आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार क्यों आवश्यक

Edited By ,Updated: 07 Jul, 2024 05:43 AM

why criminal justice needs reform

1 जुलाई से देश में लागू हो चुके 3 नए आपराधिक कानून चर्चा का केन्द्र बिन्दू हैं। तीन नए आपराधिक कानून-भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 25 दिसंबर 2023 को अधिसूचित किए गए थे।

1 जुलाई से देश में लागू हो चुके 3 नए आपराधिक कानून चर्चा का केन्द्र बिन्दू हैं। तीन नए आपराधिक कानून-भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 25 दिसंबर 2023 को अधिसूचित किए गए थे। इन कानूनों को भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लाया गया है। कहा जा रहा है कि इससे भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में व्यापक बदलाव आएंगे। इसके लागू हो जाने से ‘जीरो एफ.आई.आर.’, पुलिस में ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराना, ‘एस.एम.एस.’ (मोबाइल फोन पर संदेश) के जरिए सम्मन भेजने जैसे इलैक्ट्रॉनिक माध्यम के तहत लोगों को सहूलियत दी गई है। 

सभी जघन्य अपराधों के वारदात स्थल की वीडियोग्राफी जरूरी जैसे प्रावधान नए कानून में शामिल हैं। नए कानूनों के तहत आपराधिक मामलों में फैसला मुकद्दमा पूरा होने के 45 दिन के अंदर आएगा। पहली सुनवाई के 60 दिन के भीतर आरोप तय कर दिए जाएंगे। दुष्कर्म पीड़िताओं का बयान कोई महिला पुलिस अधिकारी ही लेगी, साथ ही उसके अभिभावक या रिश्तेदार की मौजूदगी में बयान दर्ज किया जाएगा। मैडीकल रिपोर्ट 7 दिन के अंदर देनी होगी। नए कानूनों में संगठित अपराधों और आतंकवाद के कृत्यों को परिभाषित किया गया है। राजद्रोह की जगह देशद्रोह लाया गया है। सभी तलाशी तथा जब्ती की कार्रवाई की वीडियोग्राफी होगी जो जरूरी है। महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर एक नया अध्याय जोड़ा गया है। किसी बच्चे को खरीदना और बेचना जघन्य अपराध की श्रेणी में आएगा। किसी नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म के लिए मृत्युदंड या उम्रकैद का प्रावधान नए कानून में जोड़ा गया है। 

नए कानूनों के तहत अब कोई भी व्यक्ति पुलिस थाना गए बिना इलैक्ट्रॉनिक संचार माध्यम से घटना की रिपोर्ट दर्ज कराने में सक्षम है। इससे मामला दर्ज कराना आसान और तेज हो जाएगा। पुलिस द्वारा फौरी कार्रवाई की जा सकेगी। ‘जीरो एफ.आई.आर.’ से अब कोई भी व्यक्ति किसी भी पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज करा सकता है, भले ही अपराध उसके अधिकार क्षेत्र में न हुआ हो। नए कानून में गिरफ्तारी की सूरत में व्यक्ति को अपनी पसंद के किसी व्यक्ति को अपनी स्थिति के बारे में सूचित करने का अधिकार दिया गया है। इससे गिरफ्तार व्यक्ति को तुरंत सहयोग प्राप्त होगा। नए कानूनों में महिलाओं व बच्चों के खिलाफ अपराधों की जांच को प्राथमिकता दी गई है। इससे मामला दर्ज किए जाने के 2 महीने के अंदर जांच पूरी की जाएगी। 

नए कानूनों के तहत पीड़ितों को 90 दिन के भीतर अपने मामले की प्रगति पर नियमित रूप से जानकारी पाने का अधिकार होगा। नए कानूनों में, महिलाओं व बच्चों के साथ होने वाले अपराध पीड़ितों को सभी अस्पतालों में नि:शुल्क प्राथमिक उपचार या इलाज मुहैया कराया जाएगा। आरोपी तथा पीड़ित दोनों को अब प्राथमिकी, पुलिस रिपोर्ट, आरोपपत्र, बयान, स्वीकारोक्ति और अन्य दस्तावेज 14 दिन के भीतर पाने का अधिकार होगा। अदालतें वक्त रहते न्याय देने के लिए मामले की सुनवाई में अनावश्यक विलंब से बचने के वास्ते अधिकतम 2 बार मुकद्दमे की सुनवाई स्थगित कर सकती हैं। नए कानूनों में सभी राज्य सरकारों के लिए गवाह सुरक्षा योजना लागू करना जरूरी है। 

अपराध प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code 1973) की जगह लाए जा रहे भारतीय नागरिक सुरक्षा कानून में गिरफ्तारी या अदालत में पेश करते समय कैदी को हथकड़ी लगाने का प्रावधान किया गया है। इस नियम के मुताबिक अगर कोई कैदी आदतन अपराधी है या पहले हिरासत से भाग चुका है या आतंकी गतिविधियों में शामिल रहा है, ड्रग्स से जुड़ा अपराधी हो, हत्या, रेप, एसिड अटैक, मानव तस्करी, बच्चों का यौन शोषण में शामिल रहा हो तो ऐसे कैदी को हथकड़ी लगाकर गिरफ्तार किया जा सकता है। अब तक के आपराधिक कानून में हथकड़ी लगाने पर उसका कारण बताना जरूरी था। इसके लिए मैजिस्ट्रेट से इजाजत भी लेनी होती थी। साल 1980 में प्रेम शंकर शुक्ला बनाम दिल्ली सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हथकड़ी के इस्तेमाल को अनुच्छेद 21 के तहत असंवैधानिक करार दिया था। कोर्ट ने कहा था कि अगर हथकड़ी लगाने की जरूरत है तो मैजिस्ट्रेट से इसकी इजाजत लेनी होगी। 

आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 के अनुसार, न्यायिक प्रणाली  में (विशेष रूप से जिला एवं अधीनस्थ न्यायालयों में) लगभग 3.5 करोड़ मामले लंबित हैं, और अब यह आंकड़ा बहुत अधिक हो चुका है। अंडरट्रायल मामलों में भारत, दुनिया के सबसे अधिक अंडरट्रायल कैदियों की संख्या वाला देश है। एन.सी.आर.बी.-प्रिजन स्टैटिस्टिक्स इंडिया के एक पुराने अनुमान के अनुसार, जेलों में बंद कुल जनसंख्या का 67.2 प्रतिशत अंडरट्रायल कैदी हैं। अब इस संख्या में भी अच्छी-खासी वृद्धि हो चुकी है। ऐसे अनेक कारणों से आपराधिक कानूनों में न्यायिक सुधार देश हित में है।एक बात तो तय है कि नए कानूनों से एक आधुनिक न्याय प्रणाली स्थापित होगी। इसका उद्देश्य आपराधिक न्याय प्रणाली के सभी केन्द्रों के बीच आसानी से सूचना का आदान-प्रदान सुनिश्चित कर एक ताकतवर और प्रभावी आपराधिक न्याय प्रणाली स्थापित करना है। 

विदित हो कि देश के बहुमुखी विकास के लिए आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार अति आवश्यक है, जिसकी एक लंबे समय से अनदेखी की जा रही थी। क्या ऐसा लगता है  कि आपराधिक न्याय प्रणाली में वर्तमान सुधार से अपराधों पर अंकुश लगाने के साथ-साथ देश के नागरिकों में सुरक्षा की भावना भी मजबूत होगी?-डा. वरिन्द्र भाटिया
    

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!