Edited By ,Updated: 20 Dec, 2024 05:37 AM
सितंबर में भारत इंडो पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (आई.पी.ई.एफ.) के फेयर इकोनॉमी स्तंभ पर हस्ताक्षरकत्र्ता बन गया है, जो अनिवार्य रूप से सभी 15 व्यापार भागीदारों को भ्रष्टाचार, जिसमें रिश्वतखोरी भी शामिल है, को रोकने और उसका मुकाबला करने के लिए बाध्य...
सितंबर में भारत इंडो पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (आई.पी.ई.एफ.) के फेयर इकोनॉमी स्तंभ पर हस्ताक्षरकत्र्ता बन गया है, जो अनिवार्य रूप से सभी 15 व्यापार भागीदारों को भ्रष्टाचार, जिसमें रिश्वतखोरी भी शामिल है, को रोकने और उसका मुकाबला करने के लिए बाध्य करता है। अडानी समूह के अध्यक्ष गौतम अडानी और 7 अन्य पर 250 मिलियन डॉलर के रिश्वत मामले में अमरीका द्वारा अभियोग लगाए जाने से नई दिल्ली को अमरीका सहित किसी भी भागीदार की जांच का सामना करना पड़ सकता है। सोमवार को एक प्रैस ब्रीफिंग के दौरान अडानी के अभियोग और आई.पी.ई.एफ. में भारत की स्थिति पर एक प्रश्न का उत्तर देते हुए वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने कहा, ‘‘हमने वही प्रतिबद्धताएं ली हैं जो अन्य सरकारों ने आई.पी.ई.एफ. स्तंभ में ली हैं। देश में जो भी कानून है, उसका पालन किया जाएगा।’’
भारत और अमरीका सहित 14 अन्य व्यापार सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित निष्पक्ष अर्थव्यवस्था स्तंभ समझौते के तहत, भारत ने स्वीकार किया कि भ्रष्टाचार (जिसमें रिश्वतखोरी भी शामिल है) और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे अपराध पूरे भारत-प्रशांत क्षेत्र में समृद्ध, समावेशी और स्थिर आर्थिक व्यवस्था की नींव को नष्ट करते हैं। सदस्य देशों ने भ्रष्टाचार विरोधी उपायों को लागू करने और प्रगति में तेजी लाने के लिए प्रतिबद्धता जताई है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञों ने कहा कि अभियोग सदस्य देशों को परामर्श के लिए बुलाकर कई मुद्दों पर भारत पर दबाव बनाने की अनुमति देता है।
समझौते में निर्दिष्ट किया गया है कि यदि किसी भी समय किसी पक्ष को इस समझौते के किसी प्रावधान के दूसरे पक्ष के कार्यान्वयन के बारे में चिंता है, तो संबंधित पक्ष लिखित अधिसूचना के माध्यम से परामर्श का अनुरोध कर सकता है। एक व्यापार विशेषज्ञ ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अमरीकी कानून, विशेष रूप से विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम (एफ.सी.पी.ए.), अमरीका में कारोबार करने वाली अमरीकी और गैर-अमरीकी दोनों संस्थाओं पर लागू होता है, जिसमें वित्तपोषण जुटाना भी शामिल है। हालांकि, आई.पी.ई.एफ. समझौता सदस्य देशों पर भ्रष्टाचार को रोकने और उपचारात्मक उपायों को लागू करने के लिए कदम उठाने का दायित्व डालता है।
विशेषज्ञ ने कहा, ‘‘आई.पी.ई.एफ. के किसी भी समझौते के पीछे यह दृष्टिकोण था कि औपचारिक विवाद समाधान तंत्र की आवश्यकता नहीं होगी, क्योंकि परामर्श चैनलों के माध्यम से कार्रवाई शुरू की जा सकती है। हालांकि इसे अभी पूरी तरह से चालू किया जाना बाकी है, लेकिन चर्चा शुरू करने और भारत पर दबाव डालने की पर्याप्त गुंजाइश है।’’ अडानी समूह ने आरोपों को ‘निराधार’ बताते हुए उनका खंडन किया है। आई.पी.ई.एफ. के तहत राज्य जवाबदेह हैं । निष्पक्ष अर्थव्यवस्था स्तंभ पार्टियों को ‘व्यापार प्राप्त करने या बनाए रखने’ या अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में अन्य अनुचित लाभ प्राप्त करने के लिए ‘रिश्वतखोरी को अपराध बनाने’ के लिए भी प्रोत्साहित करता है। समझौते में कहा गया है कि पार्टियां मानती हैं कि यदि कोई उम्मीदवार सार्वजनिक पद ग्रहण करता है तो लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से रिश्वत देना सुशासन को कमजोर करता है। प्रत्येक पार्टी भ्रष्टाचार अपराधों को रोकने और उनका समाधान करने के लिए कानून प्रवर्तन कार्रवाइयों की प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करती है।
क्लैरस लॉ एसोसिएट्स की पार्टनर आर.वी. अनुराधा ने कहा, ‘‘आई.पी.ई.एफ. फेयर इकोनॉमी समझौता अमरीका और भारत सहित अन्य देशों के बीच है, जिसके तहत प्रत्येक पार्टी ने भ्रष्टाचार और वित्तीय अपराधों को संबोधित करने और कर प्रशासन में सुधार करने के लिए दायित्व लिया है।’’ उन्होंने आगे कहा कि समझौते के तहत राज्य एक-दूसरे के प्रति जवाबदेह हैं। यदि कोई पक्ष दूसरे पक्ष के दायित्वों के क्रियान्वयन के बारे में ‘चिंता’ जताता है, तो ऐसे मुद्दों को हल करने के लिए परामर्श की आवश्यकता हो सकती है। इसलिए यदि अमरीका द्वारा कहा जाता है, तो भारत को परामर्श में शामिल होने की आवश्यकता होगी। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफैसर बिस्वजीत धर ने कहा, ‘‘रिश्वत मामले का निहितार्थ यह है कि आई.पी.ई.एफ.. सदस्य हम पर अपने कानूनों में संशोधन करने के लिए दबाव डाल सकते हैं। वैश्वीकृत दुनिया में, आपको घरेलू कानूनों को वैश्विक नियमों के साथ जोडऩा होगा।’’
धर ने कहा कि डोनाल्ड ट्रम्प के व्हाइट हाऊस की कमान संभालने के साथ, इस तरह के मुद्दों का इस्तेमाल बातचीत में भारत के खिलाफ किया जा सकता है। धर ने कहा, ‘‘अगर हमें लगता है कि हम बहुपक्षीय समझौतों से सरकारी खरीद को बाहर करके इस भ्रष्टाचार के मुद्दे को दबा सकते हैं, तो हम गलत हैं। वैश्विक नियमन में सुधार हो रहा है, और भारत को दुनिया के साथ व्यापार करने के लिए तालमेल बनाए रखना होगा।’’अमरीकी अदालत में दाखिल किए गए दस्तावेजों के अनुसार, गौतम अडानी, उनके भतीजे और 6 अन्य पर आंध्र प्रदेश सरकार के एक उच्च पदस्थ अधिकारी को लगभग 1,750 करोड़ रुपए (लगभग 228 मिलियन डॉलर) की रिश्वत की पेशकश करने का आरोप है।-रवि दत्ता मिश्रा