Edited By ,Updated: 12 Mar, 2025 05:38 AM

टैरिफ की धमकियों के बीच वाशिंगटन में फरवरी में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मुलाकात की, तब भारत ने अमरीका से अधिक तेल और प्राकृतिक गैस खरीदने की प्रतिबद्धता जताई थी। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि भारत की...
टैरिफ की धमकियों के बीच वाशिंगटन में फरवरी में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मुलाकात की, तब भारत ने अमरीका से अधिक तेल और प्राकृतिक गैस खरीदने की प्रतिबद्धता जताई थी। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि भारत की अमरीका से ऊर्जा खरीद पिछले साल के 15 बिलियन डालर से बढ़कर निकट भविष्य में 25 बिलियन डालर हो सकती है। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता है। एक ऐसे देश के लिए जो अपनी 85 प्रतिशत से अधिक कच्चे तेल की आवश्यकताओं के लिए आयात पर निर्भर करता है, हाइड्रोकार्बन आपूर्ति को सुरक्षित करने के लिए कोई भी कदम महत्वपूर्ण है।
भारत ने अमरीका से तेल और गैस की खरीद बढ़ाने का वादा किया है, जो ऊर्जा संबंधों को मजबूत करेगा और अगले 5 वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करके 500 बिलियन डालर तक पहुंचाने में भी कुछ हद तक मदद करेगा। वर्तमान में, द्विपक्षीय व्यापार भारत के पक्ष में है। अमरीका के व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय के आंकड़े बताते हैं कि भारत के साथ माल व्यापार घाटा 2024 में 45.7 बिलियन डालर था, जो 2023 से 5.4 प्रतिशत वृद्धि है। भारत ने 2023-24 में कुल 234.26 मिलियन टन कच्चे तेल का आयात किया। पिछले वित्त वर्ष में 87.4 प्रतिशत के मुकाबले आयात निर्भरता 87.8 प्रतिशत हो गई। घरेलू उत्पादन आवश्यकता के 13 प्रतिशत से कम है, घरेलू कच्चे तेल का उत्पादन पिछले वित्त वर्ष (2023-24) में 29.36 मिलियन टन पर लगभग अपरिवर्तित रहा। 2023-24 में आयात बिल कम अंतर्राष्ट्रीय दरों के कारण साल-दर-साल घटकर 133.37 बिलियन डालर हो गया।
2022-23 में तेल आयात बिल 157.53 बिलियन डालर था। इसके अतिरिक्त, भारत ने एल.पी.जी., ईंधन तेल और पेटकोक जैसे 48.69 मिलियन टन पैट्रोलियम उत्पादों के आयात पर 22.93 बिलियन डालर खर्च किए। भारत एल.एन.जी. का भी आयात करता है। 2023-24 में, देश ने 13.405 बिलियन डॉलर में 31.80 बिलियन क्यूबिक मीटर (बी.सी.एम.) का आयात किया। पैट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने एक रिपोर्ट में कहा कि पिछले वित्त वर्ष में गैस का आयात 17.11 बिलियन डालर में 26.30 बी.सी.एम. था, जिसमें यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के मद्देनजर 2022-23 के मूल्य झटके का हवाला दिया गया था।
हाल के वर्षों में, अमरीका भारत को एल.एन.जी. के सबसे बड़े आपूर्तिकत्र्ताओं में से एक के रूप में उभरा है। यदि रूस के खिलाफ युद्ध-संबंधी प्रतिबंध हटा दिए जाते हैं, तो यूरोप फिर से रूस से प्राकृतिक गैस प्राप्त करना शुरू कर सकता है, जिससे अमरीका अन्य मौजूदा ग्राहकों को आपूर्ति बढ़ाने और नए बाजारों की तलाश करने के प्रयासों को तेज कर देगा। तेल की आपूर्ति में वृद्धि ने वैश्विक बाजारों में अनुकूल परिस्थितियां पैदा की हैं। पश्चिमी गोलार्ध से नए तेल स्रोतों का उदय, जिसमें ब्राजील, अर्जेंटीना, सूरीनाम, कनाडा, अमरीका और गुआना शामिल हैं, भारत जैसे प्रमुख उपभोक्ता देशों के लिए फायदेमंद साबित होने वाला है।
भारत, जो परंपरागत रूप से पश्चिम एशिया से तेल प्राप्त करता रहा है, ने यूक्रेन पर आक्रमण के बाद रूस से बड़ी मात्रा में तेल आयात करना शुरू कर दिया। इसके कारण भारत के रूसी तेल आयात में नाटकीय वृद्धि देखी गई, जो कि थोड़े समय में ही उसके कुल कच्चे तेल आयात के 1 प्रतिशत से बढ़कर 40 प्रतिशत हो गया। आई.ई.ए. ने अपनी इंडिया गैस मार्कीट रिपोर्ट ‘आऊटलुक टू 2030’ में कहा है कि देश की गैस खपत दशक के अंत तक सालाना 103 बी.सी.एम. तक पहुंच जाएगी। धीमी वृद्धि और समय-समय पर गिरावट के एक दशक से उभरकर, देश की प्राकृतिक गैस की मांग 2023 और 2024 दोनों में 10 प्रतिशत से अधिक बढ़ गई है, जो एक महत्वपूर्ण मोड़ का संकेत है।-एन. रवि कुमार