भारत पर ट्रम्प का प्रभाव

Edited By ,Updated: 24 Nov, 2024 05:25 AM

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डोनाल्ड ट्रम्प अभी तक संयुक्त राज्य अमरीका के राष्ट्रपति नहीं हैं। वह तिथि 7 सप्ताह दूर है, लेकिन पूरी दुनिया में चर्चा इस बात पर है कि ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने का दुनिया पर क्या प्रभाव होगा? आपके देश पर, आपके शहर पर, आपकी नौकरी पर या लगभग हर चीज...

डोनाल्ड ट्रम्प अभी तक संयुक्त राज्य अमरीका के राष्ट्रपति नहीं हैं। वह तिथि 7 सप्ताह दूर है, लेकिन पूरी दुनिया में चर्चा इस बात पर है कि ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने का दुनिया पर क्या प्रभाव होगा? आपके देश पर, आपके शहर पर, आपकी नौकरी पर या लगभग हर चीज पर क्या प्रभाव होगा। चुनाव से पहले और चुनाव के बाद, बाजार सूचकांक में गिरावट आई है। 5 नवम्बर को सैंसेक्स 78,782 पर बंद हुआ और रुपया-डॉलर की दर 84.11 रुपए थी। जब मैं लिख रहा हूं, तब सैंसेक्स  77,156 पर बंद हुआ और डालर की विनिमय दर 84.50 रुपए थी।

ट्रम्प, व्यापारीवादी : आइए  ट्रम्प की मूल मान्यताओं पर नजर डालें। हम जानते हैं कि वह एक व्यापारीवादी हैं और उनका मानना है कि केवल उच्च टैरिफ ही अमरीकी हितों की रक्षा कर सकते हैं। उन्होंने आयातित वस्तुओं, विशेष रूप से चीन से आयातित वस्तुओं पर उच्च टैरिफ लगाने की धमकी दी है। बाइडेन प्रशासन के तहत चीन के साथ अमरीका का व्यापार घाटा 352 बिलियन अमरीकी डॉलर (2021), 382 बिलियन अमरीकी डॉलर (2022), 279 बिलियन अमरीकी डॉलर (2023) और 217 बिलियन अमरीकी डॉलर (सितम्बर 2024 तक) था। अमरीका की समृद्ध आबादी को चीन के माल, कपड़े, इलैक्ट्रॉनिक्स और मशीनरी की बड़ी मात्रा में जरूरत है। उच्च टैरिफ अमरीकी उद्योग और उपभोक्ताओं की लागत बढ़ाएंगे, मुद्रास्फीति बढ़ेगी और अमरीकी फेड नीतिगत ब्याज दर बढ़ाएगा, जिसे उसने इस साल 2 बार घटाया था।

दूसरी ओर, रोजगार बनाए रखने के लिए चीन को माल का उत्पादन जारी रखना चाहिए। अमरीकी टैरिफ के कारण चीन दूसरे देशों पर माल ‘डंप’ करेगा। भारत में पहले से ही चीनी सामानों पर सबसे अधिक एंटी-डंपिंग शुल्क हैं। उच्च अमरीकी टैरिफ जवाबी टैरिफ को लक्षित कर सकते हैं और विश्व व्यापार के लिए नतीजे बुरे हो सकते हैं। अमरीका में बहुत कम लोग राजकोषीय घाटे के बारे में उस तरह से बात करते हैं जिस तरह से भारत और अन्य देश राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने के बारे में चिंतित हैं। इसका कारण यह है कि अमरीका अपने घाटे को आसानी से पूरा कर लेता है क्योंकि चीन समेत अन्य देश अमरीकी ट्रेजरी बॉन्ड खरीदते हैं। 21,000 बिलियन अमरीकी डॉलर के कुल अमरीकी राष्ट्रीय ऋण में से चीन के पास लगभग 1170 बिलियन अमरीकी डॉलर हैं। लेकिन अगर अमरीका का राजकोषीय घाटा बढ़ता है तो इससे मुद्रास्फीति बढ़ जाएगी। इसके परिणामस्वरूप उच्च ब्याज दरें पूंजी के प्रवाह को उलट देंगी और भारत जैसे विकासशील देशों में धन का बहिर्वाह होगा। मजबूत डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपए का मूल्य कम हो जाएगा।

