Edited By ,Updated: 09 Jan, 2025 06:56 AM
यह सर्वविदित है कि भारत में वर्तमान में युवा नागरिकों की सबसे बड़ी संख्या है और दुनिया में नवीनतम कार्यबल है, जिसकी आधी आबादी 27 वर्ष से कम आयु की है और अब 15-59 वर्ष की आयु के बीच की 67.3 प्रतिशत आबादी के साथ, भारत अपने जनसांख्यिकीय शिखर पर पहुंच...
यह सर्वविदित है कि भारत में वर्तमान में युवा नागरिकों की सबसे बड़ी संख्या है और दुनिया में नवीनतम कार्यबल है, जिसकी आधी आबादी 27 वर्ष से कम आयु की है और अब 15-59 वर्ष की आयु के बीच की 67.3 प्रतिशत आबादी के साथ, भारत अपने जनसांख्यिकीय शिखर पर पहुंच गया है। जाहिर है कि यह एक बड़ा लाभ है जो हमें अन्य देशों, विशेष रूप से अमरीका और चीन से आगे ले जाता है, जहां औसत आयु बहुत अधिक है और जनसंख्या वृद्ध हो रही है।
वर्तमान में हमारे पास 65 वर्ष से अधिक आयु की केवल 7 प्रतिशत आबादी है, जबकि अमरीका में यह 17 प्रतिशत और यूरोप में 21 प्रतिशत है। जापान जैसे देशों के लिए यह बहुत बुरा है जहां जनसंख्या और भी तेजी से वृद्ध हो रही है। हालांकि हमारे योजनाकारों के बीच गंभीर चिंता का विषय यह है कि देश के लिए यह जनसांख्यिकीय लाभ केवल 30 वर्षों तक ही रहेगा। इसके बाद जनसंख्या वृद्ध होने लगेगी।
इस प्रकार हमारे पास अद्वितीय लाभ का यह स्वर्णिम काल है, लेकिन सवाल यह है कि क्या हम अवसरों का पूरा लाभ उठाने के लिए तैयार हैं या तैयारी कर रहे हैं। दुर्भाग्य से हमारे स्वास्थ्य और शिक्षा के मानदंड, जो उत्पादकता और धन सृजन के लिए प्रेरक शक्ति हैं, अभी भी खराब बने हुए हैं। यह हमारे छोटे बच्चों के लिए विशेष रूप से सच है, जो अगले कुछ दशकों में देश का संचालन करेंगे। स्पष्ट रूप से देश के विकास के इन 2 महत्वपूर्ण पहलुओं पर लगातार सरकारों द्वारा पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, बढ़ती साक्षरता के बड़े-बड़े दावों के बावजूद, यह पाया गया है कि 15-49 वर्ष के आयु वर्ग में केवल 42 प्रतिशत महिलाएं और लगभग 50 प्रतिशत पुरुष 10 साल या उससे अधिक समय तक स्कूल गए हैं। 15-19 वर्ष के आयु वर्ग के वे लोग, जिन्हें अगले दशक में हमारे कार्यबल में शामिल किया जाएगा, केवल 34 प्रतिशत महिलाओं और 36 प्रतिशत पुरुषों ने कम से कम 12 साल की शिक्षा पूरी की है और यह सिर्फ शिक्षा के वर्षों की बात नहीं है। यहां तक कि प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा की गुणवत्ता भी संतोषजनक नहीं है। वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट, 2023 में पाया गया कि राष्ट्रीय स्तर पर 17-18 वर्ष के आयु वर्ग में केवल 77 प्रतिशत लोग कक्षा 2 की किताबें पढ़ सकते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि कोविड महामारी ने शिक्षा को, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, झटका दिया है, लेकिन यह समस्या लंबे समय से बनी हुई थी और इसे आवश्यक बढ़ावा देने के लिए बहुत कम प्रयास किए गए हैं।
उच्च शिक्षा और कौशल आधारित शिक्षा के मानक बहुत बेहतर नहीं हैं। हमारे शैक्षणिक संस्थान स्नातक और स्नातकोत्तर तैयार कर रहे हैं जो योग्यता परीक्षा पास करते हैं, लेकिन रोजगार के लायक नहीं होते हैं क्योंकि उनके पास लगातार विकसित हो रहे नौकरी बाजार के लिए आवश्यक कौशल की कमी होती है। बेहतर उत्पादकता के लिए दूसरा महत्वपूर्ण पहलू कार्यबल के साथ-साथ आबादी के अन्य वर्गों का स्वास्थ्य है। इस क्षेत्र में भी हमारी प्रगति पिछड़ी हुई है और गंभीर ङ्क्षचता का कारण है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण, 2023 से पता चला है कि 57 प्रतिशत महिलाएं और 25 प्रतिशत पुरुष एनीमिया से पीड़ित हैं। इसने यह भी बताया कि 6 से 23 महीने की आयु के केवल 11.3 प्रतिशत बच्चों को न्यूनतम पर्याप्त आहार मिलता है। ये बच्चे अगले 3 से 5 दशकों में मुख्य कार्यबल का गठन करेंगे। अनुमानों के अनुसार, भारत 2030 से प्रत्येक बीतते वर्ष के साथ वृद्ध होना शुरू कर देगा।
योजनाकारों को खराब स्वास्थ्य स्थितियों के साथ कौशल विहीन, वृद्ध होती आबादी के गंभीर मुद्दे से निपटने की आवश्यकता है। दुर्भाग्य से राष्ट्र का ध्यान इन गंभीर मुद्दों पर नहीं लगता है। हम पीछे की ओर खिसकते जा रहे हैं और अपने अतीत को कुरेदने में अधिक रुचि रखते हैं। जबकि अधिकांश अन्य देश आगे की ओर देख रहे हैं और भविष्य के लिए योजना बना रहे हैं, हम अनुत्पादक मुद्दों में उलझे हुए हैं। यदि वे छोटे-मोटे मुद्दों पर झगड़ते रहेंगे और एक मजबूत और विकसित राष्ट्र के लिए ठोस नींव नहीं रखेंगे तो इतिहास निश्चित रूप से वर्तमान राजनीतिक नेताओं का कठोर न्याय करेगा।-विपिन पब्बी