mahakumb

विश्व का खलनायक बन रहे ट्रम्प!

Edited By ,Updated: 09 Mar, 2025 04:34 AM

trump is becoming the villain of the world

अमरीका  का राष्ट्रपति पद संभालने के साथ डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मामलों पर दिए वक्तव्यों, निर्णयों तथा विदेशी नेताओं के साथ व्यवहार से नि:संदेह, अमरीकी नीतियों और अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को लेकर आशंकाएं पैदा हुई हैं। यह तो अनुमान था कि...

अमरीका का राष्ट्रपति पद संभालने के साथ डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मामलों पर दिए वक्तव्यों, निर्णयों तथा विदेशी नेताओं के साथ व्यवहार से नि:संदेह, अमरीकी नीतियों और अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को लेकर आशंकाएं पैदा हुई हैं। यह तो अनुमान था कि वे जो बाइडेन की नीतियों में व्यापक बदलाव लाएंगे, लेकिन इस सीमा तक जाएंगे इसकी कल्पना शायद ही किसी ने की होगी। पश्चिम एशिया की समस्या पर यह वक्तव्य देकर उन्होंने हलचल मचा दी कि गाजा पट्टी पर कब्जा कर उसका पुनॢनर्माण करेंगे एवं नए सिरे से बसाएंगे। रूस-यूक्रेन युद्ध पर उनकी नीति उलट गई है। वे रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से सीधा संपर्क कर बातचीत कर रहे हैं और ऐसा लगता है कि जैसे दोनों के बीच समझौता तय हो गया है। यूरोपीय देशों को वे यूक्रेन को सैन्य व अन्य सहयोग पर लगातार खरी-खरी सुना रहे हैं। 

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ ह्वाइट हाऊस की संयुक्त पत्रकार वार्ता में उनकी बहस हुई। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की को तो ह्वाइट हाऊस से निकाला गया। साफ था कि ट्रम्प उन्हें युद्ध के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए डांट रहे हैं कि आप तृतीय विश्व युद्ध कराने की ओर बढ़ रहे हैं। इस तरह का व्यवहार किसी राष्ट्र प्रमुख का कभी देखा नहीं गया। अमरीका सहित विश्व भर में ट्रम्प विरोधियों की बड़ी संख्या है तथा विश्व को अपने किस्म की व्यवस्था देने की बौद्धिक, वित्तीय, व्यावसायिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक राजनीतिक आदि व्यवस्थाएं देने में लगे राज्य, गैर राज्य शक्तियां-संगठन-समूह आदि ट्रम्प को समाज एवं विश्व का खलनायक बनाने की होड़ में लगे हैं। सामान्य तौर पर लगता है कि कोई नासमझ या सिरफिरा व्यक्ति अमरीकी राष्ट्रपति पद पर आसीन हो गया है। व्यवहार ऐसा है जो होना नहीं चाहिए। क्या यही सच है? न भूलिए कि ट्रम्प अमरीकी राष्ट्रपति हैं और अमरीका की शिक्षित जनता ने उन्हें सीधे निर्वाचित किया है। ऐसा व्यक्ति न सिरफिरा हो सकता है और न बिना सोचे-समझे या गैर योजना से कुछ करेगा। इसलिए मान लीजिए कि ट्रम्प सुनियोजित तरीके से अपनी रणनीति के तहत बढ़ रहे हैं और उनके निश्चित लक्ष्य हैं।

संसद के संयुक्त संबोधन में उन्होंने अमरीका और पूरे विश्व के लिए अपनी कार्ययोजना को रख दिया है। यह बात अलग है कि वर्तमान विश्व की संरचनाओं, जटिलताओं और उथल-पुथल की स्थिति में ट्रम्प के लिए इच्छित लक्ष्य पाना कठिन है। इसे वे और उनके सलाहकार भी समझ रहे हैं। 2020 में सत्ता से जाने के बाद उन्होंने कुछ घोषणाएं की थीं और पिछले करीब डेढ़ वर्ष से उन्होंने चुनाव अभियान में जनता के समक्ष सारी बातें रखीं। किसी निष्कर्ष पर पहुंचने या विश्व भर में शक्तिशाली अतिवादी इकोसिस्टम और बनाए गए नैरेटिव से बाहर निकलकर  उनके व्यवहार से आए कुछ त्वरित परिणामों पर दृष्टि डालिए। क्या इमैनुएल मैक्रों और जेलेंस्की के साथ लाइव विवाद के बाद इस इकोसिस्टम द्वारा जो नैरेटिव बनाकर डर और आशंकाएं पैदा की जा रही हैं उसकी परिणति भी वैसे ही सामने आई है? 

ट्रम्प ने यूक्रेन को दी जाने वाली सारी सहायता रोक दी। यानी यह अगला अतिवादी कदम था जिससे पता चलता था कि वो जो कुछ कह रहे हैं उसे करने की उनकी तैयारी है। पहला परिणाम यह हुआ कि यूरोपीय देशों ने लंदन में बैठे तथा यूक्रेन युद्ध की समाप्ति के लिए एक रूप-रेखा बनाने पर सहमति व्यक्त की। यद्यपि फ्रांस की ओर से डोनाल्ड ट्रम्प के विरुद्ध बयान आ रहे हैं किंतु उस बैठक से ऐसा वक्तव्य नहीं आया।जब ट्रम्प ने कहा कि वह हमास और फिलिस्तीनियों को निकाल बाहर करेंगे तथा गाजा पर कब्जा कर इसका निर्माण कर आगे बस्ती बसाएंगे तो कई देशों ने विरोध किया था। ट्रम्प के प्रभाव में ही हमास ने युद्ध विराम समझौता कर इसराइली बंधकों को रिहा करना शुरू किया था। 

ट्रम्प का रुख अभी भी वही है। इस तरह अभी तक ट्रम्प के कदमों से दुनिया में हलचल तो मची किंतु कोई विपरीत परिणाम नहीं आया है। युद्ध रोकना है तो पुतिन को विश्वास में लेकर बात करनी होगी। ट्रम्प रक्षा नीति, विदेश नीति, व्यापार नीति, आर्थिक नीति, वित्तीय नीति से संबंधित सभी प्रमुख लोगों के साथ लगातार बैठक कर रहे हैं। सहमति और निष्कर्ष पर पहुंचने के बाद ही वह बयान देते हैं या कदम उठाते हैं। अमरीका विश्व में 1.7 खरब डालर के सर्वाधिक व्यापार घाटे में है। उनके टैरिफ के प्रत्युत्तर में कनाडा, मैक्सिको, चीन आदि ने भी इस तरह जवाबी टैरिफ लागू किया है। इससे डर इसलिए पैदा हुआ है कि अभी तक की व्यवस्था में उथल-पुथल जैसा है। ट्रम्प द्वारा लगातार भारत का नाम लेने के बावजूद भारतीय सामग्रियों पर प्रतिक्रियात्मक टैरिफ नहीं लगा है। हां, 2 अप्रैल से वैश्विक व्यापार नीति के तहत समानुपातिक शुल्क में भारत भी आएगा। भारत का रुख संतुलित है, प्रतिक्रियात्मक कदमों की घोषणा नहीं की गई क्योंकि अमरीका सर्वाधिक व्यापारिक लाभ देने वाला सांझेदार है।-अवधेश कुमार 
 

Related Story

    Trending Topics

    Afghanistan

    134/10

    20.0

    India

    181/8

    20.0

    India win by 47 runs

    RR 6.70
    img title
    img title

    Be on the top of everything happening around the world.

    Try Premium Service.

    Subscribe Now!