Edited By ,Updated: 01 Oct, 2024 06:05 AM
भारत में अमीरों का पलायन हो रहा है और यह कोई अच्छी बात नहीं है। दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था होने के नाते, अपने व्यापार में सुधार के मामले में, हड़ताल-ग्रस्त केरल ने हाल ही में केंद्र सरकार से सर्वश्रेष्ठ व्यापार सुधारों के लिए पुरस्कार...
भारत में अमीरों का पलायन हो रहा है और यह कोई अच्छी बात नहीं है। दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था होने के नाते, अपने व्यापार में सुधार के मामले में, हड़ताल-ग्रस्त केरल ने हाल ही में केंद्र सरकार से सर्वश्रेष्ठ व्यापार सुधारों के लिए पुरस्कार जीता है। भारत को न केवल अपने अमीरों और प्रतिभाशाली लोगों को बनाए रखना चाहिए, बल्कि दुनिया भर से उद्यमियों को भी अपनी ओर आकॢषत करना चाहिए। यहां कुछ तो गड़बड़ है। भारतीय विदेश में मौज-मस्ती के लिए जगहें हथिया रहे हैं। इस साल जुलाई और अगस्त के बीच, ग्रीस में निर्माणाधीन संपत्तियों सहित रियल एस्टेट की भारतीयों द्वारा खरीद में 37 प्रतिशत की वृद्धि हुई। ये निवेश भारत से बाहर निकलने के रास्ते के रूप में काम आ सकते हैं। ग्रीस में अपेक्षाकृत कम बार के साथ ‘गोल्डन वीजा’ कार्यक्रम है।
ग्रीक संपत्ति में 250,000 यूरो का निवेश करें और आप स्थायी निवास के लिए पात्र होंगे। भारत के अमीर लोगों के लिए यह कोई बड़ी रकम नहीं है। मुंबई, गुडग़ांव और अन्य बड़े शहरों में कई फ्लैटों की कीमत 12.2 करोड़ या उससे अधिक है। लेकिन ग्रीस ने हाल ही में अपने निवास परमिट के लिए निवेश पात्रता को 1 सितम्बर से बढ़ाकर 800,000 यूरो कर दिया है। इसलिए ग्रीस में संपत्ति की खरीद में तेजी आई है। कई लोगों का मानना है कि देश के अमीर लोग तब पलायन करते हैं जब उन्हें भागने के लिए मजबूर किया जाता है। उदाहरण के लिए, जब बैंक उनके और उनकी कम्पनियों के खिलाफ दिवालियापन की कार्रवाई शुरू करते हैं तब लोग भागते हैं। यह सच है कि अमीर भारतीयों ने संस्कृत शब्द वसुधैव कुटुम्बकम, ‘दुनिया एक परिवार है’ को एक नया अर्थ दिया है। लेकिन अपराधी पूंजीपतियों का पलायन ही अमीर भारतीयों की विदेश में बसने की स्पष्ट इच्छा का कारण नहीं है। हेनले प्राइवेट वैल्थ माइग्रेशन रिपोर्ट के 2024 संस्करण में कहा गया है कि 4,300 करोड़पतियों के विदेश में बसने का अनुमान है।
रिपोर्ट में केवल उन प्रवासियों को शामिल किया गया है जो साल में 6 महीने से अधिक समय अपने नए अपनाए गए देश में बिताते हैं और उन करोड़पतियों को शामिल नहीं किया गया है जो भटकने की लत में फंसकर इस विचार को उन देशों में आसान पहुंच पाने के साधन के रूप में अपनाते हैं जो भारतीय पासपोर्ट धारकों के लिए लाल कालीन नहीं बिछाते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत से बाहर जाने वालों की संख्या 2023 की रिपोर्ट के आंकड़े (कुल मिलाकर 800) से कम हैं और दुनिया में करोड़पतियों का सबसे बड़ा प्रवास चीन से हुआ है। चूंकि चीन में 6.2 मिलियन करोड़पति हैं, जबकि भारत की गिनती उस संख्या के छठे हिस्से से भी कम है। ऊपरी तौर पर, चीनियों के पास भारतीयों की तुलना में अपना देश छोडऩे के मजबूत कारण हैं।
चीन के झिंजियांग में जबरन शिविर बनाकर लोगों को शिक्षित करने की नीति ने उस क्षेत्र से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष इनपुट का उपयोग करके अपने उद्योग के बड़े हिस्से को दागदार कर दिया है जिससे चीन को अमरीका और पश्चिम के अन्य देशों द्वारा प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है। भारत में व्यवसायी यह दावा नहीं कर सकते कि उन्हें प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है। फिर भारत के इतने सारे अमीर लोग अपना देश क्यों छोड़ रहे हैं? क्या वे कर के बोझ से बचने के लिए ऐसा कर रहे हैं, जिसके और भारी होने की आशंका है? क्या वे कुछ क्षेत्रों के लिए भारत के संरक्षण के स्तर से निराश हैं? क्या वे देश के राजनीतिक पैटर्न में संभावित आर्थिक नुकसान देखते हैं? या क्या वे ‘चीजों के मौजूदा तरीके’ से व्यापक रूप से निराश हैं? समस्या की पहचान की जानी चाहिए और उसे ठीक किया जाना चाहिए। भारत सबसे गतिशील बेटे और बेटियों को खोने का जोखिम नहीं उठा सकता।