Edited By ,Updated: 08 Dec, 2024 05:41 AM
भारत एक युवा राष्ट्र है, जिसमें 25 वर्ष से कम आयु के 600 मिलियन से अधिक लोग हैं। जनसांख्यिकीय लाभांश युवाओं को प्रमुख चुनौतियों का सामना करने के लिए सशक्त बनाने पर निर्भर करता है, कुछ आभासी और कुछ मूर्त। सोशल मीडिया, एक प्रशंसित लोकतांत्रिक उपकरण और...
भारत एक युवा राष्ट्र है, जिसमें 25 वर्ष से कम आयु के 600 मिलियन से अधिक लोग हैं। जनसांख्यिकीय लाभांश युवाओं को प्रमुख चुनौतियों का सामना करने के लिए सशक्त बनाने पर निर्भर करता है, कुछ आभासी और कुछ मूर्त। सोशल मीडिया, एक प्रशंसित लोकतांत्रिक उपकरण और माता-पिता का अभिशाप है। कैलिफोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूजॉम ने कहा, ‘‘हर माता-पिता जानते हैं कि सोशल मीडिया की लत उनके बच्चों को मानवीय संपर्क से अलग-थलग कर सकती है। बच्चों को तनाव , चिंता, और देर रात तक बर्बाद होने वाले अंतहीन घंटे मिलते हैं।’’
राज्य सीनेटर नैन्सी स्किनर, जिन्होंने कानून लिखा, ने कहा, ‘‘सोशल मीडिया कंपनियों ने अपने प्लेटफॉर्म को उपयोगकत्र्ताओं, विशेष रूप से हमारे बच्चों को आदी बनाने के लिए डिजाइन किया है।’’ केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री, अश्विनी वैष्णव ने 16 नवंबर को अपने राष्ट्रीय प्रैस दिवस के संबोधन के दौरान टिप्पणी की कि डिजिटल प्लेटफॉर्म को चलाने वाले एल्गोरिदम अक्सर ऐसी सामग्री को प्राथमिकता देते हैं जो सनसनीखेज या विभाजनकारी कथाओं को बढ़ाकर जुड़ाव को अधिकतम करती है।
28 नवंबर को, ऑस्ट्रेलियाई संसद ने ऑनलाइन सुरक्षा संशोधन (सोशल मीडिया न्यूनतम आयु) विधेयक 2024 पारित किया, जिसमें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को अपने प्लेटफॉर्म तक पहुंचने से रोकने के उपायों को लागू करने के लिए अनिवार्य किया गया। दुनिया के सबसे सख्त कानून के तहत, जिसे एक साल के भीतर लागू किया जाना है, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बच्चों को पहुंच की अनुमति देने के लिए $32 मिलियन तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने बाद में संवाददाताओं से कहा कि हम चाहते हैं कि हमारे बच्चों का बचपन हो और माता-पिता को पता हो कि हम उनके साथ हैं।
फ्रांस में एक कानून है जिसके तहत 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों द्वारा सोशल मीडिया का उपयोग करने के लिए माता-पिता की सहमति की आवश्यकता होती है, जबकि ब्रिटेन ऑस्ट्रेलिया की पहल का अध्ययन कर रहा है। विज्ञापन फ्रांस यूरोपीय संघ में प्रतिबंध लगाने की वकालत कर रहा है। हालांकि, आयु सत्यापन एक बड़ी चुनौती होगी। यू.के. मीडिया नियामक, ऑफ कॉम द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण से पता चलता है कि 8 से 17 वर्ष की आयु के 22 प्रतिशत बच्चे सोशल मीडिया ऐप पर 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र के होने के बारे में झूठ बोलते हैं।
ऑस्ट्रेलिया अभी भी आयु सत्यापन के लिए उपयोग किए जाने वाले तंत्र का पता लगा रहा है। दूसरी ओर, ऑनलाइन गेमिंग एक बढ़ती हुई चिंता बन गई है। शिक्षा मंत्रालय द्वारा ‘गेमिंग डिसऑर्डर’ के रूप में मान्यता प्राप्त, गेमिंग की लत शैक्षणिक प्रदर्शन और सामाजिक संपर्कों को बाधित करती है, जिससे बच्चों की भलाई को और भी अधिक खतरा होता है। सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 सोशल मीडिया मध्यस्थों पर उचित परिश्रम की बाध्यताएं डालते हैं। इन प्लेटफॉर्म को बच्चों के लिए हानिकारक गैर-कानूनी जानकारी को हटाने की दिशा में तेजी से कार्रवाई करने की आवश्यकता है।
जैसा कि संसद में सुझाव दिया गया है कि संचार और आई.टी. पर स्थायी समिति को इन मुद्दों को संबोधित करने और भारतीय युवाओं और उनके माता-पिता को डिजिटल अभिशाप से बचाने की आवश्यकता है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के राष्ट्रीय औषधि उपचार केंद्र द्वारा 2018 में किए गए राष्ट्रीय सर्वेक्षण से पता चला है कि 18 वर्ष से कम आयु के 1.18 करोड़ युवा नशीली दवाओं के दुरुपयोग से प्रभावित हैं।
माता-पिता अपने बच्चों के साथ दोस्ती का निर्माण करें। ‘भारत मेरा देश है... मैं अपने माता-पिता, शिक्षकों और बड़ों का सम्मान करूंगा...,’ बच्चे स्कूलों में श्री पिडिमर्री वेंकट सुब्बाराव द्वारा लिखित शपथ लेते हैं। जबकि बच्चे अपने माता-पिता और बड़ों का सम्मान करने की शपथ लेते हैं, माता-पिता को अपने बच्चों के साथ बिताए समय की गुणवत्ता पर भी विचार करना चाहिए। क्या वे उनकी समस्याओं को सुनते हैं? क्या वे उनकी सफलताओं का जश्न मनाते हैं? क्या वे अपने अच्छे कामों की प्रशंसा करते हैं? प्रशंसा एक मजबूत रिश्ते की नींव है। जो लोग सराहना करते हैं, उन्हें जरूरत पडऩे पर रचनात्मक आलोचना करने का भी अधिकार है।
आइसलैंड जैसे देशों ने अनिवार्य अभिभावक प्रतिज्ञा लागू की है, जहां माता-पिता अपने बच्चों के साथ गुणवत्तापूर्ण समय बिताने, उनके अच्छे कार्यों की प्रशंसा करने, आवश्यकता पडऩे पर ‘नहीं’ स्वीकार करने और यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि उन्हें पर्याप्त पोषण, नींद और व्यायाम मिले। माता-पिता और बच्चों के बीच मजबूत बंधन को बढ़ावा देकर, माता-पिता अपने बच्चों के साथ गुणवत्तापूर्ण समय बिताने, सकारात्मक कार्यों की सराहना करने और लचीलापन बढ़ाने का संकल्प ले सकते हैं। -श्रीनिवास माधव (साभार द स्टेट्समैन)