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युवा विदेश जाने के लिए क्यों बेताब रहते हैं

Edited By ,Updated: 20 Feb, 2025 05:27 AM

why are young people so eager to go abroad

अवैध प्रवासियों को हथकड़ी और बेडिय़ों में जकड़कर भारत ले जाए जाने के वीडियो और तस्वीरें देखना दुखद था। उन सभी ने लाखों रुपए खर्च किए थे और अपने सपनों की धरती पर पहुंचने के लिए कठिन यात्रा की थी, लेकिन इस तरह से वापस घर लौट आए।

अवैध प्रवासियों को हथकड़ी और बेडिय़ों में जकड़कर भारत ले जाए जाने के वीडियो और तस्वीरें देखना दुखद था। उन सभी ने लाखों रुपए खर्च किए थे और अपने सपनों की धरती पर पहुंचने के लिए कठिन यात्रा की थी, लेकिन इस तरह से वापस घर लौट आए। अवैध प्रवास का बचाव करना संभव नहीं है, लेकिन यह जीवन की सच्चाई है और यह लम्बे समय से चल रहा है। ऐसे लोगों को पकड़े जाने और वापस भेजे जाने या ट्रैवल एजैंटों द्वारा ठगे जाने की खबरें उन्हें अपनी किस्मत आजमाने से नहीं रोक पाई हैं। 

वास्तव में आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2009 से 15,700 भारतीयों को निर्वासित किया गया है। हालांकि, पहले के निर्वासन पर लगभग किसी का ध्यान नहीं गया था, जबकि इस बार ऐसा लगता है कि संयुक्त राज्य अमरीका ने जानबूझकर इसका दिखावा किया है। इसमें पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा अमृतसर हवाई अड्डे पर अवैध प्रवासियों के साथ अमरीकी सैन्य विमानों के उतरने को लेकर उठाया गया विवाद भी शामिल है। उन्होंने आरोप लगाया है कि यह संकेत देकर कि सभी अवैध अप्रवासी पंजाब से हैं, ‘पंजाब को बदनाम करने का जानबूझकर प्रयास’ किया गया। इस विवाद की कोई आवश्यकता नहीं है। 

इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता है कि यह क्षेत्र और विशेष रूप से पंजाब देश से अवैध प्रवासियों का सबसे बड़ा हिस्सा है। इसके अलावा, वापस लौटने वाले अवैध प्रवासियों का विवरण जिसमें वे किस राज्य से हैं, भी प्रदान किया गया है। इसलिए यह दावा करना कि यह पंजाब को बदनाम करने का जानबूझकर किया गया प्रयास था, बहुत अधिक आधार नहीं रखता है। अमृतसर पश्चिमी देशों से विमानों के लिए भारत में उतरने वाला पहला अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। संयुक्त राज्य अमरीका हमें अवैध प्रवासियों को छोडऩे के लिए अपने हवाई अड्डों का चयन करने की सुविधा क्यों दे रहा है। उन्हें निश्चित रूप से भारत सरकार की सहमति से उन्हें निकटतम हवाई अड्डे पर छोडऩे का अधिकार है। 

भगवंत मान और अन्य लोगों को इस बात पर जोर देने की आवश्यकता थी कि वे सवाल करें कि भारत सरकार ने अपने नागरिकों को वापस लाने के लिए अपने स्वयं के विमान क्यों नहीं भेजे? यह मैक्सिको सहित अन्य देशों द्वारा किया गया है। सरकार को अपने स्वयं के विमान भेजने से किसने रोका? यह विभिन्न स्थानों पर विमान उतार सकती थी और निर्वासित लोगों के अपमान को रोक सकती थी जिन्हें हथकड़ी और बेडिय़ों के बिना लाया जा सकता था।

केन्द्र सरकार ने इस पर कोई बयान नहीं दिया है। यह अभी भी विमान भेज सकती है क्योंकि कई और अवैध प्रवासी निर्वासन की प्रतीक्षा कर रहे हैं। निर्वासन के सार्वजनिक प्रदर्शन ने ट्रैवल एजैंटों की भूमिका पर भी ध्यान केंद्रित किया है जो उचित या अनुचित तरीके से विदेश जाने के इच्छुक लोगों की इच्छा का शोषण करते हैं। ये एजैंट यह दावा करके उन्हें गुमराह करते हैं कि उनके पास यह सुनिश्चित करने के लिए ङ्क्षलक हैं कि सब कुछ कानूनी रूप से किया गया था। पीड़ित, जो ज्यादातर अशिक्षित और अकुशल होते हैं, उनके जाल में फंस जाते हैं। इस बारे में कई कहानियां हैं कि कैसे ये लोग अपनी जमीन या घर बेच देते हैं या अपनी यात्रा के लिए भारी कर्ज लेते हैं। जिस ‘डंकी रूट’ पर उनमें से अधिकांश को रखा जाता है, वह अपने आप में खतरनाक है और कई पीड़ितों की रास्ते में ही मौत हो गई है।

स्पष्ट रूप से न तो केंद्र सरकार और न ही राज्य सरकारों ने अवैध तरीकों से लोगों को भेजने वाले ट्रैवल एजैंटों को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए हैं। ऐसा नहीं है कि ये सरकारें इस बात से अनजान हैं कि क्या हो रहा है। अगर जरूरत हो तो कानून में संशोधन किया जाना चाहिए और ऐसे बेईमान ट्रैवल एजैंटों को कड़ी सजा दी जानी चाहिए। साथ ही सरकार को इस बात की भी जांच करनी चाहिए कि युवा विदेश जाने के लिए क्यों बेताब हैं। जाहिर है कि अवसरों की कमी और भारी बेरोजगारी इसके मुख्य कारण हैं। इन मुद्दों से निपटने और अधिक रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए विशेषज्ञों की मदद लेनी चाहिए।-विपिन पब्बी
 

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