नए सी.एम. के फैसले का पालन करेंगे एकनाथ शिंदे?

Edited By ,Updated: 30 Nov, 2024 05:54 AM

will eknath shinde follow the decision of the new cm

शिवसेना चाहती थी कि एकनाथ शिंदे को फिर से सी.एम. बनाया जाए या उन्हें अढ़ाई साल का कार्यकाल दिया जाए। हालांकि, भाजपा ने इसे खारिज कर दिया जिसके बाद उन्होंने औपचारिक रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को बताया कि वह नए...

शिवसेना चाहती थी कि एकनाथ शिंदे को फिर से सी.एम. बनाया जाए या उन्हें अढ़ाई साल का कार्यकाल दिया जाए। हालांकि, भाजपा ने इसे खारिज कर दिया जिसके बाद उन्होंने औपचारिक रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को बताया कि वह नए सी.एम. के उनके फैसले का पालन करेंगे। जबकि शिवसेना ने संकेत दिया कि वह नई व्यवस्था में डिप्टी के तौर पर काम नहीं करेगी। सूत्रों के मुताबिक, भाजपा मुख्यमंत्री पद की भरपाई के लिए एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना को 3 बड़े विभागों सहित महाराष्ट्र के 12 कैबिनेट पद दे सकती है। महायुति गठबंधन में तीसरी पार्टी अजित पवार के नेतृत्व वाली एन.सी.पी. को वित्त विभाग सहित कैबिनेट में 9 सीटें मिल सकती हैं। 

महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री सहित अधिकतम 43 मंत्री हो सकते हैं और भाजपा द्वारा आधे पद अपने पास रखने की संभावना है। जबकि भाजपा नेता देवेंद्र फडऩवीस, एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने गुरुवार को गृहमंत्री अमित शाह के आवास पर भाजपा के शीर्ष नेताओं से मुलाकात की। नेताओं ने मुख्यमंत्री पद, कैबिनेट में जगह और शपथ ग्रहण समारोह पर चर्चा की। सूत्रों के अनुसार महाराष्ट्र के सी.एम. के लिए फडऩवीस के नाम को मंजूरी दे दी गई। टी.एम.सी. का नजरिया भी अलग :कांग्रेस के दृष्टिकोण के विपरीत, जो लगातार उद्योगपति गौतम अडानी के समूह पर संयुक्त राज्य अमरीका में धोखाधड़ी और रिश्वतखोरी के आरोपों का मुद्दा उठा रही है, टी.एम.सी ने कहा है कि वह लोगों से जुड़े मुद्दों पर अपना जोर जारी रखेगी। टी.एम.सी. नेतृत्व ने उन मुद्दों की पहचान की है, जिन पर वह संसद के दोनों सदनों में चर्चा करना चाहती है। 

ये मुद्दे हैं महंगाई, बेरोजगारी, मणिपुर में तनावपूर्ण स्थिति और पश्चिम बंगाल को कथित तौर पर केंद्रीय धन से वंचित करना। टी.एम.सी. राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष के ‘इंडिया’ ब्लॉक का घटक होने के बावजूद चुनावी तौर पर समूह के साथ सांझेदारी नहीं करती है। इसने कहा है कि भले ही वह ब्लॉक का हिस्सा बनी हुई है, लेकिन उसका नजरिया भी अलग है।

राजस्थान में कांग्रेस की जीत एक बड़ा सबक और झटका : राजस्थान में 7 विधानसभा उप-चुनावों में से सिर्फ एक में कांग्रेस की जीत एक बड़ा सबक और झटका है, जिसका दोष पार्टी के ‘इंडिया’ ब्लॉक के तहत संयुक्त उम्मीदवार उतारने की बजाय अकेले चुनाव लडऩे के फैसले पर लगाया जा रहा है। उप-चुनाव में कांग्रेस ने दौसा सीट तो बरकरार रखी, लेकिन पिछले साल विधानसभा चुनाव में जीती गई 3 अन्य सीटें उसके हाथ से निकल गईं। 

