mahakumb

परीक्षाओं में अंकों की होड़ क्यों?

Edited By ,Updated: 07 Feb, 2025 06:09 AM

why the competition for marks in exams

देश में वार्षिक परीक्षाएं छात्रों के भविष्य को निर्धारित करने का प्रमुख माध्यम हैं। लेकिन हाल के वर्षों के दौरान, शिक्षा का मूल उद्देश्य ज्ञान अर्जन से हटकर केवल उच्च अंक प्राप्त करने तक ही सीमित होता जा रहा है। खासकर देहाती क्षेत्रों के विद्यार्थी...

देश में वार्षिक परीक्षाएं छात्रों के भविष्य को निर्धारित करने का प्रमुख माध्यम हैं। लेकिन हाल के वर्षों के दौरान, शिक्षा का मूल उद्देश्य ज्ञान अर्जन से हटकर केवल उच्च अंक प्राप्त करने तक ही सीमित होता जा रहा है। खासकर देहाती क्षेत्रों के विद्यार्थी अब नियमित कक्षाओं में पढऩे की बजाय कोचिंग सैंटरों पर अधिक निर्भर होते जा रहे हैं, क्योंकि वहां कम समय में अधिक अंक प्राप्त करने के आसान तरीके बताए जाते हैं। यह प्रवृत्ति न केवल शिक्षा प्रणाली को प्रभावित कर रही है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों के समग्र विकास के लिए भी एक चुनौती बनती जा रही है। इसके पीछे शिक्षा प्रणाली की कई खामियां जिम्मेदार मानी जा सकती हैं। इनमें अहम हैं ग्रामीण स्कूलों में शिक्षकों की कमी, कमजोर आधारभूत संरचना और अपर्याप्त शिक्षण सामग्री के कारण विद्यार्थी नियमित कक्षाओं में रुचि नहीं लेते। 

इसके अलावा कोचिंग संस्कृति का प्रभाव इतना बढ़ गया है कि छात्रों को लगता है कि विद्यालय में पढऩे की तुलना में कोचिंग सैंटरों में परीक्षा के लिए विशेष तरीके सिखाए जाते हैं, जिससे वे कम समय में अधिक अंक प्राप्त कर सकते हैं। इतना ही नहीं, गांव के भोले-भाले युवकों को लुभाने की मंशा से कई कोचिंग सैंटर यह दावा भी करते हैं कि वे छात्रों को परीक्षा में अधिक अंक दिलाने में मदद करेंगे। ऐसे में यदि शिक्षक भी उदासीन रवैया अपनाना शुरू कर दें तो वह आग में घी का काम करता है। आज से कुछ वर्ष पूर्व ‘थ्री इडियट्स’ फिल्म में भी यह दिखाया गया था कि अधिक अंकों की होड़ का छात्रों पर काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जबकि होना यह चाहिए कि हर नौजवान को अपने दिल की आवाज सुनकर अपनी जिंदगी की राह तय करनी चाहिए, जिससे खुशी भी होती है और सही मायने में सफलता भी मिलती है। केवल ज्यादा पैसे कमाने के लिए बिना समझे रट्टा मारने वाले कोल्हू के बैल ही होते हैं। जिनकी जिंदगी में रस नहीं आ पाता। 

दूसरी तरफ इंजीनियरिंग की डिग्री की भूख इस कदर बढ़ गई है कि एक-एक शहर में दर्जनों प्राईवेट इंजीनियरिंग  कॉलेज खुलते जा रहे हैं, जिनमें दाखिले का आधार योग्यता नहीं, मोटी रकम होता है। इन कॉलेजों में योग्य शिक्षकों और संसाधनों की भारी कमी रहती है। फिर भी ये छात्रों से भारी रकम फीस में लेते हैं। बेचारे छात्र अधिकतर ऐसे परिवारों से होते हैं, जिनके लिए यह फीस देना जिंदगी भर की कमाई को दाव पर लगा देना होता है। इतना रुपया खर्च करके भी जो डिग्री मिलती है उसकी बाजार में कीमत कुछ भी नहीं होती। तब उस युवा को पता चलता है कि इतना रुपया लगाकर भी उसने दी गई फीस के ब्याज के बराबर भी पैसे की नौकरी नहीं पाई। तब उनमें हताशा आती है।

आज हालत यह है कि एम.बी.ए. की डिग्री प्राप्त लड़के साडिय़ों की दुकानों पर सेल्समैन का काम कर रहे हैं। समय और पैसे का इससे बड़ा दुरुपयोग और क्या हो सकता है।ऊपर से कोचिंग सैंटरों की बढ़ती फीस ग्रामीण और आॢथक रूप से कमजोर छात्रों के लिए एक अतिरिक्त बोझ बन रही है। सोचने वाली बात यह है कि जब छात्र स्कूल की पढ़ाई को महत्व नहीं देते, तो विद्यालयों की गुणवत्ता और भी गिरती जाती है। इससे शिक्षा प्रणाली कमजोर होती है। वहीं परीक्षा में अच्छे अंक पाने के दबाव में कई छात्र नकल और अन्य अनुचित तरीकों का सहारा भी लेने लगते हैं।

ऐसे में विद्यालयों की शिक्षा और गुणवत्ता में सुधार की बहुत जरूरत है। सभी ग्रामीण स्कूलों में शिक्षकों की जवाबदेही तय और विद्यालयों में शिक्षण सामग्री व संसाधनों को बेहतर किया जाना चाहिए। यदि सरकार विद्यालयों में परीक्षा की अच्छी तैयारी के लिए विशेष कक्षाएं संचालित करेगी तो विद्यार्थियों को कोचिंग सैंटर जाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। परीक्षाओं को केवल अंकों के आधार पर तय करने की बजाय, प्रायोगिक ज्ञान, परियोजना कार्य और गतिविधि-आधारित मूल्यांकन को बढ़ावा देना चाहिए।

शिक्षकों को इस बात पर विशेष जोर देना चाहिए कि उन्हें विद्याॢथयों को अंकों की होड़ में धकेलने की बजाय, उन्हें वास्तविक ज्ञान अर्जित करने और रचनात्मकता विकसित करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। यदि शिक्षा प्रणाली को अधिक प्रभावी और समावेशी नहीं बनाया गया, तो यह प्रवृत्ति शिक्षा के व्यवसायीकरण को और अधिक बढ़ावा देगी। आवश्यक है कि विद्यालयों में गुणवत्ता सुधार के साथ-साथ परीक्षाओं में सफलता का मूल्यांकन केवल अंकों के आधार पर न किया जाए, बल्कि छात्रों की संपूर्ण योग्यता और कौशल को ध्यान में रखा जाए। जब शिक्षा का असली उद्देश्य ज्ञानार्जन बनेगा, तभी समाज का वास्तविक विकास संभव होगा।-रजनीश कपूर 

Related Story

    Trending Topics

    Afghanistan

    134/10

    20.0

    India

    181/8

    20.0

    India win by 47 runs

    RR 6.70
    img title
    img title

    Be on the top of everything happening around the world.

    Try Premium Service.

    Subscribe Now!