संविधान नहीं, खतरे में है विपक्ष का मुस्लिम वोट बैंक

Edited By ,Updated: 18 Jul, 2024 05:37 AM

the opposition s muslim vote bank is in danger

इंडिया गठबंधन के विपक्षी दल केंद्र की भाजपा सरकार पर संविधान को खत्म करने की साजिश रचने का आरोप लगा रहे हैं। मोदी सरकार ने इसके जवाब में विपक्ष पर सीधे  हमला बोलते हुए 1977 में इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के दिन 25 जून को हर साल संविधान...

इंडिया गठबंधन के विपक्षी दल केंद्र की भाजपा सरकार पर संविधान को खत्म करने की साजिश रचने का आरोप लगा रहे हैं। मोदी सरकार ने इसके जवाब में विपक्ष पर सीधे  हमला बोलते हुए 1977 में इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के दिन 25 जून को हर साल संविधान हत्या दिवस के रूप में सरकारी स्तर पर मनाने का फैसला कर दिया। दरअसल विपक्ष जिसे संविधान खत्म करने की साजिश बता रहा है, वह दरअसल मुस्लिम वोट बैंक को एकजुट रखने की कवायद है। तीसरी बार सत्ता में आई मोदी सरकार ने अभी तक एक भी ऐसा काम नहीं किया है, जिससे लगता हो कि सरकार के इरादे संविधान को खत्म करने के हैं। इस संबंध में विपक्ष जो आरोप लगा रहा है, वह दरअसल संविधान खतरे में नहीं बल्कि उनका मुस्लिम वोट बैंक खतरे में पड़ गया है। विपक्ष इसे सीधे स्वीकार नहीं करके संविधान खात्मे की संज्ञा दे रहा है। 

केंद्र सरकार ने जब-जब देश के मुस्लिमों की भलाई के लिए निर्णय लिया और कानून बनाया तब-तब विपक्षी दलों ने कठमुल्लाओं की भाषा बोलते हुए इसका विरोध किया है। मुस्लिम सुधारों के इस प्रयास को ही गैर भाजपा विपक्ष संविधान को खत्म करने की साजिश करार दे रहा है, हिन्दू वोट बैंक के भय से इस पर खुल कर बोलने से बच रहा है। यही वजह है कि भाजपा गठबंधन लगातार तीसरी बार सत्ता में आने के बाद भी विपक्ष एक भी उदाहरण ऐसा नहीं दे सका जिससे लगे कि देश का संविधान या आम लोगों के अधिकार खतरे में हैं। इसके विपरीत केंद्र सरकार ने मुस्लिम महिलाओं को अधिक और कानूनी बराबरी के अधिकार सम्पन्न बनाने का ही काम किया है। यह विपक्षी दलों को रास नहीं आ रहा है। 17वीं लोकसभा के दौरान मणिपुर हिंसा के मामले में प्रधानमंत्री मोदी के बयान को लेकर विपक्ष ने संसद नहीं चलने दी। संसद की कार्रवाई लगातार बाधित करने के कारण तत्कालीन 140 विपक्षी सांसदों की सदस्यता निलंबित की गई। विपक्ष ने इस घटना पर भी संविधान के खात्मे की दलील दी। इसके विपरीत हाल ही में तमिलनाडु की स्टालिन सरकार ने जहरीली शराब से हुई मौतों के मामले में विपक्षी सदस्यों को निलंबित कर दिया, इस पर इंडिया गठबंधन के दल मौन साधे रहे। 

केंद्र सरकार ने मुस्लिमों और देश की एकता-अखंडता को लेकर किए गए सकारात्मक प्रयासों को विपक्षी दलों ने अल्पसंख्यक वोट बैंक के नजरिए से देखा है। 3 तलाक को गैर-कानूनी बनाने के लिए मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2019 के पक्ष में सबसे ज्यादा वोटिंग के साथ पारित होने पर कांग्रेस ने विरोध स्वरूप वॉकआऊट किया। इससे पहले जनता दल (यूनाइटेड) और तृणमूल कांग्रेस (टी.एम.सी.) के सांसदों ने भी तत्काल तलाक को अपराध बनाने वाले बिल के विरोध में वॉकआऊट किया था। इस कानून को बनाने के निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने दिए थे। कांग्रेस गठबंधन के कई दलों ने एक कदम आगे बढ़ कर केंद्र में सत्ता में आने पर 3 तलाक को प्रतिबंधित करने के कानून को खत्म करने का वादा किया था। इससे साफ जाहिर है कि विपक्षी दलों की मंशा मुस्लिम महिलाओं को पाषाण युग जैसा जीवन जीने के लिए अभिशप्त करने की रही। 

