अलोकतांत्रिक ‘बुल्डोजर न्याय’ खत्म होना चाहिए

Edited By ,Updated: 05 Sep, 2024 05:28 AM

undemocratic  bulldozer justice  must end

हमारे संविधान और नागरिकों को नियंत्रित करने वाले कानूनों के रक्षक सुप्रीम कोर्ट ने आखिरकार ‘बुल्डोजर न्याय’ देने की बर्बर और सांप्रदायिक प्रथा को पहचान लिया है। यह कि वह कई वर्षों से न्याय के इस तरह के मजाक को अनदेखा कर रहा था।

हमारे संविधान और नागरिकों को नियंत्रित करने वाले कानूनों के रक्षक सुप्रीम कोर्ट ने आखिरकार ‘बुल्डोजर न्याय’ देने की बर्बर और सांप्रदायिक प्रथा को पहचान लिया है। यह कि वह कई वर्षों से न्याय के इस तरह के मजाक को अनदेखा कर रहा था। यह हमारे लोकतंत्र पर एक धब्बा रहेगा। जैसा कि सर्वविदित है, इस प्रथा के आविष्कारक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ थे, जिन्हें कम से कम हालिया लोकसभा चुनावों के नतीजों तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संभावित उत्तराधिकारी के रूप में देखा जा रहा था। समाज में उनके ‘शानदार’ योगदान के लिए उनके प्रशंसकों ने उन्हें ‘बुल्डोजर बाबा’ का उपनाम दिया था। उनका फरमान सरल था कि गैर-कानूनी गतिविधियों में लिप्त लोगों या सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों के घरों या इमारतों को बुल्डोजर से उड़ा दो, लेकिन इस शर्त के साथ कि आरोपी केवल एक विशेष अल्पसंख्यक समुदाय से होना चाहिए। अगर आरोपी किसी अन्य समुदाय से संबंधित था, तो ऐसी कोई कार्रवाई की आवश्यकता नहीं थी। 

इस काम का तरीका यह था कि आरोपी या उसके परिवार के घर या इमारत की पहचान की जाए। इसके निर्माण में की गई कुछ अनियमितताओं या कुछ दस्तावेजों की कमी का पता लगाया जाए और बिना कोई नोटिस दिए या अदालत से ध्वस्तीकरण के आदेश प्राप्त किए तत्काल ‘न्याय’ किया जाए। यहां तक कि एक बच्चा भी इस कार्रवाई के पीछे के मकसद को समझ सकता है और यह तथ्य कि इस तरह के ध्वस्तीकरण महज संयोग नहीं थे। बुल्डोजर को एक स्पष्ट संदेश देने के लिए भेजा गया था। 

सरकार ने कथित तौर पर एक विशेष समुदाय के विरोध प्रदर्शन से जुड़े मामलों में अभियोजक, न्यायाधीश और जल्लाद की भूमिका निभाई।  हम एक सम्पन्न लोकतंत्र के रूप में खुद पर गर्व करते हैं, जिसके कानून प्रवर्तन अंग ऐसे दिखावा करते हैं जैसे कुछ हुआ ही नहीं। यह भी दुखद और निराशाजनक है कि मीडिया के एक बड़े हिस्से ने भी इस तरह की मनमानी के प्रति आंखें मूंद लीं,खासकर इलैक्ट्रॉनिक मीडिया जिसके  पास ऐसे गंभीर मुद्दों के लिए समय नहीं है। यह सवाल किया जाना चाहिए था कि पूरे परिवार और हमेशा गरीब परिवार को क्यों पीड़ित और बेघर होना पड़ा, जबकि परिवार का एक सदस्य भी गैर-कानूनी गतिविधि में शामिल नहीं पाया था? 

हाल ही में एक अनोखे मामले में, एक संदिग्ध के मकान मालिक का घर सिर्फ इसलिए गिरा दिया गया क्योंकि उसने घर किराए पर लिया था। और फिर भी हमारी पुलिस और न्यायपालिका मूकदर्शक बनी रही। लेकिन योगी के अनुयायी गरीबों के घरों को ध्वस्त करने पर अपनी खुशी जाहिर करने से नहीं चूके। उन्होंने सोशल मीडिया पर योगी की तारीफों की बाढ़ ला दी और इस तरह की और कार्रवाई की मांग की। योगी की तारीफों से उत्साहित होकर कुछ अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी इस बर्बर प्रथा की नकल की। इन राज्यों में मध्य प्रदेश, असम और हरियाणा शामिल हैं। यहां तक कि राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और महाराष्ट्र में पूर्व एम.वी.ए. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे जैसे कुछ गैर-भाजपा मुख्यमंत्रियों को भी यह बीमारी लग गई, जिन्होंने सोचा कि इस तरह का तत्काल ‘न्याय’ करना उचित है। 

अब सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप बहुत देर से और बहुत कम है। न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के वी. विश्वनाथन की सर्वोच्च न्यायालय की डबल बैंच ने कहा, ‘‘किसी का घर सिर्फ इसलिए कैसे ध्वस्त किया जा सकता है क्योंकि वह आरोपी है? भले ही वह दोषी हो, लेकिन कानून द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना ऐसा नहीं किया जा सकता है।’’ पीठ ने आगे कहा कि वह अखिल भारतीय स्तर पर कुछ दिशा-निर्देश तय करने का प्रस्ताव करती है, ताकि उठाए गए मुद्दों से जुड़ी चिंताओं का समाधान किया जा सके। स्पष्ट रूप से सर्वोच्च न्यायालय की प्रतिक्रिया पूरी तरह अपर्याप्त है। क्या किसी भी इमारत को गिराने से पहले उचित प्रक्रिया का पालन करने के लिए पहले से ही कानून नहीं हैं? दिशा-निर्देश तय करने की क्या जरूरत है? 

उन लोगों का क्या होगा, जिन्होंने इस तरह के घोर अन्याय को झेला है। उन्हें कैसे मुआवजा दिया जा सकता है और उन राजनेताओं और अधिकारियों का क्या, जिन्होंने अवैध रूप से ऐसे घरों को गिराया है? वे जाहिर तौर पर बेखौफ घूमेंगे। अगर सर्वोच्च न्यायालय ने जांच का आदेश दिया होता और दोषियों को सजा दी होती, तो वह गंभीर लगता।-विपिन पब्बी
 

Related Story

    Trending Topics

    Afghanistan

    134/10

    20.0

    India

    181/8

    20.0

    India win by 47 runs

    RR 6.70
    img title
    img title

    Be on the top of everything happening around the world.

    Try Premium Service.

    Subscribe Now!