Edited By ,Updated: 14 Nov, 2023 05:04 AM

2024 के अमरीकी राष्ट्रपति पद के चुनावों में भारतीय मूल के अमरीकी उम्मीदवारों का प्रदर्शन कैसा रहेगा। एक साल पहले ये उम्मीदवार रिपब्लिकन नेता और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से काफी पीछे हैं। उल्लेखनीय है कि ट्रम्प के पास अन्य दावेदारों पर...
2024 के अमरीकी राष्ट्रपति पद के चुनावों में भारतीय मूल के अमरीकी उम्मीदवारों का प्रदर्शन कैसा रहेगा। एक साल पहले ये उम्मीदवार रिपब्लिकन नेता और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से काफी पीछे हैं। उल्लेखनीय है कि ट्रम्प के पास अन्य दावेदारों पर महत्वपूर्ण बढ़त है, जो राष्ट्रपति पद की दौड़ को और अधिक प्रतिस्पर्धी और रोमांचक बना सकती है। किसी ने नहीं कहा कि वे अपनी पार्टियों से राष्ट्रपति पद का नामांकन जीतेंगे क्योंकि उनके और ट्रम्प के बीच अंतर बहुत बड़ा था। आखिरकार ट्रम्प और राष्ट्रपति जो बाइडेन को आधिकारिक उम्मीदवार चुना जाएगा। यह जानते हुए कि उनके जीतने की सम्भावना कम है, 3 भारतीय अमरीकियों ने राष्ट्रपति पद की दौड़ में अपनी किस्मत क्यों आजमाई? सबसे पहले, उनकी महत्वाकांक्षा ने आसमान छू लिया था। चाहे वे जीतें या हारें उनके नाम राष्ट्रीय स्तर पर बेहतर जाने जाते हैं।
दूसरी बात यह है कि हालांकि वे पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प से बहुत पीछे हैं और निकी हेली और रामास्वामी अमरीकी भारतीय मूल के बढ़ते राजनीतिक प्रभाव का प्रतिनिधित्व करते हैं। तीसरा, भारतीय आप्रवासी यू.एस., यू.के. ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में एक मजबूत और प्रभावशाली समुदाय बन गए हैं। वे कांग्रेस और समाज में एक शक्तिशाली लॉबी के रूप में उभरे हैं। चौथा, एक समय था जब भारतीय अमरीकी राजनीतिक दलों को मोटा चन्दा देकर संतुष्ट हो जाते थे। हाल ही में उन्हें अहसास हुआ है कि शक्ति कहां है और इसीलिए उम्मीदवार बनने की कोशिश कर रहे हैं।
पांचवां, कमला हैरिस और निकी हेली पहले ही खुद को स्थापित कर चुकी हैं और विवेक रामास्वामी अभी उभरे हैं। ये तीनों अप्रवासियों के बच्चे हैं और इनका पालन-पोषण अमरीका में ही हुआ है। भारतीय आप्रवासियों के कुछ वर्ग अमरीकी राजनीति का समर्थन, वित्त पोषण और संलग्न रखना जारी रखते हैं। अपने राष्ट्रपति अभियान के दौरान हेली ने कहा, ‘‘मैं भारतीय आप्रवासियों की गौरवान्वित बेटी हूं, न तो श्वेत और न ही अश्वेत। मैं अलग थी।’’ कमला हैरिस पहले ही अमरीका की पहली महिला उपराष्ट्रपति हैं। कमला की मां श्यामला तमिलनाडु से आई थीं।
निकी हेली को कई चीजों के लिए जाना जाता है-अमरीकी इतिहास में गवर्नर के रूप में सेवा करने वाली पहली एशियाई अमरीकी महिला, राष्ट्रपति मंत्रिमंडल की प्रथम भारतीय अमरीकी सदस्य और जी.ओ.पी. नामांकन चाहने वाली प्रथम महिला, यूक्रेन में संघर्ष और इसराईल और हमास के बीच युद्ध के दौरान हेली के पास प्रभावशाली विदेश नीति का अनुभव है। कमला हैरिस और रामास्वामी दक्षिणी भारतीय हैं और हेली के पास पंजाबी विरासत है। वे अपने-अपने समुदायों के लिए गर्व का स्रोत हैं। जब 2020 में कमला हैरिस उपराष्ट्रपति बनीं तो तमिलनाडु में पटाखे फोडे गए और जश्र मनाया गया। पहले प्रमुख भारतीय अमरीकी राष्ट्रपति के उम्मीदवार लुईसियाना के पूर्व गवर्नर बॉबी जिंदल के माता-पिता 1971 में अमरीका आए। हेली और उससे पहले बॉबी जिंदल गवर्नर बने और एक महत्वपूर्ण प्रभाव डाला, जबकि जिंदल राजनीतिक परिदृश्य से गायब हो गए, वहीं निकी अभी भी खबरों में बनी रहती हैं।
दक्षिण कैरोलिना की पूर्व गवर्नर और बाद में ट्रम्प के लिए संयुक्त राष्ट्र की राजदूत हेली आमतौर पर पार्टी की पारम्परिक स्थापना के साथ जुड़ती हैं। कांग्रेस के 5 भारतीय अमरीकी सदस्यों की संख्या आबादी में उनके हिस्से से थोड़ी कम है। वर्तमान में भारतीय मूल का कोई सीनेटर या गवर्नर नहीं है। माइग्रेशन नीति संस्थान के अनुसार 1960 में अमरीका में केवल 12 हजार भारतीय आप्रवासी रहते थे। हालांकि आज जनगणना के आंकड़ों से पता चलता है कि यह संख्या उल्लेखनीय रूप से बढ़कर 4 मिलियन से अधिक हो गई है।
भारतीय मूल के अमरीकी देश की आबादी का करीब 1.3 प्रतिशत हैं और दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों के प्रमुख सदस्य बन गए हैं। हालांकि रिपब्लिकन पार्टी अमरीका में आप्रवासी भारतीय पर जीत हासिल करने में सक्षम नहीं हो सकती। लेकिन करीबी मुकाबले वाले राज्यों में मामूली बढ़त भी महत्वपूर्ण हो सकती है। कमला हैरिस जो सफल होने की उम्मीद कर रही थीं, अब बाइडेन के साथी के रूप में सुलझ गई हैं। हेली और रामास्वामी को क्रमश: 6 और 5 फीसदी का समर्थन हासिल है। राजनीतिक दलों ने अभी तक अपने उम्मीदवारों की आधिकारिक घोषणा नहीं की है। 2020 में भारतीय अमरीकियों ने वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन को 74 प्रतिशत से अधिक वोट दिए हैं जबकि 15 प्रतिशत वोट ट्रम्प को मिले हैं।
संघ परिवार का विदेशी संगठन 1960 के दशक से अमरीका में अस्तित्व में है। अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी ने एन.आर.आई. को सुविधाओं के साथ संगठित करने में मदद की है। पहली पीढ़ी के भारतीय आप्रवासी उच्च शिक्षित थे। वे लोग श्रम शक्ति में कुशल बने और कड़ी मेहनत के माध्यम से समृद्ध हुए। कुल मिलाकर तीनों उम्मीदवारों का आत्मविश्वास बढ़ते भारतीय आप्रवासियों की कहानी भी है। चाहे वे 2024 में जीतें या हारें, वे खबरें बनाएंगे और किसी दिन उपलब्धि हासिल करेंगे। यही उनका अमरीकी सपना है।-कल्याणी शंकर