Edited By ,Updated: 18 Sep, 2024 05:30 AM
एक समाचार पढ़ कर सभी को प्रसन्नता हुई होगी कि भारत सरकार ने पनबिजली में सर्वाधिक सफलता प्राप्त करने के लिए हिमाचल प्रदेश को सम्मानित किया है। हिमाचल प्रदेश के 70 लाख लोगों और निजी क्षेत्र को बधाई। याद रहे निजी क्षेत्र के सहयोग के बिना यह सफलता...
एक समाचार पढ़ कर सभी को प्रसन्नता हुई होगी कि भारत सरकार ने पनबिजली में सर्वाधिक सफलता प्राप्त करने के लिए हिमाचल प्रदेश को सम्मानित किया है। हिमाचल प्रदेश के 70 लाख लोगों और निजी क्षेत्र को बधाई। याद रहे निजी क्षेत्र के सहयोग के बिना यह सफलता प्राप्त नहीं हो सकती थी। मैं प्रभु का धन्यवाद करता हूं क्योंकि पूरे देश में पनबिजली में निजी क्षेत्र को लाने की पहल 1990 में मेरे नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश ने की थी। 1977 में ही हिमाचल के विकास के लिए साधन जुटाने के लिए हिमाचल के पानी से बिजली पैदा करने का विचार कुछ योग्य अधिकारियों ने मुझे दिया था। मैंने उस समय के प्रधानमंत्री श्री मोरारजी देसाई जी से आग्रह किया कि हिमाचल प्रदेश में पनबिजली के लिए योगदान करे। सरकार के पास धन नहीं है तो निजी क्षेत्र को बुलाने की बात सोची जाए। परन्तु वह युग समाजवाद का था, मेरी बात नहीं सुनी गई।
दूसरी बार 1990 में मुख्यमंत्री बनने पर पहले मंत्रिमण्डल का पहला प्रस्ताव यही था कि हिमाचल प्रदेश पनबिजली में निजी क्षेत्र को आमंत्रित करेगा। जब विधानसभा में यह प्रस्ताव आया तो विपक्ष के नेता ने कहा था-‘इस प्रस्ताव से हिमाचल पूरे भारत में एक मजाक बन जाएगा, कहीं पर भी ऐसे किसी काम में निजी क्षेत्र को कभी नहीं बुलाया गया और न ही बुलाने की योजना है।’ प्रस्ताव पास हो गया फिर मुझे पता लगा कि केन्द्रीय कानून के अनुसार निजी क्षेत्र को कोई योजना नहीं दी जा सकती, बहुत चिन्तित हुआ। दिल्ली गया, श्री अटल जी ने कहा वित्तमंत्री श्री मनमोहन सिंह को मिलो। मुझे आज भी याद है, जब श्री मनमोहन सिंह जी से जाकर मैंने यह बात बताई तो वे खुशी से उछल पड़े और उनके मुंह से निकला- कोई प्रदेश तो है जो मेरे सपने को पूरा कर रहा है। मैंने कहा- केन्द्र के कानून के कारण हम ऐसा नहीं कर सकते। श्री मनमोहन सिंह जी ने कहा कि मैं श्री अटल जी और श्री अडवानी जी से बात कर लूं, वे 15 दिन में केन्द्रीय कानून का संशोधन लोकसभा में पेश कर देंगे।
संशोधन पास हुआ। फिर मैं शिमला में बैठकर निजी क्षेत्र के लोगों से सम्पर्क करने लगा। एक महीने के अन्दर ही श्री जयप्रकाश गौड़ और उनके सहयोगी श्री एस.के. जैन जी मुझे मिले और मेरा धन्यवाद किया और कहने लगे- हम एक परियोजना करने के लिए तैयार हैं। भारत के इतिहास में यह ऐतिहासिक क्षण था। समझौता हुआ और भारत के इतिहास की निजी क्षेत्र की पहली परियोजना वासपा हिमाचल प्रदेश में शुरू हुई। मुझे प्रसन्नता है कि आज पूरा भारत निजी क्षेत्र पनबिजली योजना में आगे बढ़ रहा है परन्तु यह रास्ता आज से लगभग 34 साल पहले हिमाचल ने दिखाया था। मैं उन सभी अधिकारियों का धन्यवाद करता हूं जिन्होंने मुझे सबसे पहले यह विचार दिया और श्री जयप्रकाश गौड़ जी का भी धन्यवाद करता हूं। यह सबसे पहले एक नया इतिहास बनाने के लिए मेरे पास आए थे।-शांता कुमार (पूर्व मुख्यमंत्री हि.प्र. और पूर्व केन्द्रीय मंत्री)