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देश की राजनीति में महिलाओं का उदय

Edited By ,Updated: 21 Feb, 2025 06:04 AM

the rise of women in the country s politics

सितम्बर  2023 में जब मोदी-2 सरकार ने संविधान में 128वां संशोधन कर नारीशक्ति वंदन अधिनियम बनवाया और इसे 2026 से लागू करने की बात कही, तब से ही विपक्ष इस सवाल के

सितम्बर  2023 में जब मोदी-2 सरकार ने संविधान में 128वां संशोधन कर नारीशक्ति वंदन अधिनियम बनवाया और इसे 2026 से लागू करने की बात कही, तब से ही विपक्ष इस सवाल के साथ भाजपा की आलोचना करता था कि किस भाजपा शासित राज्य में महिला मुख्यमंत्री है। खासकर मोदी सरकार की सबसे कटु आलोचक और देश में मौजूदा इकलौती मुख्यमंत्री ममता बनर्जी गाहे-बगाहे यह सवाल हर मंच से उठाती थीं। यह सवाल इसलिए भी बहुत भारी था, क्योंकि बीस राज्यों में एन.डी.ए. की सरकार थी, इनमें 15 में सीधे भाजपा के मुख्यमंत्री थे मगर इनमें एक भी राज्य में महिला मुख्यमंत्री नहीं थी। (वैसे तब कुछ दिनों पहले तक भाजपा के साथ 16 राज्य थे लेकिन एक राज्य मणिपुर में फिलहाल राष्ट्रपति शासन है) उस पर नारीशक्ति वंदन अधिनियम बनाकर भी उसका लागू होना अगले परिसीमन तक टाल दिया गया था।  क्योंकि यह परिसीमन जनगणना के बाद होना है और छह साल से लंबित जनगणना कब शुरू होगी, सरकार इसका भी स्पष्ट जवाब नहीं दे पा रही है। इस तरह नारीशक्ति वंदन अधिनियम से न तो अभी तक देश की महिलाओं को कोई लाभ हुआ है और न ही इससे भाजपा को। 

दिल्ली में मतदान से पहले आम आदमी पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने दावा किया था कि 60 प्रतिशत  महिला मतदाता  उन्हें वोट देती हैं। इतना ही नहीं, अधिकांश राजनीति विश्लेषक भी इस बात को मान रहे थे कि दिल्ली की महिला मतदाताओं पर केजरीवाल की अच्छी पकड़ है। इसकी वजह महिलाओं के लिए फ्री बस यात्रा और महिलाओं को सरकार से मिलने वाले सीधे लाभ थे। चुनाव से कुछ पहले दिल्ली को आतिशी के रूप में महिला मुख्यमंत्री देकर पार्टी को महिलाओं का खूब शुभचिंतक दिखाने का काम भी अरविंद केजरीवाल ने किया था। मगर 8 फरवरी को दिल्ली चुनाव के नतीजे आने के बाद 11 दिन की मैराथन कशमकश के बाद भाजपा हाईकमान ने रेखा गुप्ता के रूप में राज्य को महिला मुख्यमंत्री देकर विपक्ष की सभी आलोचनाओं का मुंह पूरी तरह बंद कर दिया है। रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाना उनकी भूमिका राज्य तक सीमित करना नहीं है, बल्कि उनके जरिए भाजपा देश भर में महिलाओं को प्रेरित करेगी। रेखा गुप्ता, जिन्होंने राजनीति की बाराहखड़ी छात्र जीवन में ही संघ के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से सीखी, के जिम्मे अब देशभर की महिलाओं को पार्टी से जोडऩे का काम होगा। 

दिल्ली के जितने भी दिखने और दिखाने वाले काम हैं, उनमें अफसरशाही, एल.जी. और केंद्रीय मंत्रालयों का उन्हें पूरा समर्थन होगा। कानून-व्यवस्था सुधारने की जिम्मेदारी तो हमेशा से केंद्रीय गृहमंत्री के पास रहती है। नैशनल हाइवे, जिनकी हालत दिल्ली के सीमावर्ती क्षेत्रों में मानसून के पहले से ही काफी दयनीय है, को सुधारने का काम केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी संभाल लेंगे। भाजपा ने अब तक देश को 5 महिला मुख्यमंत्री दिए हैं। इनमें सुषमा स्वराज, उमा भारती, वसुंधरा राजे, आनंदीबेन पटेल और रेखा गुप्ता का नाम है। रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाते ही भाजपा ने कांग्रेस द्वारा देश को पांच मुख्यमंत्री देने के रिकार्ड की भी बराबरी कर ली है। सुचेता कृपलानी, नंदनी सत्पथी, सईदा अनवरा तैमूर, शीला दीक्षित और रजिंदर कौर भट्ल सहित कांग्रेस ने भी देश को पांच ही महिला मुख्यमंत्री दिए हैं। अब सिर्फ तीन राज्यों हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना में कांग्रेस सरकार है और एक भी राज्य में महिला मुख्यमंत्री नहीं है। यहां तक कि डिप्टी सी.एम. भी नहीं है। 

ऐसे में कांग्रेस प्रियंका गांधी को आगे लाकर भाजपा के खिलाफ महिलाओं के संबंध में जो नेरेटिव गढऩे की कोशिश कर रही थी, रेखा गुप्ता के चयन ने उसकी पोल खोल दी है।  रेखा गुप्ता की राजनीतिक सक्रियता सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं है। वह वर्ष 2004 से 2006 तक भारतीय जनता युवा मोर्चा की राष्ट्रीय सचिव रह चुकी हैं। दिल्ली में विपक्ष ने भी उनके मुख्यमंत्री चयन पर खुशी जाहिर की। पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी ने एक्स पर लिखा, ‘‘यह खुशी की बात है कि दिल्ली का नेतृत्व एक महिला करेगी, दिल्ली के विकास के लिए आम आदमी पार्टी का पूरा सहयोग आपको मिलेगा।’’ चुनाव के समय भाजपा की ओर से दिल्ली की जनता से किए गए वायदे पूरा करने में भी रेखा गुप्ता को कोई बड़ी अड़चन आती नहीं दिख रही है। खासकर महिलाओं के उत्थान के लिए किए गए वायदों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं पार्टी का रुख स्पष्ट कर चुके हैं। इस तरह रेखा गुप्ता के रूप में भाजपा हाईकमान देश भर में महिला नेतृत्व को सशक्त कर पार्टी खुद को भविष्य की जमीन से जुड़ी मजबूत राजनीति के लिए तैयार कर रही है। देश में महिलाएं अपने राजनीतिक अधिकारों के प्रति जागरूक हो रही हैं। उनकी भागीदारी और राजनीतिक सक्रियता बढ़ रही है।-अकु श्रीवास्तव

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