यूरोपियन यूनियन ‘गूगल’ को लेकर परेशान क्यों

Edited By Pardeep,Updated: 25 Jul, 2018 03:32 AM

why bother about the european union google

यूरोपियन कमीशन द्वारा गत सप्ताह गूगल पर लगाया गया 4.3 अरब यूरो (लगभग 3.47 खरब रुपए) का जुर्माना सम्भवत: टैक्रोलॉजी कम्पनी को कोई वित्तीय चोट नहीं पहुंचाएगा, जिसके पास एक खरब डालर से अधिक नकदी संग्रह है, लेकिन इससे उन तरीकों में बदलाव आ सकता है, जिस...

यूरोपियन कमीशन द्वारा गत सप्ताह गूगल पर लगाया गया 4.3 अरब यूरो (लगभग 3.47 खरब रुपए) का जुर्माना सम्भवत: टैक्रोलॉजी कम्पनी को कोई वित्तीय चोट नहीं पहुंचाएगा, जिसके पास एक खरब डालर से अधिक नकदी संग्रह है, लेकिन इससे उन तरीकों में बदलाव आ सकता है, जिस तरह से एंड्रायड ईको सिस्टम कार्य करता है तथा गूगल के खिलाफ विश्वासरोधी मामलों के लिए एक मिसाल बनेगा। 

यूरोपियन यूनियन के विश्वासरोधी प्रमुख मारर्गेथ वेस्टाजर ने बताया कि गूगल ने यह सुनिश्चित करने के लिए एंड्रायड डिवाइस निर्माताओं तथा नैटवर्क आप्रेटरों पर 3 तरह के प्रतिबंध लगा रखे थे कि एंड्रायड डिवाइसिज पर सारा आवागमन गूगल सर्च इंजन को जाए। पहला, डिवाइस निर्माताओं को गूगल के प्ले स्टोर का लाइसैंस देने के लिए पहले गूगल सर्च एप तथा क्रोम ब्राऊजर लोड करने की शर्त। परिणामस्वरूप गूगल सर्च तथा क्रोम व्यावहारिक तौर पर बेचे गए सभी एंड्रायड डिवाइसिज पर इंस्टाल किया गया था। 

आयोग ने कहा कि प्री-इंस्टालेशन यथास्थिति को पक्षपाती बना सकती है, इसका सबूत है कि गूगल सर्च एप एंड्रायड डिवाइसिज पर लगातार इस्तेमाल किया जाता है जहां यह पहले से ही इंस्टाल है, बजाय विंडोस मोबाइल डिवाइसिज के, जहां इसे इस्तेमालकत्र्ताओं को डाऊनलोड करना पड़ता है। इससे यह भी पता चलता है कि इस्तेमालकत्र्ता अधिक संख्या में प्रतिस्पर्धी एप डाऊनलोड नहीं करते, जिससे प्री-इंस्टालेशन के माध्यम से महत्वपूर्ण वाणिज्यिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। दूसरा, आयोग ने बताया कि गूगल ने इस शर्त पर कुछ बड़े डिवाइस निर्माताओं के साथ-साथ मोबाइल नैटवर्क आप्रेटर्स को उल्लेखनीय वित्तीय प्रोत्साहन दिए कि वे विशेष तौर पर एंड्रायड डिवाइसिज के अपने सम्पूर्ण पोर्टफोलियो पर पहले गूगल सर्च इंस्टाल करेंगे। इससे पहले से ही इंस्टाल प्रतिस्पर्धी सर्च एप्स के लिए उनके वित्तीय प्रोत्साहनों में काफी कमी आई। हालांकि आयोग ने बताया कि गूगल ने यह प्रथा 2014 तक समाप्त कर दी। 

तीसरा, विश्वासरोधी इकाई ने बताया कि गूगल ने अपने प्रोप्राइटरी एप्स को पहले से इंस्टाल करने के लिए एंड्रायड के ‘फोक्र्ड’ (अधिक शाखाओं वाले) संस्करण की इजाजत नहीं दी जिनमें गूगल सर्च तथा प्ले स्टोर शामिल हैं। एंड्रायड एप एक ओपनसोर्स आप्रेटिंग सिस्टम होने के नाते जब भी कोई नया संस्करण जारी किया जाता है, इसका कोड गूगल ऑनलाइन द्वारा प्रकाशित किया जाता है। इस सोर्स कोड के आधार पर डिवैल्पर्स अपने खुद के संस्करण तैयार करते हैं, जिनमें से बहुतों के लिए गूगल से आज्ञा भी नहीं ली जाती। विश्वासरोधी इकाई ने बताया कि गूगल के व्यवहार ने कई बड़े निर्माताओं को अमेजन के ‘फायर ओ.एस.’ नामक एंड्रायड फोर्क पर आधारित डिवाइसिज विकसित करने तथा बेचने से रोक दिया।

