यू.पी. के परिणाम से योगी के राजनीतिक भविष्य पर पड़ेगा असर !

Edited By ,Updated: 23 Nov, 2024 05:41 AM

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उत्तर प्रदेश में 9 सीटों के लिए हुए उप-चुनाव के नतीजे भाजपा (बंटेंगे तो कटेंगे) और सपा (जुड़ेंगे तो जीतेंगे) के बीच बयानबाजी की लड़ाई पर टिप्पणी करने के लिए तैयार हैं। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक (पी.डी.ए.) फॉर्मूले की रणनीति...

उत्तर प्रदेश में 9 सीटों के लिए हुए उप-चुनाव के नतीजे भाजपा (बंटेंगे तो कटेंगे) और सपा (जुड़ेंगे तो जीतेंगे) के बीच बयानबाजी की लड़ाई पर टिप्पणी करने के लिए तैयार हैं। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक (पी.डी.ए.) फॉर्मूले की रणनीति अपनाई, जो पिछड़ी जातियों, दलितों और अल्पसंख्यकों के बीच एकता पर केंद्रित है। 

उन्होंने हाशिए पर पड़े समूहों के मताधिकार से वंचित होने के बारे में चिंता जताते हुए कहा कि क्या कोई ऐसी स्थिति की कल्पना कर सकता है जहां किसी व्यक्ति चाहे वह मुस्लिम, आदिवासी, दलित या महिला हो, को उसके वोट के अधिकार से वंचित किया जाए? यादव ने इस कथित मतदाता दमन के लिए भाजपा को सभी 9 उपचुनाव सीटें हारने के डर को जिम्मेदार ठहराया। 

दूसरी ओर, सी.एम. योगी आदित्यनाथ वास्तव में उपचुनावों के प्रचार के दौरान सबसे अधिक सक्रिय मुख्यमंत्री थे और उन्होंने सभी हिंदू उप-जातियों को एकजुट करने के लिए ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ का नारा गढ़ा। हालांकि, सुॢखयों में उत्तर प्रदेश है, जो 80 सांसदों को लोकसभा में भेजता है, जिसके परिणाम से न केवल आदित्यनाथ के राजनीतिक भविष्य पर असर पडऩे की उम्मीद है, बल्कि समाजवादी पार्टी (सपा) भी उत्तर प्रदेश में एक बार फिर से एक ताकत के रूप में उभर रही है, जिसने राज्य की राजनीति में एक स्थायी बदलाव को चिन्हित किया है।

वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पेश करने के लिए तैयार केंद्र : केंद्र सरकार संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पेश करने के लिए तैयार है। विधेयक की जांच कर रही संसद की संयुक्त समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने 21 नवंबर को संकेत दिया कि पैनल जल्द ही मसौदा रिपोर्ट को अपनाने की प्रक्रिया शुरू कर सकता है। हालांकि, कई विपक्षी सदस्यों ने इस कदम का विरोध किया और विधेयक पर संयुक्त समिति के कार्यकाल को बढ़ाने की मांग की। उनका तर्क था कि उन्हें मसौदे में बदलावों का अध्ययन करने के लिए और समय चाहिए। सूत्रों के अनुसार, सभी विपक्षी सांसद शीतकालीन सत्र के पहले दिन 25 नवंबर को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से बातचीत करेंगे और समय सीमा बढ़ाने की अपनी मांग उठाएंगे। समिति ने गुरुवार को अपनी 28वीं बैठक की।

वक्फ (संशोधन) विधेयक का विरोध : ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, ऑल बंगाल इमाम मुअज्जिन एसोसिएशन और ज्वाइंट फोरम फॉर वक्फ प्रोटैक्शन जैसे संगठनों के नेतृत्व में सैंकड़ों प्रदर्शनकारीे वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 का विरोध करने के लिए 19 नवंबर को कोलकाता में एक साथ आए। वक्फ (संशोधन) विधेयक पर जे.पी.सी. की बैठकों से बार-बार बाहर निकलने के लिए विपक्षी सांसदों की आलोचना करते हुए, प्रदर्शनकारियों ने धर्मनिरपेक्ष सांसदों को आगे के वाकआऊट के खिलाफ चेतावनी दी, कहा कि इस तरह की कार्रवाई संसद से स्थायी रूप से हटाए जाने का कारण बन सकती है। 

दूसरी ओर, 25 नवंबर से शुरू होने वाला प. बंगाल विधानसभा का शीतकालीन सत्र महत्वपूर्ण होने जा रहा है, क्योंकि ममता बनर्जी सरकार केंद्र के प्रस्तावित वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 का विरोध करने के लिए प्रस्ताव पेश करने पर विचार कर रही है। जवाबी कार्रवाई के तौर पर, प्रस्ताव का उद्देश्य राज्य के विरोध को दर्ज करना और वक्फ मामलों पर राज्य की स्वायत्तता बनाए रखते हुए अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के उपायों की रूपरेखा तैयार करना है। टी.एम.सी. ने केंद्रीय कानून का कड़ा विरोध किया और इसे राज्य के अधिकारों का अतिक्रमण और अल्पसंख्यक समुदायों को हाशिए पर डालने वाला कदम बताया। जबकि भाजपा ने राज्य सरकार के इस कदम की आलोचना करते हुए इसे राजनीतिक दिखावा बताया है। दूसरी ओर, केंद्र के विधेयक का विरोध कर रहे माकपा और कांग्रेस ने भी टी.एम.सी. की मंशा पर सवाल उठाए हैं।

मध्य प्रदेश में जीतू पटवारी की अध्यक्षता में प्रदेश कांग्रेस कमेटी की बैठक : मध्य प्रदेश में गुरुवार को जीतू पटवारी की अध्यक्षता में प्रदेश कांग्रेस कमेटी की बैठक हुई। इस बैठक में प्रदेश कांग्रेस के विभिन्न महत्वपूर्ण पदाधिकारियों के साथ पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति, प्रदेश कार्यकारिणी, स्थायी आमंत्रित और विशेष आमंत्रित सदस्य भी मौजूद रहे। बैठक 2 अलग-अलग सत्रों में हुई, जिसमें पार्टी के संगठनात्मक ढांचे को सशक्त बनाने के लिए लंबी और विस्तृत चर्चा हुई। लेकिन पी.सी.सी. प्रमुख की भूमिका संभालने के बाद जीतू पटवारी ने हाल ही में अपनी टीम का खुलासा करते हुए राजनीतिक मामलों की समिति का पुनर्गठन किया और 17 उपाध्यक्ष, 71 महासचिव और 16 कार्यकारी समिति के सदस्यों की नियुक्ति की। इस कदम से पार्टी के कई नेताओं में असंतोष फैल गया, जिनमें से कुछ ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया।  वरिष्ठ नेताओं को कार्यकारी समिति से बाहर किए जाने से नाराज बैतूल जिले के नेताओं ने प्रदेश कांग्रेस कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। हालांकि, इसमें पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ और दिग्विजय सिंह, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और अजय सिंह, अरुण यादव जैसे अन्य  वरिष्ठ नेता गायब थे।-राहिल नोरा चोपड़ा 

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