वर्कलोड : टैंशन लेने का नहीं देने का!

Edited By ,Updated: 27 Sep, 2024 06:00 AM

workload not to take tension but to give it

जय दत्त की बहुचर्चित फिल्म ‘मुन्ना भाई एम.बी.बी.एस.’ का एक डायलॉग काफी हिट हुआ था जिसमें वह हर किसी को न घबराने की सलाह देते हुए कहते थे ‘टैंशन लेने का नहीं  देने का’। परंतु शायद उस फिल्म में दिए गए संदेश को कुछ लोग गंभीरता से नहीं ले सके। इसीलिए वे...

संजय दत्त की बहुचर्चित फिल्म ‘मुन्ना भाई एम.बी.बी.एस.’ का एक डायलॉग काफी हिट हुआ था जिसमें वह हर किसी को न घबराने की सलाह देते हुए कहते थे ‘टैंशन लेने का नहीं  देने का’। परंतु शायद उस फिल्म में दिए गए संदेश को कुछ लोग गंभीरता से नहीं ले सके। इसीलिए वे मामूली से तनाव को इतना बढ़ा लेते हैं कि वह कभी-कभी जानलेवा भी साबित हो जाता है। पिछले दिनों सोशल मीडिया पर पुणे की एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम करने वाली 26 वर्षीय चार्टर्ड अकाऊंटैंट ऐना सेबेस्टियन की मां की चिट्ठी काफी चर्चा में रही। भारत में इस कंपनी के अध्यक्ष को लिखे अपने पत्र में ऐना की मां ने इस बात का उल्लेख किया कि किस तरह उनकी पुत्री पर कंपनी ने काम का दबाव बनाया हुआ था। 

मात्र 4 महीने की नौकरी में यह दबाव इतना बढ़ गया कि इस दबाव ने ऐना की जान ले ली। इस दबाव का एक स्पष्ट उदाहरण तब भी दिखा जब ऐना के अंतिम संस्कार में कंपनी में काम करने वाले सहकर्मी भी नहीं पहुंचे। जैसे ही ऐना की मां का यह पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, वैसे ही इस बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम कर चुके पूर्व कर्मचारियों ने अपने भयानक अनुभव भी सांझा किए। जैसे ही मामले ने तूल पकड़ा वैसे ही कंपनी की ओर से ‘वर्क प्रैशर’ का खंडन किया गया। इसके साथ ही सरकार ने भी इस मामले में जांच बैठा दी है। ऐना की मृत्यु ने आज के कॉर्पोरेट जगत में कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इस दुखद घटना के बाद कई तरह की प्रतिक्रियाएं भी आ रही हैं। दरअसल ‘वर्क प्रैशर’ के बढ़ते हुए तनाव के कारण दुनिया भर से ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं जहां प्रतिस्पर्धा की दौड़ में आगे रहने के चलते कई लोगों को अपने जीवन से हाथ धोना पड़ा है। 

चीन में एक व्यक्ति ने लगातार 104 दिनों तक बिना किसी छुट्टी के काम किया और अंतत: शरीर के कई अंगों की विफलता के कारण उसकी मौत हुई। वहां की अदालत ने उस व्यक्ति की कंपनी को उसकी मौत का 20 प्रतिशत तक जिम्मेदार ठहराया। वहीं अमरीका के एक बैंक कर्मचारी की मृत्यु का कारण भी उसके काम का दबाव ही बना। ऐसे अनेकों उदाहरण हैं जहां कर्मचारियों से अधिक काम करवाने के चलते ऐसे हादसे हो रहे हैं।विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार दुनिया भर में काम के दबाव व तनाव के चलते प्रतिवर्ष करीब 7.50 लाख लोगों की मृत्यु होती है। ऐसा इसलिए होता है कि अधिक काम करने का सीधा प्रभाव आपकी सेहत पर पड़ता है। काम का तनाव लेने से मनुष्य में हृदय रोग, डायबिटीज व स्ट्रोक जैसी घातक बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है।

इतना ही नहीं आज के सूचना प्रौद्योगिकी के दौर में जब हम घंटों कम्प्यूटर के सामने बैठ कर काम करते हैं तो हमारे जोड़ों में जकडऩ, कमर में दर्द, सिरदर्द, आंखों में थकान, जैसे प्रारंभिक लक्षण भी दिखाई देते हैं। तनाव के चलते हमारे शरीर में ऐसे रसायन पैदा हो जाते हैं जो रक्तचाप और कोलैस्ट्रॉल को भी बढ़ा देते हैं। इसलिए हम चिड़चिड़े भी हो जाते हैं। तनाव के चलते जब गाड़ी चलाकर हम अपने दफ्तर से घर या घर से दफ्तर जा रहे होते हैं तो ऐसे में दुर्घटना होने की संभावना भी बढ़ जाती है। मोबाइल फोन और ई-मेल के चलते हम हर समय अपने काम से जुड़े रहते हैं इसलिए हमें काम से आराम नहीं मिल पाता।

ऐसे तनाव का सीधा अनुभव आपको उस समय होता होगा जब आपके मोबाइल पर आपके बॉस का फोन बजता होगा। आप यदि अपने घर पर हों और परिवार के साथ समय बिता रहे हों, तभी आपके बॉस का फोन बजे तो आपके चेहरे पर एक अजीब से तनाव की झलक मिल जाती है। ऐसे में पारिवारिक सुख को भी झटका लगता है। जानकारों के अनुसार, सप्ताह में 55 घंटे या उससे अधिक काम करने वालों में तनाव बढऩे की संभावना अधिक होती है। यह तनाव अन्य बीमारियों को बढ़ावा देता है। परंतु इसका मतलब यह नहीं है कि आपको कामयाब होने के लिए कम मेहनत करनी चाहिए। 

बिना मेहनत के किसी को कामयाबी नहीं मिलती। इसलिए हमें परिश्रम और अतिश्रम के बीच एक को चुनना चाहिए। परिश्रम किया जाए तो एक सीमा के तहत ही किया जाए। आपको अपने शरीर की क्षमता अनुसार ही काम करना चाहिए। समय-समय पर अपने स्वास्थ्य की जांच भी करवाते रहना चाहिए। इसके साथ ही नियमित रूप से तनाव-मुक्ति के कई साधन, जैसे योगा, ध्यान, भजन, मनोरंजन आदि का भी सहारा लेना चाहिए। 
वहीं अगर इम्प्लॉयर की बात करें तो उन्हें भी अपने लक्ष्य की पूर्ति के चलते कर्मचारियों पर दबाव बनाना पड़ता है। परंतु यह दबाव भी एक सीमा तक ही दिया जाए। आज हमारे समाज को काम और आराम के बीच एक संतुलन बनाने की जरूरत है। वरना ऐना सेबेस्टियन जैसे कई और होनहार कर्मचारियों को अपने जीवन से हाथ धोना पड़ेगा।-रजनीश कपूर 
 

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