जून 2017 में यूरोपियन यूनियन ने गूगल पर सर्च प्लेटफार्म पर अपनी सेवाओं को प्राथमिकता देने का दबाव बनाने के लिए 2.42 अरब यूरो (लगभग 1.95 खरब रुपए) का जुर्माना लगाया, जिससे अन्य सेवा प्रदाताओं को अपने आप लाभ मिला। घरेलू स्तर पर, भारत के प्रतिस्पर्धा आयोग ने भारतीय ऑनलाइन सर्च बाजार में अनुचित व्यापारिक गतिविधियों के लिए फरवरी में गूगल पर 136 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था। गूगल की अपील पर द नैशनल कम्पनी लॉ एपिलेट ट्रिब्यूनल ने निर्णय पर स्थगन लगा दिया मगर उसे जुर्माने का 10 प्रतिशत चुकाने के लिए कहा। अब इस मामले की सुनवाई ट्रिब्यूनल द्वारा 27 जुलाई को की जाएगी। यूरोपियन यूनियन ने गूगल की ऑनलाइन सर्च मार्कीट में प्रभुत्वशाली स्थिति के दुरुपयोग के खिलाफ अपनी विश्वासरोधी जांच की घोषणा नवम्बर 2010 में की थी, जो 2013 में शुरू हुई। यूरोपियन यूनियन संसद ने यहां तक कि गैर-बाध्यकारी तरीके से गूगल को तोडऩे या खत्म करने के लिए मतदान भी किया। 

अमरीका में पहले 1998 में ही एक बड़ा विश्वासरोधी मामला दर्ज किया गया था, जिसमें डिवाइसिज पर पहले से ही इंस्टाल साफ्टवेयर शामिल थे, जब न्याय विभाग ने इस मामले में माइक्रोसाफ्ट के खिलाफ प्रभुत्वशाली स्थिति का दुरुपयोग करने के लिए मामला दर्ज किया कि कम्पनी कम्प्यूटर डिवाइसिज पर लोड अपने विंडोज आप्रेटिंग सिस्टम के साथ अपना ब्राऊजर इंटरनैट एक्सप्लोरर मुफ्त में दे रही है। इसने नैटस्केप सहित कई प्रतिस्पर्धियों को चोट पहुंचाई तथा माइक्रोसाफ्ट के लिए एकाधिकार स्थापित कर दिया। न्याय विभाग का निर्णय माइक्रोसाफ्ट के खिलाफ गया तथा समय के साथ गूगल सहित अन्य कम्पनियों के लिए मार्ग प्रशस्त किया कि वे ब्राऊजर बाजार में खुद को स्थापित कर सकें। 

कैलीफोर्निया स्थित रिसर्च फर्म सी.सी.एस. इनसाइट के समीक्षक ज्योफ ब्लेबर ने इस सारी कार्रवाई पर टिप्पणी करते हुए कहा कि घोड़े के भाग जाने के बाद आयोग अस्तबल का दरवाजा बंद कर रहा है। इसके साथ ही एंड्रायड का कोई स्पष्ट विकल्प भी नहीं है। यदि आयोग 5 वर्ष पहले दृढ़निश्चय दिखाता तो अन्य के लिए अवसर के दरवाजे खुल जाते। ब्लेबर ने इस बात पर भी जोर देते हुए कहा कि यदि गूगल एंड्रायड के फोक्र्ड संस्करणों की इजाजत देता है तो इससे उपभोक्ताओं को खराब अनुभव होगा। जिस तरह से आप्रेटिंग सिस्टम्स डिजाइन किए जा रहे हैं और अपने बेसिक एप्स उपलब्ध करवा रहे हैं, उस पर कड़े मानदंडों का एक मिश्रण बनाए रखने से गूगल एंड्रायड इस्तेमालकत्र्ताओं का अनुभव नियंत्रित करने में सक्षम बनी हुई है।-पी. मुकुल

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