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‘रेल दुर्घटनाएं रोकने में सहायता देने वालों को’ ‘पुरस्कृत किया जाना चाहिए’

Edited By ,Updated: 12 Dec, 2024 05:20 AM

those who help prevent railway accidents should be rewarded

एक ओर देश में रेलगाडिय़ों के बेपटरी होने की घटनाएं जोरों पर हैं तो दूसरी ओर पटरियों में दरारें आदि आने के कारण रेलें दुर्घटनाओं के जोखिम पर हैं। ऐसे में कुछ जागरूक स्टाफ और नागरिक रेल दुर्घटनाएं रोकने में अपना योगदान दे रहे हैं जिसके चंद ताजा उदाहरण...

एक ओर देश में रेलगाडिय़ों के बेपटरी होने की घटनाएं जोरों पर हैं तो दूसरी ओर पटरियों में दरारें आदि आने के कारण रेलें दुर्घटनाओं के जोखिम पर हैं। ऐसे में कुछ जागरूक स्टाफ और नागरिक रेल दुर्घटनाएं रोकने में अपना योगदान दे रहे हैं जिसके चंद ताजा उदाहरण निम्न में दर्ज हैं : 

* 3 जून को ‘समस्तीपुर’ (बिहार) में ‘शहबाज हुसैन’ (11) नामक एक बच्चा जब धूप से बचने के लिए सिर पर गमछा रख कर रेल पटरी के निकट से गुजर रहा था, तभी उसकी नजर जोड़ पर एक-दूसरे से अलग हो चुकी टूटी रेल पटरी पर पड़ी। उसी समय दूसरी ओर उसी पटरी पर एक ट्रेन आती देख कर वह सिर से उतार कर गमछा लहराते हुए ट्रेन को रोकने के लिए उस दिशा में दौड़ पड़ा। इस दौरान गिर जाने के कारण उसे चोट भी आई परंतु ट्रेन के ड्राइवर ने उसे देख लिया और समय रहते ट्रेन को रोक दिया जिससे दुर्घटना टल गई।

* 11 नवम्बर को बिहार में ‘गौतम स्थान’ और ‘छपरा’ जंक्शनों के बीच ‘सेंगर टोला’ गांव के निकट रेल पटरी के निरीक्षण के दौरान ट्रैक मैन ने एक जगह पर पटरी चार इंच टूटी हुई देखी जबकि इसी पर छपरा से बलिया की ओर जाने वाली कोलकाता-गाजीपुर एक्सप्रैस तेज गति से आ रही थी। इसे देखते ही उसने अपने हाथ से लाल झंडी दिखाकर ट्रेन को रुकने का संकेत दिया और इसकी सूचना स्टेशन मास्टर को भी दे दी। ट्रेन के चालकों ‘दीपक कुमार’ तथा ‘शुभांशु राज’ ने एमरजैंसी ब्रेक लगाकर टूटी पटरी से 100 मीटर पहले ही ट्रेन को रोक कर एक बड़ा हादसा होने से बचा लिया।  

* और अब 8 दिसम्बर को उत्तर प्रदेश में ‘इज्जत नगर’ और ‘भोजीपुरा’ जंक्शनों के बीच रेल पटरी के निरीक्षण के दौरान 2 ट्रैकमैनों ‘प्रेम पाल’ और ‘हरी बाबू’ ने पटरी में एक इंच की दरार देख कर तुरंत कंट्रोल रूम को सूचना भिजवाकर ‘इज्जत नगर’ से रवाना होने वाली आगरा फोर्ट-रामनगर एक्सपै्रस को रुकवाया जिससे एक बड़ी दुर्घटना टल गई। अधिकारियों के अनुसार सर्दियों में सिकुड़ जाने के कारण पटरियों में  दरारें आने की संभावना रहती है। अत: इस मामले में विशेष सावधानी बरतने व गश्त बढ़ाने की जरूरत है। यही नहीं, अपनी सूझबूझ से हजारों रेल यात्रियों की जान बचाने वाले जागरूक स्टाफ और अन्य लोगों को पुरस्कृत करने व लापरवाह कर्मचारियों को दंडित करने की आवश्यकता है।—विजय कुमार 

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