Edited By ,Updated: 03 Oct, 2024 05:08 AM
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी 2022-23 के लिए उद्योगों के वाॢषक सर्वेक्षण (ए.एस.आई.) ने देश में विनिर्माण उद्योग के लिए एक उम्मीद की किरण दिखाई है, जिसे कोविड महामारी के दौरान बड़ा झटका लगा था। रिपोर्ट से पता चला है कि...
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी 2022-23 के लिए उद्योगों के वाॢषक सर्वेक्षण (ए.एस.आई.) ने देश में विनिर्माण उद्योग के लिए एक उम्मीद की किरण दिखाई है, जिसे कोविड महामारी के दौरान बड़ा झटका लगा था। रिपोर्ट से पता चला है कि विनिर्माण उद्योगों में कर्मचारियों की कुल संख्या 2021-22 में 1.72 करोड़ से 2022-23 में 7.5 प्रतिशत बढ़कर 1.84 करोड़ हो गई। इसने नोट किया कि यह पिछले 12 वर्षों में विनिर्माण उद्योगों में रोजगार में वृद्धि की सबसे अधिक दर थी। आंकड़ों के अनुसार, खाद्य उत्पाद बनाने वाली फैक्टरियों में सबसे अधिक रोजगार दर्ज किया गया, इसके बाद कपड़ा, मूल धातु, पहनने के परिधान और मोटर वाहन, ट्रेलर और अर्ध-ट्रेलर का स्थान रहा।
नीति आयोग के सी.ई.ओ. बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम ने कहा कि यह सुझाव देता है कि कोविड महामारी का प्रभाव ‘मिट गया’ है और विनिर्माण क्षेत्र ‘अब तेजी पर है’। सर्वेक्षण के अनुसार, 2021-22 में कारखानों की कुल संख्या 2.49 लाख से बढ़कर 2022-23 में 2.53 लाख हो गई, जो महामारी के बाद पूर्ण रिकवरी चरण को चिह्नित करने वाला पहला वर्ष था। मंत्रालय ने कहा कि 2022-23 में विनिर्माण वृद्धि के मुख्य चालक मूल धातु, कोक और परिष्कृत पैट्रोलियम उत्पाद, खाद्य उत्पाद, रसायन और रासायनिक उत्पाद और मोटर वाहन से संबंधित उद्योग थे। हालांकि यह देश के लिए अच्छी खबर है, लेकिन तथ्य यह है कि देश अभी भी अपने कार्यबल की पूरी क्षमता का उपयोग करने से बहुत दूर है। यह दुनिया के शीर्ष युवा देशों में से एक है, और जहां तक इसकी आबादी की औसत आयु का सवाल है, प्रमुख देशों में सबसे ऊपर है। भारत की औसत आयु, जो 2021 में 24 वर्ष के निचले स्तर को छू गई थी, अब 27 वर्ष है और एक वर्ष के भीतर 28-29 वर्ष तक बढऩे की उम्मीद है।
यह स्पष्ट है कि देश वर्तमान में स्वर्णिम काल से गुजर रहा है लेकिन समय तेजी से निकल रहा है और सरकार को क्षमता का दोहन करने के लिए पहल करनी चाहिए। औसत आयु में लगातार वृद्धि के साथ, जनसंख्या वृद्ध होती जाएगी और हमारा वर्तमान लाभ नुकसान में बदल जाएगा। अगले तीन या चार दशकों में हम वृद्ध देशों में से होंगे। चीन, जिसकी औसत आयु अब 39.5 वर्ष है, जबकि 2011 में यह 34.5 वर्ष थी, ने पहले ही उच्च औसत आयु और वृद्ध लोगों की तेजी से बढ़ती संख्या के परिणामों का सामना करना शुरू कर दिया है। हाल ही में इसे सेवानिवृत्ति की आयु 60 वर्ष से बढ़ाकर 63 वर्ष करने के लिए मजबूर होना पड़ा और वृद्ध लोगों की बढ़ती संख्या को देखते हुए कई अन्य कदम उठा रहा है।
जापान में दुनिया की सबसे वृद्ध आबादी है, जिसकी औसत आयु 55 वर्ष से अधिक है। भारत में अब दुनिया के लगभग 25 प्रतिशत कार्यबल हैं। एक आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार, 1971 से इसमें वृद्धि देखी गई है और 2031 में इसके 65.2 प्रतिशत तक बढऩे का अनुमान है। यह देश की उत्पादकता के लिए अच्छा संकेत है। एक और कारक जिसे योजनाकारों को ध्यान में रखना चाहिए वह यह है कि देश की जनसंख्या वृद्धि दर घट रही है, क्योंकि औसत वार्षिक घातीय वृद्धि 2011 में 1.63 प्रतिशत से गिरकर 2024 में 1.2 प्रतिशत हो गई है। यह वृद्धि 1971 में सबसे अधिक (2.22 प्रतिशत) थी। विकास दर में गिरावट यह दर्शाती है कि निरपेक्ष संख्या में बढ़ौतरी के बावजूद अगले दशक में भारत की जनसंख्या तुलनात्मक रूप से धीमी गति से बढ़ेगी। इसलिए, जबकि विनिर्माण नौकरियों की संख्या में वृद्धि अच्छी खबर है, देश को बेरोजगारी या अल्प रोजगार को कम करने के लिए अभी लंबा रास्ता तय करना है।
पिछले सप्ताह श्रम ब्यूरो द्वारा जारी जुलाई 2023 से जून 2024 की अवधि के लिए आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पी.एल.एफ.एस.) ने भारत की बेरोजगारी दर में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं दिखाया, जो पांच साल की कमी के बाद 2023-24 में 3.2 प्रतिशत पर बनी रही। स्वरोजगार रोजगार का प्राथमिक स्रोत 55.8 प्रतिशत पर बना हुआ है जबकि आकस्मिक और नियमित रोजगार क्रमश: 22.7 प्रतिशत और 21.5 प्रतिशत है। कुल युवा बेरोजगारी दर 10.2 प्रतिशत है, जिसमें महिलाओं के लिए 11 प्रतिशत और पुरुषों के लिए 9.8 प्रतिशत है।
एक अंतरराष्ट्रीय समूह ने हाल ही में गणना की है कि भारत को श्रम बाजार में नए प्रवेशकों के आगमन को समायोजित करने के लिए अगले दशक में हर साल लगभग 12 मिलियन नौकरियों का सृजन करना होगा। जैसे-जैसे भारत का जनसांख्यिकीय लाभ बढ़ता है, यह आने वाले वर्षों में आर्थिक विकास के लिए एक शक्तिशाली गुणक के रूप में काम कर सकता है। इस क्षमता को किसी भी कीमत पर बर्बाद नहीं किया जाना चाहिए और भारत को सही मायने में ‘विकसित भारत’ बनाने के लिए जाति और पंथ के मुद्दों से ध्यान हटाना चाहिए।-विपिन पब्बी