इससे 200 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस की ताकत घटकर 66 रह गई है। इस खराब प्रदर्शन का ठीकरा मुख्य रूप से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा पर फूटेगा। अब डोटासरा का कार्यकाल समाप्त होने के बाद उनकी जगह कौन लेगा, यह तय नहीं है। सूत्रों के अनुसार, पार्टी आगामी फेरबदल में सचिन पायलट को राजस्थान का पी.सी.सी. प्रमुख नियुक्त कर सकती है।

झारखंड में डबल इंजन की कहानी पर लगी ब्रेक : डबल इंजन की कहानी को आगे बढ़ाने के लिए भाजपा के जोरदार प्रयास के बावजूद, पार्टी झारखंड के मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने में विफल रही। हालांकि, पार्टी के पास 3 आदिवासी पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा, बाबूलाल मरांडी और चंपई सोरेन हैं। भाजपा के चुनाव अभियान का नेतृत्व असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कुशलतापूर्वक किया। 

दूसरी ओर, ‘इंडिया’  ब्लॉक के 2 प्रमुख चेहरे हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन थे। कल्पना सोरेन इस चुनाव में प्रमुख नेता के रूप में उभरीं। हेमंत सोरेन ने खुद को गठबंधन के नेता के रूप में प्रभावी रूप से स्थापित किया। संथाल परगना क्षेत्र में बंगलादेशी घुसपैठ की भाजपा की बयानबाजी असफल रही और अनुसूचित जनजाति के मतदाताओं को अपने पक्ष में एकजुट करने में विफल रही, जिसके कारण भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एन.डी.ए.)ने राज्य भर में 28 एस.टी.-आरक्षित सीटों में से 27 सीटों पर चुनाव लड़ा। इस बीच, राज्य में भाजपा की करारी हार के बाद राष्ट्रीय संगठन महासचिव बी.एल. संतोष ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा समेत चुनाव प्रभारियों से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। हार के कारण भाजपा के भीतर महत्वपूर्ण संगठनात्मक बदलावों की अटकलें लगाई जा रही हैं। सूत्रों के मुताबिक, पार्टी के नेतृत्व में नई जान फूंकने के लिए प्रदेश अध्यक्ष को बदला जा सकता है। 

ओडिशा में कांग्रेस  द्वारा नेतृत्व और संगठनात्मक सुधारों पर चर्चा शुरू : 2024 के चुनावों में पार्टी के खराब प्रदर्शन के मद्देनजर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (ए.आई.सी.सी.) द्वारा ओडिशा प्रदेश कांग्रेस कमेटी (ओ.पी.सी.सी.) को भंग करने के 4 महीने बाद, कांग्रेस ने राज्य इकाई को पुनर्जीवित करने के लिए नेतृत्व और संगठनात्मक सुधारों पर चर्चा शुरू कर दी है। कांग्रेस राज्य में पार्टी को फिर से जीवंत करने के लिए एक नए चेहरे पर ध्यान केंद्रित कर रही है। वरिष्ठ नेता, जिनमें से कइयों को वर्षों से कई नेतृत्व भूमिकाएं दी गई हैं, चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन में उल्लेखनीय सुधार करने में असमर्थ रहे हैं। कांग्रेस में काफी चर्चा है कि मीनाक्षी नटराजन को ए.आई.सी.सी. महासचिव के रूप में पदोन्नत किया जाएगा और उन्हें ओडिशा कांग्रेस के प्रभारी की जिम्मेदारी दी जाएगी। प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीकांत जेना और कोरापुट के सांसद सप्तगिरि उलाका के नाम सबसे आगे चल रहे हैं।-राहिल नोरा चोपड़ा
 

Related Story

    Trending Topics

    Afghanistan

    134/10

    20.0

    India

    181/8

    20.0

    India win by 47 runs

    RR 6.70
    img title
    img title

    Be on the top of everything happening around the world.

    Try Premium Service.

    Subscribe Now!