ट्रम्प, संरक्षणवादी : ट्रम्प ने कारखानों को वापस संयुक्त राज्य अमरीका में लाने का वादा किया है। वह अमरीकी उद्योग को अपने कारखाने अमरीका में स्थापित करने के लिए बड़े प्रोत्साहन दे सकते हैं और इससे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश कम हो जाएगा। यदि घराने अभी भी अपने कारखानों को विदेश में स्थापित करना चाहते हैं, तो  ट्रम्प प्रौद्योगिकी के निर्यात पर प्रतिबंध लगा सकते हैं। ट्रम्प ने अतीत में भारत पर अमरीकी वस्तुओं पर उच्च टैरिफ लगाने और ‘मुद्रा हेर-फेर’ करने का आरोप लगाया है। क्या ट्रम्प और पी.एम. मोदी के बीच ‘दोस्ती’ भारत के प्रति उनके रवैये को नर्म करेगी और भारत के लिए अपवाद बनाएगी, यह एक विवादास्पद प्रश्न है।

दूसरा गंभीर मुद्दा कथित ‘अवैध’ आव्रजन है जिसके लिए ट्रम्प बेरोजगारी से लेकर अपराध और ड्रग्स तक सब कुछ को दोषी ठहराते हैं। ट्रम्प ने पहले 100 दिनों में 10 लाख से अधिक अवैध प्रवासियों को जबरन निर्वासित करने का वायदा किया है। उन्होंने ‘अवैध विदेशियों के सभी निर्वासन’ के प्रभारी के रूप में एक कट्टरपंथी टॉम होमन को चुना है। कितने भारतीयों को निर्वासित किया जाएगा, यह ज्ञात नहीं है, लेकिन कुछ को निर्वासित किया जाएगा और इसका भारत-अमरीका संबंधों पर असर पड़ेगा। ट्रम्प एच1 बी1 वीजा प्राप्त करने के नियमों को भी सख्त कर सकते हैं। हालांकि अमरीकी उद्योग, विश्वविद्यालय और स्वास्थ्य सेवा प्रणाली चाहती है कि अधिक योग्य भारतीय अमरीका में फिर से बस जाएं और अंतत: अमरीकी नागरिक बन जाएं। यदि ट्रम्प दृढ़ रहते हैं और अमरीकी नियोक्ता भी दृढ़ रहते हैं, तो यह एक अप्रतिरोध्य शक्ति का एक अचल अवरोध से सामना करने जैसा होगा।

ट्रम्प: जलवायु संशयवादी : ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने से तेल और दवा उद्योगों पर गहरा असर पड़ेगा। ट्रम्प ने क्रिस राइट को ऊर्जा सचिव के रूप में नामित किया है। राइट फ्रैकिंग तथा ड्रिलिंग के प्रबल समर्थक हैं, और जलवायु संकट से इंकार करते हैं। जलवायु परिवर्तन पर सी.ओ.पी. वार्ता विफल नहीं हो सकती है, लेकिन इसे गंभीर झटका लग सकता है। भारत की वर्तमान स्थिति यह है कि वह सी.ओ.पी. के प्रयास का समर्थन करता है, लेकिन चाहता है कि गति धीमी हो और ऐसा हो सकता है। दवा के मोर्चे पर, कम विनियमन और उच्च कीमतों की प्रत्याशा में यू.एस. में फार्मा स्टॉक में वृद्धि हुई है। दुनिया भर में दवाओं की कीमतें बढ़ेंगी और स्वास्थ्य सेवा को सार्वभौमिक बनाने के हमारे प्रयास में बाधा उत्पन्न होगी।

अंत में ट्रम्प का उन 2 युद्धों के प्रति क्या रवैया होगा जो हर दिन दर्जनों निर्दोष लोगों की जान ले रहे हैं और स्कूलों व अस्पतालों जैसे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को नष्ट कर रहे हैं?  ट्रम्प ने ‘युद्धों को रोकने’ का वादा किया है, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि वे क्या करेंगे। उनके पिछले रिकॉर्ड और घोषणाओं से संकेत मिलता है कि वह इसराईल का समर्थन करेंगे। वह जेलेंस्की पर रूस के साथ समझौता करने के लिए दबाव डाल सकते हैं। किसी भी जल्दबाजी वाले कदम के बुरे परिणाम होंगे और इस बात की कोई निश्चितता नहीं है कि कोई भी युद्ध समाप्त हो जाएगा और स्थायी शांति की ओर ले जाएगा। इसके विपरीत, यदि युद्ध तेज हो जाते हैं, तो आपूर्ति शृंखलाएं और भी बाधित होंगी और विकासशील देशों को गंभीर रूप से प्रभावित करेंगी।

ट्रम्प का ‘अमरीका को फिर से महान बनाओ’ ग्रह को बेहतर या सुरक्षित या अधिक समृद्ध स्थान बनाने की संभावना नहीं है। ट्रम्प के अनुसार, यह अमरीका के स्वार्थ में है। अमरीकी चुनावों के नतीजों ने साबित कर दिया कि यह ट्रम्प के स्वार्थ में भी है।-पी. चिदम्बरम

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