परिवहन मंत्री, पंजाब)

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!