गौरतलब है कि शाहबानो वाले मामले में तत्कालीन राजीव गांधी की सरकार ने मुस्लिम वोट बैंक बनाए रखने के लिए कानून में संशोधन करके इस आदेश को रद्द कर दिया था। इसी तरह केंद्र सरकार ने जब जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद की धारा 370 हटाने का निर्णय लिया, तब भी विपक्षी दलों को मुस्लिम वोट दरकता नजर आया। विपक्षी दलों ने देश की एकता-अखंडता को मजूबत करने और जम्मू-कश्मीर को तरक्की के रास्ते पर ले जाने वाले इस कानून का भरसक विरोध किया। यह बात दीगर है कि इस कानून के हटने के बाद जम्मू-कश्मीर विकास के मामले में बुलंदी छू रहा है। धारा 370 हटने से पहले देश से कटा यह राज्य अब विकास की मुख्य धारा से जुड़ चुका है। 

मुस्लिम महिला को गुजारा भत्ता देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के एक अहम फैसले पर भी विपक्षी दलों को मानो सांप सूंघ गया हो। इस निर्णय के मुताबिक कोई भी मुस्लिम तलाकशुदा महिला सी.आर.पी.सी. की धारा 125 के तहत पति से गुजारा भत्ता मिलने की हकदार है। इस वजह से वह गुजारे भत्ते के लिए याचिका दायर कर सकती है। जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह ने फैसला सुनाते हुए कहा कि मुस्लिम महिला भरण-पोषण के लिए कानूनी अधिकार का इस्तेमाल कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (ए.आई.एम. पी.एल.बी.) ने एक प्रस्ताव पास करके विरोध किया। बोर्ड ने इस फैसले को इस्लामिक कानून (शरीयत) के खिलाफ बताया। देश की करोड़ों मुस्लिम महिलाओं के सम्मान और अधिकार से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करना तो दूर बल्कि विपक्षी दलों ने चुप्पी साध ली, कहीं समर्थन करने से कठमुल्ले मुस्लिमों को उनके खिलाफ भड़का कर वोट बैंक का नुकसान नहीं कर दें। 

मुस्लिमों के लिए किए गए इन तमाम सुधारों के प्रयास विपक्षी नेताओं को खटकते रहे हैं। विपक्ष ने इन प्रयासों के विरोध को ही संविधान के खात्मे का प्रयास माना है, किन्तु खुल कर ऐेसा कहने से कतराते रहे हैं।  कांग्रेस के शासन के दौरान देश भर में आतंकी बम धमाके करते रहे, तब विपक्षी दलों को संविधान खतरे में नजर नहीं आया। कारण साफ था ज्यादातर धमाकों से जुड़े आरोपी मुस्लिम थे, इनको विपक्षी दल किसी भी सूरत में नाराज नहीं करना चाहते। इतना ही नहीं मौके-बेमौके पर विपक्षी दलों ने माफिया डॉन को महज इस कारण समर्थन किया कि वे मुस्लिम हैं। उन्हें टिकट देकर विधायक-मंत्री तक बनाया। उत्तर प्रदेश और बिहार के माफिया इसका उदाहरण हैं। माफिया अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी की मौत पर समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी ने आंसू बहाए थे। इससे ही साबित होता है कि मुस्लिम वोट बैंक के लिए विपक्षी नेता देश के कानून-संविधान से किस हद तक खिलवाड़ करने वालों का साथ दे सकते हैं।-योगेन्द्र योगी 
 

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!